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घोटाला घोटाला:ये है देहरादून का सबसे बड़ा जमीन घोटाले के सरताज,जमीन के दस्तावेजों को स्कैन कर बेच दी जमीन

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जमीन के दस्तावेजों को स्कैन कर बेच दी जमीन

खुशी ट्रेडर्स ने किया जमीन का फर्जीवाड़ा

  • चाय बागान की लाखों की जमीन को लगाया ठिकाने
  • जमीन के दस्तावेजों को स्कैन कर बेच दी जमीन

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देहरादून। चाय बागान की जमीन को खुर्द-बुर्द करने के मामले में नित नये खुलासे हो रहे हैं। अब रायपुर मौजा की एक जमीन को लेकर खुलासा हुआ है कि इस जमीन के दस्तावेजों को स्कैन कर फर्जीवाड़ा किया गया है। आरटीआई एक्टिविस्ट एडवोकेट विकेश नेगी का कहना है कि एक ही खसरे की एक ही जमीन को स्कैन कर दो लोगों को बेच दिया गया है। उनके अनुसार यह फर्जीवाड़ा विनोद कुमार खुशी ट्रेडर्स ने किया है। उन्होंने मांग की है कि चाय बागान की करोड़ों की जमीन मामले की जांच सीबीआई से कराई जाए।

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एडवोकेट विकेश नेगी ने चाय बागान की जमीन के घोटाले को उजागर किया है। उन्होंने इस संबंध में हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर अपील की कि चाय बागान की जमीन सरकारी है और इसे गैरकानूनी तरीके से खरीद-फरोख्त की जा रही है। इस मामले में हाईकोर्ट के निर्णय के बाद जिला प्रशासन कार्रवाई कर रहा है।

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इस बीच एक और फर्जीवाड़ा सामने आया है। आरटीआई एक्टिविस्ट विकेश नेगी के अनुसार मौजा रायपुर में खसरा नंबर 1600 की जमीन पदमावती के नाम से थी। पदमावती ने खसरा नंबर 1600 की यह जमीन जो कि 0.1540 हेक्टेयर है, उसे शशिबाला को बेचा। इस जमीन की वास्तविक रजिस्ट्री हुई है। जो कि बही नबंर एक, जिल्द नंबर 16 रजिस्ट्री नंबर 264 पर 15 सितम्बर 2010 को रजिस्टर्ड की गयी।

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एडवोकेट विकेश नेगी के अनुसार इसी भूमि की वास्तविक रजिस्ट्री को स्कैन कर विनोद कुमार जो कि खुशी ट्रेडर्स के संचालक हैं, ने फर्जीवाड़ा कर खसरा नंबर 1586 बता कर जितेंद्र कुमार के साथ मिलीभगत कर रजिस्ट्री करवा ली। इस जमीन का बही नबंर एक, जिल्द नंबर 16 रजिस्ट्री नंबर 264 वही है जो कि पदमावती वाली भूमि का है जो कि खसरा नंबर 1600 है। इसके बाद विनोद कुमार ने साजिशन इस भूमि की सेल डीड दीपचंद से अपने और अपनी पत्नी के नाम करवा दी। इस भूमि की जिल्द संख्या, बही और रजिस्ट्री नंबर सब वही हैं जो कि खसरा नंबर 1600 के हैं। इस तरह से जमीन का फर्जीवाडा कर लाखों रुपये का गोलमाल किया गया है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि चूंकि इस पूरे मामले के तार कई राज्यों से जुड़े हुए हैं। इसलिए चाय बागान जमीन घोटाले की जांच सीबीआई को दी जाए।