देहरादून:लौकिक सुख को प्राप्त करना, दुःख को दूर हटाना, इसके लिए तुम दिन-रात अपना समय व्यर्थ गँवाते रहते हो। उससे कोई क्षेम या मंगल की प्राप्ति तो होती नहीं। एक क्षण के लिए ऐसा लगता है कि हमने दुःख को हटा दिया, दूर कर दिया, सुख मिल गया। जब तक यह सोचते हैं कि मैं सुखी हूँ, तब तक कहीं से एक तमाचा लग जाता है।
आत्मा हमारे नित्य स्वरूप शुद्ध स्वभाव है किंतु किसी अचिंत्य कारण से वह अपने को जड़ से बनी हुई पाती है और अपने को जड़ ही समझने लगती हैं यह बात कौलागढ़ देहरादून में नौटियाल परिवार द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत महापुराण के विश्राम दिवस पर व्यक्त करते हुए ज्योतिष्पीठ व्यास आचार्य शिव प्रसाद ममगाईं जी ने व्यक्त करते हुए कहा कि वास्तव में प्रेम अपने प्रियतम के गुण भी न देखना चाहिए यह भी कामना है यही कारण है कि संसार मे हम जिस गुण के कारण प्रेम करते हैं उस गुण के समाप्त होते ही प्रेम भी समाप्त हो जाता है यथा किसी ने सौंदर्य से प्रेम किया तो सुंदरता नष्ट होने पर प्रेम समाप्त हो जाएगा अर्थात संक्षेपतः तीन बातें भक्ति में प्रमुख ज्ञातब्य हैं कि अन्य सब प्रकार की इच्छाओं से रहित हुआ जाय दूसरी यह कि भक्ति के ऊपर ज्ञान कर्म तपश्चर्या आदि किसी का भी आवरण नही होना चाहिए तीसरी बात यह है कि शांत दास्य सख्य वात्सल्य एवम माधुर्य इन पांच अनुकूल भावों से श्रीकृष्ण का अनुशीलन करना चाहिए इन तीनो बातों में सर्वप्रथम बात पर गम्भीर विचार विमर्श करना है क्योंकि मेरी राय में प्रायः सभी जीवों की साधना इसी कारण से रुकी हुई है और कोई भी जीव ईश्वर साधना नही कर पा रहा है उसको समझ लेने पर साधना मार्ग स्पष्ट हो जाता है
इस अवसर पर मुख्य रूप सेकैन्ट विध्न सभा की विधायक श्रीमति सबिता कपूर पूर्व ओ एस डी मुख्य मंत्री आनन्द बहुगुणा प्रसिद्ध उधोगपति दीपक नौटियाल कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना दीपांशु नौटियाल रमन राकेश नीरज कुसुम महक चहक निष्ठा शुष्मा पूनम प्रीति नीलम सम्पूर्णा शरद शर्मा बालकृष्ण डोभाल पूनम बहुगुणा शिवम कोठारी सीमा पांडेय मनधीर कक्कड़ गुरविंदर आचार्य दामोदर सेमवाल आचार्य दिवाकर भट्ट आचार्य भगतराम नौटियाल आचार्य कालिका नौटियाल आचार्य संदीप बहुगुणा आचार्य प्रदीप नौटियाल आचार्य द्वारिका नौटियाल सुरेश जोशी महेश भट्ट आदि भक्त गण भारी संख्या में उपस्थित थे!!