कीर्तिनगर विकासखण्ड के अंतर्गत धार पयांकोटी ढुंडसिर कड़ाकोट में इन दिनों श्री घंटाकर्ण देवता का मेला (जात) चल रहा है। पूर्णकुंभीय यह अनुष्ठान 9 दिन,9 रात तक चलता है। 12 जनवरी को आरंभ हुए इस अनुष्ठान में विभिन्न सांस्कृतिक दल प्रस्तुतियां दे रहे हैं। केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर, देवप्रयाग के विद्यार्थियों ने भी यहां एक दिवसीय कार्यक्रम में विभिन्न प्रस्तुतियां दीं।
हिंदी प्राध्यापक डॉ.वीरेंद्रसिंह बर्त्वाल के मार्गदर्शन में गये 18 सदस्यीय छात्र दल ने सर्वप्रथम घंडियाल देवता के मंदिर में स्वस्तिवाचन मंत्र पाठ किया। सदे स्वरों से युक्त मंत्रों की ध्वनि से धारी ढुंडसिर की घाटी में प्रातः कालीन वेला में वातावरण और भी दिव्य हो गया। इसके बाद टीम ने मांगल गीत से रंगारंग प्रस्तुतियों का शुभारंभ किया। ‘नारैणी मां भवानी’ और ‘हुरणी का दिन’ जागरों ने आध्यात्मिक वातावरण उत्पन्न कर दिया। छात्रों द्वारा प्रस्तुत ‘कृष्ण महिमा’ नाटक काफी सराहा गया। इसमें आस्तिकता का संदेश देने के साथ ही बताया गया कि श्री कृष्ण अपने भक्तों के सभी कष्ट हर लेते हैं। संदेश भट्ट, धनंजय देवराडी़ द्वारा प्रस्तुत कविताओं ने वाहवाही लूटी। डॉ.वीरेंद्रसिंह बर्त्वाल ने ‘त्यरा बाना’ और ‘म्यरी ब्वे’ कविताएं सुनाकर शृंगार और वात्सल्य रसों से सराबोर कर दिया। शिवानी सती और धनंजय के ‘उतरैंणी कौथीग’ और रचना नौडियाल के ‘सुलपा की साज’ गीतों पर खूब तालियां गूंजीं। पायल के गढ़वाली रीमिक्स पर युवा झूम उठे तो शशांक चंदोला के ‘ज्यू हलकू ह्वे जालू’ गीत ने भाव विभोर कर दिया। कोमल शर्मा का संस्कृत गीत आनंदित कर गया। हिमाचली नाटी के माध्यम से छात्रों ने पड़ोसी राज्य की संस्कृति के दर्शन करा दिए। टीम में राम शर्मा, आंशुल पाठक,मधु, श्रेष्ठा,मनस्वी, जितेंद्र, राधिका टोडरिया, योगेश सेमवाल, दिगंबर रतूड़ी, सुमित कोटियाल, अभिषेक पाठक आदि शामिल थे। संचालन डॉ.वीरेंद्र सिंह बर्त्वाल ने किया। श्री घंडियाल देवता मंदिर समिति के अध्यक्ष जयेंद्र सिंह पंवार, रघुवीर सिंह पंवार,उमेद सिंह ने इस कार्यक्रम के लिए श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि जब भी मंदिर में भविष्य अनुष्ठान होगा तो श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर की टीम को अवश्य न्योता दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि पहली बार किसी विश्वविद्यालय की टीम ने इतनी बेहतरीन प्रस्तुतियां दीं,जो क्षेत्र के बच्चों के लिए विशेष प्रेरणादायक हैं।
उधर, श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर के निदेशक प्रो.पीवीबी सुब्रह्मण्यम ने छात्रों को बधाई देते हुए कहा कि अध्ययन के साथ ही छात्रों को लोक-संस्कृति के संरक्षण और प्रचार-प्रसार में भी योगदान देना चाहिए।