कोरोना की जंग में आयुर्वेद चिकित्सा का योगदान महत्वपूर्ण* : डा. महेंद्र राणा

*कोरोना की जंग में आयुर्वेद चिकित्सा का योगदान महत्वपूर्ण* : डॉ. महेंद्र राणा*    

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फाइल फोटो-प्रसिद्ध आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ महेंद्र सिंह राणा


     भारतीय चिकित्सा परिषद उत्तराखंड के सदस्य डा. महेन्द्र राणा के अनुसार पूरा विश्व आज कोविड 19 वायरस के संक्रमण से उत्पन्न महामारी से जूझ रहा है ,यह महामारी इतनी खतरनाक एवं तेजी से फैलने वाली है कि सभी देशों के समूचे स्वास्थ्यविभाग के चिकित्साकर्मी इससे निपटने के लिए , दिन रात लगकर अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं ।

  विश्व के अन्य देशों में जहां केवल एक ही चिकित्सा पद्धति ,एलोपैथी के चिकित्सक एवं सहायक स्वास्थ्य कर्मी इस महामारी के योद्धा हैं वही हमारे देश में एलोपैथी के साथ-साथ आयुष विभाग के लाखों चिकित्सक एवं स्वास्थ्य कर्मी पूरे प्रोटोकॉल के साथ इस वैश्विक महामारी के उन्मूलन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं । *पूरे देश के सभी राज्यों में चाहे कोरेन्टाईन सेंटर हो ,राज्य की सीमाओं में लगी थर्मल स्क्रीनिंग टीम हो या आइसोलेशन वार्ड हो सभी संवेदनशील स्थानों पर आयुष चिकित्सक , एलोपैथी चिकित्सकों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर बराबरी की भूमिका निभा रहे हैं* । 

  वर्तमान समय में जब पूरे विश्व में इस वायरल इन्फेक्शन से निपटने की कोई प्रामाणिक दवा अथवा टीका उपलब्ध नहीं है ऐसे में आम जनमानस की रोग प्रतिरोधक क्षमता को उत्कृष्ट करने के लिए आयुर्वेदिक औषधियों की भूमिका विश्व के विशेषज्ञों द्वारा निर्विवाद रूप स्वीकार की गई है ।

 भारत सरकार का आयुष मंत्रालय एवं देश के विभिन्न विद्वान आयुर्वेद एवं होम्योपैथी विशेषज्ञों ने समय-समय पर रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि करने के लिए न सिर्फ आरोग्य- एडवाइजरी जारी की है, बल्कि *हमारे फ्रंटलाइन वारियर जैसे सामाजिककार्यकर्ताओं, पुलिसकर्मियों, पत्रकारों एवं सफाई कर्मियों को इम्यूनिटी किट का वितरण कर उनके मनोबल को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है* ।

 देश – विदेश के कई प्रसिद्ध एलोपैथिक मेडिकल कॉलेज के चिकित्सकों एवं कुलाधिपतिओं द्वारा आयुर्वेद में वर्णित रसायन- औषधियों के सेवन से अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की सलाह देना अपने आप में हमारी प्राचीन चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद की वैज्ञानिकता एवं वर्तमान आवश्यकता को प्रमाणित करता है । 

  इसमें कोई दो राय नहीं है कि एक लंबे समय तक हमारे अपने ही देश में हमारी स्वदेशी चिकित्सा पद्धति एवं चिकित्सकों को उपेक्षा का सामना करना पड़ा है लेकिन *अब वक्त आ गया है कि पिछली गलतियों को न दोहराते हुए हमारी केंद्र एवं राज्य सरकारें एलोपैथी चिकित्सा के साथ-साथ आयुष चिकित्सा पद्धतियों एवं इनके चिकित्सकों को अपनी जनता के स्वास्थ्य संवर्धन हेतु बराबरी की सहभागिता प्रदान करें और आयुर्वेद की औषधियों की उच्च गुणवत्ता हेतु इनके क्लिनिकल ट्रायल एवं रिसर्च लैब्स स्थापित करने पर अपना ध्यान दें ,जिससे वर्तमान एवं भविष्य में कोरोना जैसी किसी भी महामारी से निपटने के लिए हमारे देश को हमारी स्वास्थ्य सेवाओं को किसी भी प्रकार की असहजता का सामना ना करना पड़े* ।

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