ABVP के दबाव में सियासत की भेंट चढ़ा श्रीनगर किताब कौथिग, नरेंद्र सिंह नेगी ने जताई निराशा
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रैबार डेस्क: श्रीनगर गढ़वाल में 15 और 16 फरवरी को होने वाले किताब कौथिग राजनीति की भेंट चढ़ गया है। मेले के आयोजन के लिए अनुमति नहीं मिलने के कारण आयोजकों ने किताब कौथिग को स्थगित कर दिया है। किताब कौथिग के संरक्षक हेम पंत ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में ये जानकारी दी। बताया जा रहा है कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के दबाव में किताब कौथिग के आय़ोजन के लिए अनुमति नहीं दी गई जिसके बाद इसे रद्द करना पड़ा।
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किताब कौथिग के संयोजक हेम पंत ने बताया कि किताब कौथिग के आयोजन को लेकर उनके पास तीन जगहों की लिखित अनुमति थी, लेकिन एक के बाद एक तीनों जगह आयोजन की परमिशन को रद्द कर दिया गया। हेम पंत और गढ़वाल विवि के पूर्व शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. एसएस रावत ने कहा कि नगर में 15 व 16 फरवरी को आयोजित होने वाले किताब कौथिग को स्थगित करने का फैसला लिया गया है। उन्होंने कहा कि इससे पूर्व 12 जगह किताब कौथिग का आयोजन सफल रूप से किया जा चुका है। अब 13वें किताब कौथिग का आयोजन श्रीनगर में किया जाना था, लेकिन इस बीच कुछ संगठनों द्वारा कौथिग को न होने दिए जाने की बात कही गई है।
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श्रीनगर किताब कौथिग में साहित्य, शिक्षा, पर्यटन व शिक्षा के क्षेत्र में रूचि रखने वाले लोगों को आना था। जिसमें लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी, पद्मश्री बसंती बिष्ट, सूचना आयुक्त योगेश भट्ट समेत अन्य कई जाने-माने लोग भी पहुंचने वाले थे। बताया कि आयोजन को लेकर उन्होंने रामलीला कमेटी से रामलीला मैदान में कार्यक्रम आयोजन के लिए अनुमति ली थी। कमेटी द्वारा उन्हें अनुमति भी दी गई, लेकिन जब वह तहसील में अनुमति लेने के लिए गए तो उन्हें मौखिक रूप से अनुमति न मिलने की बात कही गई।
किताब कौथिग रद्द होने पर लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी ने निराशा व्यक्त की है। उन्होंने फेसबुक पर लिखा है, साथियों मुझे ज्ञात हुआ कि भाजपा से जुड़े विद्यार्थी संगठन के दबाव में प्रशासन ने श्रीनगर में किताब कौथिग के आय़ोजन की अनुमति नहीं दी। मैं सोच रहा हूं, वो कैसे विद्यार्थी और कैसे अधिकारी हैं जो किताबों से इतना डर रहे हैं। इस किताब कौथिग में हिंदी अंग्रेजी के अलावा हमारी लोकभाषाओं की किताबों के भी 40-50 प्रकाशक आ रहे थे। मैंने भी शामिल होना था लेकिन…..
जानकारी के मुताबिक किताब कौथिग में प्रगतिशील साहित्याकारों के आने से एबीवीपी ने नाराजगी जताई थी। उनका मानना था कि वामपंथी साहित्य भी इसमें हो सकता है। हालिया निकाय चुनाव में गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी की सक्रियता के कारण भी एबीवीपी असहज महसूस कर रहा था। इसलिए प्रशासन पर किताब कौथिग रद्द करवाने का दबाव बनाया।