मकर संक्रांति कब मनाई जाय पर विचार
वैसे हमेशा मकर सक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाती है लेकिन संक्रांति हमेशा अsर्क के हिसाब से मनाई जाती है मध्य रेखा मकर रेखा पर सूर्य भ्रमण करते हैं और मकर राशि में धनु राशि से सूर्य का प्रवेश रात्रि 20:06 पर यानी 32 घटी 3 पल पर सायंकाल अब शुरू हो रहा है तो संक्रांति का पुण्य प्रातकाल माना जाता है इस दिन से देवताओं का दिन भी प्रारंभ होता है नए घर में प्रवेश करना विवाह चूड़ाकर्म व्रतबंध दीक्षा नए घर में प्रवेश बच्चे को विद्यालय में प्रवेश मूर्ति प्रतिष्ठा आदिकार्य मकर संक्रांति के बाद अति शुभ होते हैं 14 जुलाई तक इससे14 जनवरी पूर्व सूर्य धनु राशि में थे और 14 जनवरी रात 8 बजकर:06 मिनट से सूर्य मकर राशि में आएगें उदाहरण इस दिन किसी बच्चे का जन्म शाम को 6: बाजी 14 तारीख को होता है तो कुंडली में धनु राशि में सूर्य लिखा जाएगा मकर राशि में सूर्य 8:06 रात्रि से होगा इसलिए संक्रांति पुण्य काल संभोग संक्रांति मकर संक्रांति अगले दिन 15 तारीख से उत्तरायण संक्रांति माघ मेला घुघुतिया त्याहार कुमाऊं में सोमेश्वर जागेश्वर बागेश्वर रामेश्वर गंगोलीहाट जौलजीबी मेला बागेश्वर उत्तरायणी मेला हरिद्वार टपकेश्वर चन्द्रेश्वर बीरभद्र दक्ष प्रजापति मेला विश्वनाथ मेला उत्तर काशी देवप्रयाग रुद्रप्रयाग कोटेश्वर केदारनाथ की गुप्तकाशी त्रिजुगीनारायण ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ धनेश्वर देवता जखोली धान्यू क्यूंकालेश्वर पौड़ी सूर्य प्रयाग रूद्रप्रयाग में 15 तारीख को प्रातः से और मध्यान्ह तक मनी आने पर ही मकर संक्रांति का पर्व मैं स्नान और दान और खिचड़ी खाने का खिचड़ी के द्वारा पूजन का लाभ प्राप्त होगा 15 तारीख को ही मकर संक्रांति का पर्व है, या पर्व के जो विवाह होंगे को 15 तारीख को ही माने जाएंगे या होगें2023 ।।
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