जितना मनुष्य दुःखी उतना एकाकी होजाता है आचार्य ममगांई


ज्ञान के बिना मुक्ति नहीं होती कर्तव्य बोध को ज्ञान कहते हैं जितना आनन्दित उतना व्यक्ति सबके साथ हो जाता है आनंद बाटें को और दुःख भोगने को है जितना दुःखी मनुष्य उतना आनन्दित रहता है यह बात अजबपुर खुर्द शिवशक्ति मन्दिर में सरस्वतीविहार विकास समिति के द्वारा आयोजित शिवपुराण के छटवें दिन प्रसिद्ध कथावाच आचार्य शिवप्रसाद ममगांई जी नें कही हम भारतवासी स्वतन्त्र विचारों के पुजारी हैं इसलिए यहां माथे पर टिका बिन्दी लगाई जाती यह बुद्धी का प्रतीक है हम स्वतंत्र विचार व बुद्धिमान लोगों को पूजते हैं , यहां खचाखच भरे पांडाल में आचार्य ममगांई क।तैयार है अभिषेक करनें की परम्परा हमारे भारतीय तत्व चिंतन में है कि पांच तत्वो से बना शरीर में जल तत्व पूर्त होता है हमारे यहां हर जगह
पूरा संसार अपितु पाताल से लेकर मोक्ष तक जिस अक्षर की सीमा नही ! ब्रम्हा आदि देवता भी जिस अक्षर का सार न पा सके उस आदि अनादी से रहित निर्गुण स्वरुप ॐ के स्वरुप में विराजमान जो अदितीय शक्ति भूतभावन कालो के भी काल गंगाधर भगवान महादेव को प्रणाम करते है ।
अपितु शास्त्रों और पुरानो में पूजन के कई प्रकार बताये गए है लेकिन जब हम शिव लिंग स्वरुप महादेव का अभिषेक करते है तो उस जैसा पुण्य अश्वमेघ जैसेयाग्यों से भी प्राप्त नही होता !
स्वयं श्रृष्टि कर्ता ब्रह्मा ने भी कहा है की जब हम अभिषेक करते है तो स्वयं महादेव साक्षात् उस अभिषेक को ग्रहण करने लगते है । संसार में ऐसी कोई वस्तु , कोई भी वैभव , कोई भी सुख , ऐसी कोई भी वास्तु या पदार्थ नही है जो हमें अभिषेक से प्राप्त न हो सके!
रत रज तम का वर्णन करते हुए ममगांई नेंकहा कि रजो गुण जितने के बाद सात्विकता आती है तमो गुण जितने पर कार्य करने समृद्धि संपन्नता होती है ऐसी परिस्थिति में अंतःकरण की सुद्धि और कार्य क्रम को धर्म मानकर कार्य करने की प्रवृत्ति होती है वैदिक धर्म सनातन धर्म का पालन करते हुए भोग प्रवत्ति से नाता जोड़ना रजो गुण की प्रधानता होने में ये सब काम होते हैं जब धन का दुरुपयोग समय संपत्ति का दुरुपयोग सबसे बुराई झगड़ा विवाद मोल लेने लगता है मन मे शांति प्राप्त न करने के पश्चात सतो गुण निवर्ती में महा क्रोधी और दुर्जनता बढ़ती है यह मनुष्य की प्रवृत्ति से ही सब पता चलता है कभी कभी तीनो गुणो की समानता होने पर स्थिति कार्य कारण भाव से अन्योन्याश्रित भाव से व्यक्ति कार्य करता है तमो गुण की प्रधानता होने पर मन मे दुख व दूसरे को दुख देना कभी मोह कभी शोक कर्तब्य अकर्तब्य का पूर्ण परिज्ञान अछि बात करने पर भी जो बुरी लगे उस व्यक्ति का तमो गुण होता है सतो गुण जहाँ बढ़ा हो व्यक्ति में तपो भाव सर्व सामर्थ्यवान होजाता है आदि प्रसंगों पर भक्त भाव विभोर होगये ।।
आज विशेष रूप से कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल समिति के अध्यक्ष पंचम सिंह बिष्ट सचिव गजेंद्र भंडारी वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्री बी एस चौहान उपाध्यक्ष श्री कैलाश तिवारी कोषाध्यक्ष श्री विजय सिंह रावत वरिष्ठ मंत्री पार्षद श्री अनूप नौडियाल शिव शक्ति मंदिर मंदिर संयोजक श्री मूर्ति राम बिजलवान सह संयोजक श्री दिनेश जुयाल , पुष्कर सिंह नेगी प्रचार सचिव सोहन सिंह रौतेला, मंगल सिंह कुट्टी, ऑडिटर श्री पी एल चमोली, श्री मानवेंद्र सिंह रावत, श्री पुष्कर सिंह नेगी, कैलाश रमोला, आशीष गुसाईं, दीपक काला, नितिन मिश्रा, पुष्कर सिंह गुसाईं, गिरीश डियौडी, वेद किशोर शर्मा, पुष्कर सिंह भंडारी, करण सिंह राणा, बगवालिया सिंह रावत, जय प्रकाश सेमवाल, एस एस नेगी, आचार्य राकेश बहुगुणा आचार्य संदीप बहुगुणा आचार्य कमल किशोर आचार्य हिमांशु मैठानी शिव शक्ति मंदिर के आचार्य पंडित उदय प्रकाश नौटियाल, पंडित सुशांत जोशी, देवेंद्र भंडारी, हेमलता नेगी, मधु गुसाईं, सुदेश बाला गुप्ता, श्रीमती संगीता सेमवाल, प्रमिला डोभाल, ममता बलूनी, कौशल्या रावत, शांति बिष्ट, प्रभा डिमरी, श्रीमती बिंदु रावत, आदि उपस्थित थे.

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