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उत्तराखंड सहकारिता विभाग की परियोजना ने पहाड़ के सब्जी किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए खोले द्वार

अकेले जौनपुर ब्लॉक से 30 अक्टूबर तक 30 टन सब्जियां खरीदी परियोजना ने

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सेहत लाभ पहाड़ी आबो हवा ही नहीं, वहां की सब्जियां भी आपकी सेहत के लिए किसी खजाने से कम नहीं हैं। आयुर्वेद में इन सब्जियों के औषधीय महत्व है। यह सब्जियां किसी हीरे – जवाहरात से कम नहीं है। उत्तराखंड सहकारिता विभाग के अधीन राज्य समेकित सहकारी विकास परियोजना टिहरी गढ़वाल जनपद के जौनपुर ब्लॉक के किसानों से उचित मूल्य देकर सहकारी समितियों के माध्यम से खरीद रहा है परियोजना का मकसद है कि पहाड़ी ताजी सब्जियां शहर में बसे लोगों को मिले। परियोजना ने ब्लॉक में थतयूड़ और अलमसत में कलेक्शन सेंटर बना दिए हैं रातोंकीवैली में कलेक्शन सेंटर बनाने पर काम चल रहा है जौनपुर में सफलता के बाद सकलाना बेल्ट में भी परियोजना यही काम करना जा रही है।

राज्य समेकित परियोजना ने जौनपुर के 1500 किसानों को इस नगदी फसल से जुड़े हुए हैं जौनपुर ब्लाक में खेड़ा, चुल्याणी , बांगर, ख्यालसी सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों से मटर ,गोभी, मूली, राय हरी सब्जियां, गुछि, बिच्छु बूटी, लिंगड़ी, लोंकी, आदि खरीद कर बाजार में दे रहे हैं।

राज्य समेकित सहकारी विकास परियोजना के मुख्य परियोजना निदेशक डॉ बीवीआरसी पुरुषोत्तम ने बताया है कि 31अक्टूबर तक 30.5 टन सब्जियां 13 लाख रुपये की बेची हैं।
डॉक्टर पुरुषोत्तम ने बताया कि परियोजना पंद्रह सौ किसानों को पहाड़ों में अच्छी जलवायु में सब्जी उत्पादन के लिए आर्थिक रूप से मदद कर रही है और उन्हीं लोगों से कोऑपरेटिव सोसाइटी के माध्यम से उचित मूल्य देकर सब्जियां खरीद रही है। सचिव डॉक्टर पुरुषोत्तम ने बताया कि कल 4 नवंबर को चंपावत में 92 किलो अदरक बेचा गया।
चंपावत में परियोजना किसानों के जरिए अच्छा अदरक की पैदावार कर रही है। कोऑपरेटिव वायर की अच्छी मार्केटिंग हो रही है। किसानों की आय दोगुनी हो रही है।

पहाड़ की नगदी फसल सब्जियां ही है।आराकोट से लेकर अस्कोट तक की राज्य की हिमालय बेल्ट के किसानों की तरक्की के लिए कोऑपरेटिव मिनिस्टर डॉ धन सिंह रावत
ने सब्जियों के लिए ठोस योजना बनाने की अधिकारियों को निर्देश दिए हैं डॉ रावत ने कहा है कि जौनपुर और चंपावत जैसा प्रयोग अन्य ब्लॉकों में भी किया जाएगा। उन्होंने बताया कि कई ऐसे ब्लॉक है जहां से सब्जियों का माल भाड़ा कम पड़ेगा, उन्हें चिन्हित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के पहाड़ी हिस्सों की सब्जियों की डिमांड बड़े महानगरों में है। इसको दृष्टिगत रखते हुए परियोजना सब्जियों पर काम कर रही है।

परियोजना के अधिकारियों को जौनपुर ब्लॉक में पहले बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ा। क्योंकि सब्जी आढ़तियों की वहां एकछत्र राज, दादागिरी थी। कॉपरेटिव परियोजना ने किसानों के सामान को लेने के लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ा दी है कॉपरेटिव घर बैठे बारदाने के साथ किसानों को रेट दे रहा है जबकि आढ़ती 6% आढत और ट्रांसपोर्टेशन काटता है। यदि किसान का आलू का बोरा औसतन 52 किलो का होता है उसे आढ़ती 48 किलो का ही दिखाता है जबकि कोऑपरेटिव सेक्टर में आलू या अन्य सब्जियां कलेक्शन सेंटर में किसानों के सामने तोली जाती हैं और कोऑपरेटिव सेक्टर किसानों को बोरा वारदाना वापस भी करता है।

पहाड़ी सब्जियों के लिए बड़े-बड़े नामी लोगों ने स्वयं के पहाड़ों पर खेत भी लिए हुए हैं। जिसमें मशहूर डॉक्टर नरेश त्रेहान भी शामिल हैं। डॉक्टर त्रेहान ने हिमाचल और उत्तराखंड में सब्जी और फ्रूट, चावल की पैदावार के लिए अपने कर्मचारियों को रखा हुआ है। वही सब्जियां और फ्रूट, त्रेहान के लिए न्यू दिल्ली और गुड़गांव जाते हैं। लेकिन उत्तराखंड सहकारिता विभाग की परियोजना त्रेहान जैसे खेतों से निकली हुई सब्जियां को लोगों को देना चाहती हैं और इस पर काम हो रहा है।

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मटर

मटर खाने के फायदे में वजन घटाना भी शामिल है। कारण यह है, कि इसमें काफी प्रचुर मात्रा में फाइबर पाया जाता है। साथ ही इसमें कैलोरी की मात्रा काफी कम होती है। इसलिए, इसके उपयोग से पेट जल्दी भरता है और जल्दी भूख का एहसास भी नहीं होता। इस तरह इसका इस्तेमाल आपको मोटापे से छुटकारा पाने में मददगार साबित हो सकता है । कैंसर में फायदेमंद विशेषज्ञों के मुताबिक, मटर में एंटीऑक्सीडेंट के साथ कई ऐसे पोषक तत्व मौजूद होते हैं, जिनमें कैंसर से बचाव करने के गुण पाए जाते हैं। इस कारण मटर खाने के फायदे में कैंसर की समस्या से बचाव भी शामिल किया जा सकता है
प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है मटर खाने के फायदे में शरीर की प्रतिरोधक क्षमता का विकास भी शामिल है। दरअसल, मटर में प्रचुर मात्रा में मैग्नीशियम मौजूद होता है  वहीं विशेषज्ञों का मानना है, कि मैग्नीशियम शरीर में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक सिद्ध होता है  इस कारण ऐसा माना जा सकता है, कि इसका नियमित इस्तेमाल रोगों से लड़ने की क्षमता को बढ़ाने में मददगार साबित हो सकता है।

गोभी

हृदय को स्वस्थ रखने में कारगर होती है। क्रुसिफेरस सब्जियां कार्डियोवैस्कुलर डिजीज यानी हृदय रोगों से बचाव में सहायक हो सकती हैं। क्रुसिफेरस सब्जियां ब्रैसिका प्रजाति से संबंधित होती हैं, जिसमें फूलगोभी भी शामिल है। यह जानकारी एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) की वेबसाइट पर प्रकाशित में शोध में उपलब्ध है। इसमें कहा गया है कि क्रुसिफेरस सब्जियों में प्राकृतिक रूप से आइसोथियोसाइनेट्स (Isothiocyanates) नामक मॉलिक्यूल पाया जाता है। यह मॉलिक्यूल हृदय को स्वस्थ रख सकता है। इसलिए, कहा जा सकता है कि फूल गोभी खाने के फायदे हृदय के लिए लाभकारी हो सकते हैं। 

मूली

सर्दियों में यदि रोजाना मूली (Radish) खाएंगे तो आपकी इम्यूनिटी काफी मजबूत होगी और आप सर्दी-खांसी जैसी परेशानियां से भी बच सकेंगे.मू​ली खाने से दिल से जुड़ी बिमारियों को भी खतरा कम होता है. क्योंकि मूली में एंथेसरनिन पाया जाता है जो कि दिल की बी​मारी के स्तर को कम करने में मदद करता है.सर्दियों में मूली खाने से पाचन तंत्र भी मजबूत होता और खाना अच्छे से डाइजेस्ट हो जाता है.यदि आपके घर में कोई डायबिटीज का मरीज है तो उसके लिए मूल का सेवन काफी अच्छा है. मूली खाने से ब्लड शुगर की मात्रा काफी हद तक कम होती है. लेकिन हाई ब्लड शुगर वालों को मूली का सेवन नहीं करना चाहिए. ऐसे में एक बार डॉक्टर से सलाह जरूर लें.यदि आप शारीरिक रूप से थका हुआ महसूस कर रहे हैं तो मूली का रस पीएं. मूली के रस को गर्म कर उसके थोड़ा सा सेंधा नमक मिलाकर गरारे करना भी फायदेमंद है.अगर आपके दांत पीले हो रहे हैं तो मूली के छोटे-छोटे टुकड़े कर उन पर नींबू का रस डालें और दांतों पर घिसे. मूली का नियमित रूप से सेवन करने से किडनी और लिवर स्वस्थ रहते हैं. साथ ही इसे खाने से भूख भी बढ़ती है.

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हरी सब्जी राय , पालक

हरी सब्जियां खाने की पैरवी आयुर्वेद से लेकर विज्ञान तक करता है। हरी सब्जियों के अंदर भारी मात्रा में फाइबर, विटामिन्स और मिनरल्स होते हैं। ऐसे कई शोध हो चुके हैं जो बताते हैं कि हरी सब्जियों के जरिए कैंसर और हृदय से संबंधित समस्या से बचा जा सकता है।

लेकिन आज भी लोग इस बात को लेकर दुविधा में रहते हैं कि हरी सब्जियां ज्यादा बेहतर है या हरे पत्तेदार सब्जियां । इस पर आज हम आपको विशेषज्ञ की राय लाए हैं। चलिए विशेषज्ञ के नजरिए से समझते हैं क्या है आपके लिए बेहतर। किसमें कितना कार्ब्स अपनी डाइट में कार्ब्स की मात्रा का ध्यान अक्सर वह लोग रखते हैं जो या तो अपने आप को मेंटेन कर रहे हों, या फिर वजन कम करने की कोशिश कर रहे हों। ऐसे लोगों के लिए हरी पत्तेदार सब्जियां ज्यादा फायदेमंद हैं। क्योंकि इनके अंदर कम कार्ब्स होता है। जबकि हरी सब्जियों में कार्ब्स की मात्रा थोड़ी अधिक होती है। उदाहरण के लिए लौकी को ही ले लीजिए, एक कप लौकी में 8.4 ग्राम कार्ब्स होता है, जबकि एक पालक में महज 4 ग्राम कार्ब्स होता है। पोषक तत्वों का धनी कौन इस बार भी बाजी हरी पत्तेदार सब्जियां ही ले गई। कुछ समय पहले हुई रिसर्च में दोनो तरह की सब्जियों को लिया और इन दोनों में पाए जाने वाले पोषक तत्वों और मिनरल्स की जांच की गई। इसके जरिए पता चला कि हरे पत्तेदार सब्जियों में हरी सब्जियों के मुकाबले पोषक तत्वों की मात्रा दोगुनी होती है।

मौसम अनुकूल न होने के कारण यूं तो पहाड़ पर बहुत कम सब्जियां उगाई जा सकती हैं। पर कुछ सब्जियां यहां अपने-आप उग आती हैं, जो पहाड़ी सब्जियां कहलाती हैं। ये न सिर्फ खाने में स्वादिष्ट होती हैं, बल्कि पोषक तत्वों से भी भरपूर होती हैं। देश-विदेश में मांग बढ़ने के कारण अब तो यहां के किसानों द्वारा उगाई भी जाने लगी हैं।

पौष्टिकता का खजाना हैं ये पहाड़ी सब्जियां 

गुच्छी

कम करती है कैंसर का जोखिम कैंसर सहित कई रोगों के इलाज में प्रयोग होने के कारण पहाड़ी सब्जी गुच्छी 20 हजार रुपये किलो की दर से मिलती है। गुच्छी को पहाड़ पर सब्जियों की रानी कहा जाता है। क्यों न कहा जाए? मशरूम प्रजाति की गुच्छी बाजार में 15000-20000 रुपये किलो तक बिकती है। गुच्छी पहाड़ पर काफी ऊंचाई वाले क्षेत्र में मिलती है। यह घने जंगलों में प्राकृतिक रूप से मिलती है।गुच्छी की कीमत अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों में बीस हजार से भी ज्यादा है।औषधीय गुणों से भरपूर गुच्छी अब पहाड़ों पर भी कम मात्रा में मिलती है। मधुमक्खी के छत्ते के आकार वाली गुच्छी में 32.7 प्रतिशत प्रोटीन, 2 प्रतिशत फैट, 17.6 प्रतिशत फाइबर पाया जाता है। इसमें कार्बोहाइड्रेट की मात्रा 38 प्रतिशत होती है। इसे एंटी इन्फ्लेमेटरी माना जाता है। यह गठिया के कारण होने वाली सूजन को कम कर सकती है। यह शरीर के किसी भाग में बनने वाले ट्यूमर के डेवलपमेंट को रोक सकती है। इसके खाने से स्तन कैंसर की संभावना कम हो जाती है। गुच्छी की सब्जी को नियमित रूप से खाने पर हार्ट प्रॉब्लम्स दूर हो सकते हैं। इसमें विटामिन-बी, विटामिन-सी, विटामिन-के भरपूर मात्रा में पाई जाती है।

बिच्छू बूटी

एथेरोस्क्लेरोसिस से बचाती है बिच्छू बूटी की झाड़ियां पहाड़ पर नमी वाली जगहों पर पाई जाती हैं। सड़क के किनारे या पहाड़ी नालों के आस-पास अपने-आप उगती है बिच्छू बूटी। इसकी साग या सब्जी बनाई जाती है। इसे तोड़ने में बेहद सावधानी बरती जाती है, क्योंकि पौधे के रोम में फॉर्मिक एसिड पाया जाता है। इसलिए जब हमारे शरीर का कोई भी अंग इस बूटी से टच हो जाता है, तो बिच्छू के डंक मारने जैसी पीड़ा और जलन होती है। 

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इसमें विटामिन ए, विटामिन बी, विटामिन डी, विटामिन बी6, मैग्नीशियम, पोटैशियम, कैल्शियम, आयरन, फाॅस्फोरस, सोडियम, जिंक, कॉपर, मैंगनीज, राइबोफ्लेविन के साथ-साथ एंटीऑक्सीडेंट एलिमेंट भी पाए जाते हैं। बिच्छू बूटी में इथेनॉलिक एक्सट्रैक्ट (Ethanolic extract) मौजूद होता है। इसका इस्तेमाल एथेरोस्क्लोरोटिक से बचाव में किया जाता है। एथेरोस्क्लेरोसिस से हार्ट अटैक या दूसरी दिल संबंधी बीमारियां हो जाती हैं। बिच्छू बूटी में मौजूद मैग्नीशियम और पोटैशियम दिल को स्वस्थ रख सकता है। इसमें हेपेटोप्रोटेक्टिव गुण मौजूद होता है। इससे लिवर संबंधी समस्या से बचाव हो सकता है। मौसम बदलने पर बुखार या एलर्जी होने पर बिच्छू बूटी का सेवन किया जाता है। 
पीरियड के दौरान अत्यधिक फ्लो होने तथा पीरियड संबंधी कई छोटी-मोटी समस्याओं को दूर कर सकती है बिच्छू बूटी। इसमें मौजूद कैल्शियम और विटामिन डी हड्डियों को मजबूत बनाने में फायदेमंद हो सकता है।

लिंगड़ी

लिंगड़ी की सब्जी खाने से  हड्डियां और मांसपेशियां मजबूत होती हैं। यह पहाड़ों की खास सब्जी है और महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए बहुत उपयोगी भी है। लिंगड़ी, कसरोड़ या फर्न की तासीर बहुत गर्म होती है, इसलिए ज्यादातर लोग सर्दियों में इसका सेवन करते हैं। वहीं इसे स्वास्थ्य अनुकूल बनाने के लिए इसमें दही मिलाकर पकाया जाता है। असल में इस सब्जी में विटामिन ए, विटामिन बी काॅम्प्लेक्स, फाॅस्फोरस, मैग्नीशियम, पोटैशियम, कॉपर, आयरन, फैटी एसिड, सोडियम, कैरोटिन भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। जिससे यह हर उम्र के लोगों के लोगों को पोषण प्रदान करती है। सब्जी तैयार करने से पहले इसकी अच्छे से सफाई की जानी जरूरी है। पेट की गर्मी से होने वाली तमाम बीमारियां जैसे अपच, कब्ज और स्किन रैश के उपचार में यह लिंगड़ी राहत देती है। इसके साथ ही यह डायबिटीज, लिवर और आंतों की समस्या में भी फायदेमंद है। आपकी स्किन को हेल्दी बनाए रखता है कसरोड़। यदि लिंगड़ी की जड़ को पीसकर फोड़े-फुंसी पर लगाया जाए तो यह बहुत आराम देता है। आंतों में सूजन आने पर इसकी डंठल को पानी में उबाल कर खाने से आराम मिलता है। लिंगड़ी की सब्जी खाने से हड्डियां और मांसपेशियां मजबूत होती हैं। यह गठिया के इलाज में भी कारगर है। इसकी जड़ को पीसकर दर्द वाले स्थान पर लगाया जाता है।

लोंकी

ब्लड प्रेशर करती है कंट्रोल करती है। हरे सेब जैसा दिखने वाला लंकू विटामिन और मिनिरल्स से भरपूर होता है। इसकी जड़, फल, बीजों और पत्तियों को इस्तेमाल में लाया जाता है। इसमें कॉपर, विटामिन बी 6, विटामिन सी, विटामिन बी 5, मैंगनीज भी पाया जाता है। इसमें ट्रिप्टोफैन, थ्रेओनीन, ल्यूसिन और लाइसिन जैसे एमिनो एसिड पाए जाते हैं। पत्तियों या फलों से बने काढ़े का प्रयोग यूरीन प्रॉब्लम्स और किडनी में स्टोन की बीमारी को ठीक करने में किया जाता है। हाई ब्लड प्रेशर के मरीज को इसके फल से तैयार सब्जी को खाना चाहिए तथा इसकी पत्तियों से तैयार हर्बल टी पीनी चाहिए। इससे बीपी कंट्रोल रहता है। यह एंटी इन्फ्लामेट्री भी होता है।

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