organic ad

रिंगाल का ढोल- दमाऊं!– रिंगाल मेन राजेन्द्र बडवाल का अभिनव प्रयोग, ढोल कलाकारों के कंधो का बोझ होगा हल्का.. देखें वीडियो


वरिष्ठ पत्रकार संजय चौहान की फेसबुक वाल से

electronics


पहाड़ में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। कहा जाता है की कला और कलाकार को सरहदों के बंधन में नहीं बांधा जा सकता है। रिंगाल मेन राजेन्द्र नें उक्त कहावत को चरितार्थ करके दिखाया है। राजेन्द्र नें अपनी बेजोड हस्तशिल्प कला से रिंगाल के विभिन्न उत्पादों और पहाड़ की हस्तशिल्प कला को नयी पहचान और नयी ऊँचाई प्रदान की है। चमोली, देहरादून से लेकर मुंबई तक रिंगाल मेन राजेन्द्र बडवाल के बनाये गये उत्पादों के हर कोई मुरीद हैं। बीते एक सप्ताह से राजेन्द्र नें रिंगाल से उत्तराखंड के पारम्परिक वाद्य यंत्र ढोल दमाऊ बनाकर एक नया अभिनव प्रयोग करके अपने हुनर का लोहा मनाया है। रिंगाल मेन राजेन्द्र बडवाल कहते हैं की के उनकी कोशिश है कि रिंगाल के ढोल दमाऊ के जरिए वो ढोल के कलाकारों के कंधो का बोझ हल्का कर सके। ये एक छोटी सी कोशिश है, अगर लोगो को ये पसंद आयेगा तभी कुछ संभव होगा। रिंगाल के इस ढोल का वजन पारम्परिक ढोल दमाऊ की तुलना में बेहद कम हैं। और लागत भी बहुत कम।

ये हैं उत्तराखंडी संस्कृति का संवाहक व सामाजिक समरसता का अग्रदूत ढोल!

सदियों से ढोल दमाऊं हमारी सांस्कृतिक विरासत की पहचान है। इसके बिना हमारे लोकजीवन का कोई भी शुभ कार्य, उत्सव, त्यौहार पूर्ण नहीं हो सकता है। ढोल दमाऊं हर्ष, उल्लास और ख़ुशी का प्रतीक है। यह उत्तराखंडी संस्कृति का संवाहक व सामाजिक समरसता का अग्रदूत है। ढोल से 600 से 1000 तक ताल निकलते हैं। जबकि तबले पर 300 ही बजते हैं। पहाड़ में आयोजित होने वाले हर छोटे बड़े आयोजनों, वैवाहिक कार्यक्रमों, पांडव नृत्य, बगडवाल नृत्य, विभिन्न धार्मिक आयोजनों में ढोल की उपस्थिति आवश्यक होती है। ढोल हमारी लोकसंस्कृति का अहम् हिस्सा है। ढोल हमारे लोक जीवन में इस कदर रचा बसा है की इसके बिना शुभ कार्य की कल्पना तक नहीं की जा सकती है। जहाँ लोग विदेशों से ढोल सागर सीखने उत्तराखंड आ रहें है वहीँ हम अपनी इस पौराणिक विरासत को खोते जा रहे हैं। ऐसे में हमें इसके संरक्षण और संवर्धन के लिए आगे आना होगा।

कौन है राजेन्द्र बडवाल !

राजेंद्र बडवाल विगत 14 सालों से अपनें पिताजी दरमानी बडवाल जी के साथ मिलकर हस्तशिल्प का कार्य कर रहें हैं। उनके पिताजी पिछले 45 सालों से हस्तशिल्प का कार्य करते आ रहें हैं। राजेन्द्र पिछले पांच सालों से रिंगाल के परम्परागत उत्पादों के साथ साथ नयें नयें प्रयोग कर इन्हें मार्डन लुक देकर नयें डिजाइन तैयार कर रहे हैं। उनके द्वारा बनाई गयी रिंगाल की छंतोली, ढोल दमाऊ, हुडका, लैंप शेड, लालटेन, गैस, टोकरी, फूलदान, घौंसला, पेन होल्डर, फुलारी टोकरी, चाय ट्रे, नमकीन ट्रे, डस्टबिन, फूलदान, टोपी, स्ट्रैं, वाटर बोतल, बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री, पशुपतिनाथ मंदिर सहित अन्य मंदिरों के डिज़ायनों को लोगों नें बेहद पसंद किया और खरीदा। जिससे राजेन्द्र को अच्छा खासा मुनाफा भी हुआ। राजेन्द्र बडवाल की हस्तशिल्प के मुरीद उत्तराखंड में हीं नहीं बल्कि देश के विभिन्न प्रदेशों से लेकर विदेशों में बसे लोग भी है।

अगर आपको भी राजेन्द्र बडवाल द्वारा बनाये गए रिंगाल के उत्पादों पसंद हो और इसे मंगाना चाहते हैं तो आप सीधे सम्पर्क कीजिएगा..


ये भी पढ़ें:  बिना बारिश का भंयकर भूस्खलन का वीडियो उत्तराखंड से आया सामने: देखें वीडियो

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *