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इग्नू के कोर्स कर रोजगार पाएं संस्कृत के छात्र

डॉ.वीरेंद्रसिंह बर्त्वाल,देवप्रयाग

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इग्नू के निदेशक डाॅ0 डिमरी हुए श्री रघुनाथ कीर्ति के छात्रों से मुखातिब
तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन, 80 पत्र पढ़े गए
देवप्रयाग। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) के क्षेत्रीय निदेशक डाॅ0 अनिल डिमरी ने केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर के विद्यार्थियों को इग्नू के विभिन्न पाठ्यक्रमों की जानकारी दी। उन्होंने बच्चों का आह्वान किया कि वे संस्कृत विषयों के कोर्सों के साथ-साथ इग्नू से आधुनिक विषयों-कंप्यूटर, हिन्दी, पत्रकारिता, अंग्रेजी के यूजी, पीजी कोर्स भी कर सकते हैं।
श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर में न्याय दर्शन विभाग की राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन पर बतौर मुख्य अतिथि आए डाॅ0 डिमरी ने छात्रों को बताया कि इग्नू के वर्तमान में लगभग 200 कोर्स हैं, जिन्हें बच्चे दूरस्थ माध्यम से कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर में इग्नू का केन्द्र खुल जाने से देवप्रयाग के निकटवर्ती टिहरी तथा पौड़ी जिलों के इग्नू के छात्रों को बहुत सुविधा होगी। इससे पहले ये छात्र श्रीनगर और देहरादून केन्द्रों पर निर्भर रहते थे। इस परिसर के प्राध्यापक ही इग्नू के कोर्सों के काउंसलर होंगे। उन्होंने बच्चों और प्राध्यापकों की कई जिज्ञासाओं को शांत करते हुए सवालों के जवाब दिये। उन्होंने कहा कि एडिशनल क्वालिफिकेशन (अतिरिक्त योग्यता) के कारण रोजगार के मौके बढ़ जाते हैं, इसलिए संस्कृत शिक्षा से जुड़े सभी छात्रों को अपनी मनपसंद के कोई न कोई अन्य कोर्स इग्नू से अवश्य कर लेने चाहिए। डाॅ0 डिमरी ने कहा कि इग्नू गरीब और नौकरी पेशा लोगों को दूरस्थ रूप में शिक्षा देने का बेहतर विकल्प है। इसका कोर्स प्रसिद्ध विशेषज्ञों द्वारा तैयार किया जाता है और इस विश्वविद्यालय की मान्यता भारत ही नहीं, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तक है।
वहीं, छात्रों से मुखातिब होने के बाद डाॅ0 डिमीरी ने न्याय दर्शन विभाग की संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि कहा कि छात्र अपनी प्रतिभा निखारने के लिए इसी आयु में कठिन परिश्रम करें। वे स्वयं में नैतिक मूल्यों का विकास भी करें, ये मूल्य व्यक्तित्व विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
विशिष्ट अतिथि ओंकारानंद राजकीय महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो0 प्रीति कुमारी ने कहा कि अनुशासित जीवन हमारी अनेक समस्याओं का समाधान स्वयं कर देता है। उन्होंने छात्रों का आह्वान किया कि पूजा-पाठ, प्रार्थना, गुरु भक्ति को अपने जीवन का अहम हिस्सा बनायें।
अध्यक्षता करते हुए निदेशक प्रो0 एम0 चन्द्रशेखर ने कहा कि छात्रों को नैतिक मूल्यों की जानकारी देने तथा भारतीय संस्कृति के तत्त्वों का महत्त्व बतलाने के लिए इस प्रकार के कार्यक्रम महत्त्वपूर्ण होते हैं।
कार्यक्रम के संयोजक डाॅ0 सच्चिदानन्द स्नेही ने तीन दिवसीय संगोष्ठी की आख्या प्रस्तुत करते हुए बताया कि कार्यक्रम में 80 शोध पत्रों का वाचन किया गया।
कार्यक्रम में हिन्दी प्राध्यापक डाॅ0 वीरेन्द्र सिंह बर्त्वाल की ’गढ़वाली भाषा: प्रकृति और समृद्धि’ नामक पुस्तक के दूसरे संस्करण का विमोचन भी किया गया। संचालन जनार्दन सुवेदी ने किया। इस अवसर पर डाॅ0 शैलेन्द्र प्रसाद उनियाल, डाॅ0 शैलेन्द्र नारायण कोटियाल, इग्नू के को-आॅर्डिनेटर डाॅ0 अनिल कुमार, डाॅ0 अरविन्दसिंह गौर, डाॅ0 सुरेश शर्मा, डाॅ0 दिनेशचन्द्र पाण्डेय, डाॅ0 आशुतोष तिवारी, डाॅ0 अमन्द मिश्र, रघु बी0 राज, डाॅ0 मोनिका बोल्ला, पंकज कोटियाल, नवीन डोबरियाल, डाॅ0 अवधेश बिजल्वाण, डाॅ0 मनीषा आर्या, डाॅ0 अंकुर वत्स, डाॅ0 सुधांशु वर्मा, डाॅ0 श्रीओम शर्मा, अजय सिंह नेगी, डाॅ0 सुशील बडोनी आदि उपस्थित थे।

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