गांधी जयंती पर केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय परिसर,देवप्रयाग में कार्यक्रम
देवप्रयाग। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी तथा देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती पर दोनों महापुरुषों को केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर,देवप्रयाग में याद किया गया। इस मौके पर वक्ताओं ने महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री के विचारों का अनुसरण करने का संकल्प लिया। गांधी जयंती के उपलक्ष में परिसर में आयोजित स्वच्छता कार्यक्रम के अंतर्गत पूरे परिसर की सफाई की गई और सैनिटाइजर तथा मास्क का वितरण किया गया। विभिन्न स्पर्धाओं का भी आयोजन किया गया। आज गांधी गांधी जयंती के अवसर पर इस कार्यक्रम का समापन किया गया। इसमें वक्ताओं ने कहा कि इन दोनों महापुरुषों के विचार हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण हैं। आज स्वच्छता कार्यक्रम की सम्पूर्ति एवं राष्ट्रपिता महात्मा गान्धी तथा लालबहादुरशास्त्री की जयन्ती पर आयोजित ऑनलाइन कार्यक्रम में मुख्यवक्ता के रूप में डॉ.वीरेन्द्रसिंहबर्त्वाल ने गान्धी जी के राष्ट्रवाद पर अपना व्याख्यान दिया।
डॉ. बर्त्वाल ने कहा कि गांधी का आदर्शवाद और यथार्थवाद बहुत महत्वपूर्ण था। वे जाति व्यवस्था के प्रबल विरोधी थे। वे वर्ण व्यवस्था के समर्थक थे। उनका कहना था की गांधी मानते थे कि वर्ण व्यवस्था से समाज में कार्यकुशलता आती है और समाज में अनावश्यक प्रतिस्पर्धा से मुक्ति मिलती है। वर्ण व्यवस्था कर्तव्य परायणता का बोध कराती है जबकि जाति व्यवस्था अस्पृश्यता के कारण समाज को नुकसान पहुंचाती है। डॉ. बर्त्वाल ने कहा कि धर्म के संबंध में भी गांधी के स्पष्ट विचार थे कि धर्म जोड़ता है तोड़ता नहीं। धर्म व्यक्ति को सत्य से साक्षात्कार कराता है इसलिए व्यक्ति का धार्मिक होना आवश्यक है।
परिसर निदेशक प्रो. एम.चन्द्रशेखर ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन से लाभान्वित किया। कार्यक्रम कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए निदेशक प्रोफेसर एम. चंद्रशेखर ने कहा कि आज महा दो महापुरुषों की जयंती है इस अवसर पर हम उन्हें श्रद्धांजलि व्यक्त करते हैं। उन्होंने कहा कि गांधी के आदर्श देश के लिए महत्वपूर्ण हैं। उनके आदर्शों में स्वर्णिम भारत का एक सपना था। गांधी के विचारों का पूरे देश ने मूल्यांकन करके उन्हें राष्ट्रपिता की उपाधि दी यह देश गांधी का अनुसरण कर रहा है और करता रहेगा। उन्होंने कहा कि गांधी ने सत्य अहिंसा और सत्याग्रह के बूते पूरे देश को बहुत कुछ दिया है पूरा राष्ट्र आज उनका आभार प्रकट कर रहा है।
सहायक पुस्तकालयाध्यक्ष नवीन डोबरियाल (कार्यक्रम सह संयोजक) के द्वारा धन्यवाद ज्ञापन किया गया। कार्यक्रम का आरम्भ लौकिक मंगलाचरण के द्वारा डॉ. दिनेश चन्द्र पाण्डेय ने किया। सञ्चालन, सभी का स्वागत, एवं प्रतिवेदन प्रस्तुत डॉ.अनिलकुमार (कार्यक्रमसंयोजक) द्वारा किया गया। सभी प्रकार की स्वच्छता की प्रतिज्ञा करते हुए शांति पाठ के साथ कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर डॉ.सच्चिदानंद स्नेही, डॉ.रामबहादुर दुबे,रघु बी. राज इत्यादि उपस्थित थे।