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ज्योतिष पीठ व्यास पद से अलंकृत आचार्य शिव प्रसाद ममगाईं के सानिध्य में भगवान बद्री विशाल मन्दिर से निकली कलश यात्रा

रैबार पहाड़ का, बद्रीनाथ

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श्री बदरीनाथ धाम 2 अक्टूबर।भगवान वदरी विशाल के समीप भारतसेवा आश्रम संघ में कैप्टन निशांत नेगी की पुण्य स्मृति में उनके परिवार पिता पुष्कर सिंह नेगी माता रेखा नेगी के द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत महापुराण कथा से पूर्व भगवान वदरी विशाल के चरणों से कलश यात्रा निकाली गयी जो मुख्यबाजार होती हुई कथा पांडाल तक ढोल की थाप पीत वस्त्र में महिलाऐं शिर पर कलश ली हुई कथा पंडाल पहुंची वहीं आचार्य गणों नें बेद मंत्रोच्चारण के द्वारा भगवान गोपाल जी का जलाभिषेक किया वहीं ज्योतिष्पीठ व्यास पद से अलंकृत आचार्य शिव प्रसाद ममगाईं ने कथा के माध्यमसे कहीष वहीं पीत वस्त्र में महिला शिर पर कलश लिए ढोल की थाप पर झूमते पुरूष बच्चे नजर आये कथा वाचन में भागवत महात्म्य को केन्द्रीत करते हुए महात्म्य में धुंधकारी की भोग वृति को केन्द्रित करते हुए आचार्य ममगांई नें कहा हम समाज के विरूद्ध काम करते हैं या व्यवहार भी ठीक नहीं रखते हैं या केवल सबसे वृति आदि जिससे दुसरे को कष्ट पंहुचे साथ ही कथनी करती में अन्तर करके किसके मन को दुखाना तो यह धुंधकारी रूपी दूषित पर्यावरण है उपनिषद कार और भारतीय ऋषि जन मानव जाति को अस्वस्थ करते हैं आत्म तत्व मन से भी श्रेष्ठ तत्व है जो मन की वृत्ति को नियंत्रित करता है बुद्धि और आत्मा तत्व का सामंजस्य मानव जाति के लिए पर्यावरण संतुलन की दृष्टि से गौकर्ण रूपी वरदान है जो दुसरों का हित और भगवान से प्रति करे तो यह आत्मदेव रूपी मानव को वरदान है आत्म तत्व के प्रभाव से बुद्धि समस्त भूतों एवं प्राणी के प्रति समभाव और समदर्शी हो जाती है भारतीय धर्म दर्शन में पर्यावरण चिंतन ही ईश्वरी चिंतन का माध्यम है अतः इसमें पर्यावरण के प्रति श्रद्धा प्रेम एवं सम्मान के भाव की प्रेरणा दी जाती है हमारे यहां धर्मशास्त्र में यज्ञ कर्मकांड का भी पर्यावरण की दृष्टि से अत्यंत महत्व है यज्ञ को लोग अर्थात समग्र पर्यावरण का कवच कहा गया है जिस प्रकार काया की सुरक्षा त्वचा से होती है उसी प्रकार लोग की सुरक्षा कैसे होती है भारतीय धर्म शास्त्रों द्वारा पूजा आदि धर्म के लक्षण भी पर्यावरणीय दृष्टि से अत्यंत उपयोगी है धैर्य आत्म संतोष दम इंद्रिय निग्रह से पर्यावरण के अनियंत्रित दोहन का पर अंकुश लग सकता है वर्तमान में असत्य भाषण चोरी निंदा क्रोध असहिष्णुता आदि के कारण समाज में चतुर्दिक मानसिक कुंठा का प्रदूषण समाजिक अविश्वास का प्रदूषण भ्रष्टाचार एवं आतंकवाद का प्रदूषण व्याप्त है धर्मशास्त्र द्वारा प्रतिपादित लक्षण यथा क्षमा अस्तेय सत्य और क्रोध के प्रभाव से सभी प्रकार के सामाजिक मानसिक प्रदूषण पर अंकुश लगाया जा सकता है आचार्य ममगांई कहते हैं राष्ट्र में या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आजकल राष्ट्रीय वन नीति राष्ट्रीय जल परियोजना जल नीति राष्ट्रीय वन्यजीव संरक्षण नीति आदि का संचालन किया जा रहा है इनको कारगर करने की आवश्यकता है यदि इन नीतियों का संचालन धार्मिक आस्था के साथ किया जाए तो पर्यावरणीय संदर्भ में पर्याप्त सफलता मिल सकती है उदाहरण के लिए वृक्षों काटने के विरुद्ध चलाए गए उत्तरांचल के चिपको आंदोलन वृक्षारोपण संबंधी मैती परंपरा पर विचार कर सकते हैं मैती आंदोलन व्यवस्था से जुड़ा हुआ है वन्य जीव संरक्षण एवं वृक्षारोपण को ही धार्मिक भावना सही अनु प्रमाणित करते हुए सफल आंदोल का रूप दिया जा सकता है
आज विशेष रूप से पुष्कर सिंह नेगी , रेखा नेगी आस्था नेगी पुष्पा सुंदरियाल वनिता चौहान बिना डिमरी, विनोद डिमरी श्रीराम मोदी थाली रेस्टोरेंट के चन्द्र मोहन ममगाईं आचार्य दामोदर सेमवाल आचार्य सन्दीप बहुगुणा आचार्य हिमांशु मैठानी आचार्य संदीप भट्ट आचार्य सुनील ममगांई विजया देवी सती वित्तीय देवी मोल्फा माता देवी मोल्फा चन्दा राणा मधुर मेहर विरेन्द्र नेगीसुमित्रा नेगी संजय सिंह विष्ट पूर्णिमा विष्ट रविंद्र डाक्टर हरीश गौड़ सिंह नेगी सुनिता नेगी ममता नेगी आदि सम्मलित हुए

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