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पद्मश्री प्रीतम भरतवाण की समधिण ने जमाई सोशल मीडिया पर धाक,दस दिन में दर्शकों का आंकड़ा पहुंचा पांच लाख,गीत में लोक संस्कृति परंपरा और खून के रिश्तों की छाप


दीपक कैन्तुरा,रैबार पहाड़ का

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  • गीत में बेहतरीन अभिनय किया गया है और लोकेशन भी दिल छूने वाली है
  • • गीत में भरतवाण जी ने अपनी बोली भाषा संस्कृति,रिश्तो को बहुत ही बेहतर ढंग से छूने का सफल प्रयास किया है
  • • भरतवाण ने गागर में सागर भरने का प्रयास किया गया जडवांन गीत में,
  • • गीत संगीत दिल छू रहा है और गीत में किया गया मुकेश घनसेला शर्मा और शिवानी भंड़ारी का अभिनय लोगों के दिल में अलग छाप छोड़ रहा है ।
  • • जडवांन गीत समाज को अपनी लोक परंपरा संस्कृति की जड़ों से जोड़ता गीत है
  • • बणों की घसेरी से लेकर शादी विवाह मांगलिक कार्यों से लेकर सात समुद्रपार तक गूज रहा जडवांन गीत
  • युवा उभरती लोक गायिका अंजली खरे की आवाज भी दर्शकों के दिल को छू रही

देहरादून: उत्तराखंड को देव भूमि और वीर भूमि के नाम से और यहां की कला संस्कृति और प्राकृतिक सुंदरता के लिए दुनिया में अपनी एक अनूठी छाप है। और इस छाप को आगे बढ़ाने का काम यहां के लोक कलाकारों ने किया है इसमें एक नाम स्वनामधन्य पद्मश्री जागर सम्राट प्रीतम भरतवाण का है भरतवाण ने अपने जागरों के माध्यम से उत्तराखंड की लोक संस्कृति जागर पंवाड़े गीत, लोक वाद्य यंत्रों को विश्व पटल पर पहुंचाया है, इसके अलावा प्रीतम भरतवाण ने अपने गीत के माध्यम से उत्तराखंड की लोक संस्कृति लोक गाथाएं लोकजागरों पुनर्जीवित करने का काम समय-समय पर किया है, ।

इसका जीता जागता उदाहरण पिछले दिनों उनका एक गीत जडवान उनके Pritam bhartwan official channel you tube चैनल पर रिलीज हुआ गीत रिलीज होते होते ही इतना लोकप्रिय हो गया की जिस की लोकप्रियता का अंदाजा लोगों की फेसबुक वाल व्हाट्सएप स्टेटस और इंस्टाग्राम पर रील से लगाया जा सकता है आते ही यह गीत लोगों के दिल को छू गया,अब चाहिए बच्चे बुजूर्ग युवा इस गीत को गुनगुना रहे हैं ,मात्र 10 दिनों में यह गीत अपनी लोकप्रियता की नई ईबारत लिख रहा है और लोगों में एक अलग पहचान बना रहा है।
जब से यह गीत रिलीज हुआ तब से बच्चे बूढ़े जवान इस गीत पर खूब रील बना रहे हैं और ये रील लोकप्रिय हो रही हैं पद्मश्री प्रीतम भरतवाण का ये गीत मात्र 10 दिन के अंतराल में 500000 (पांच लाख) लोगों ने देख लिया है जो एक बड़ी उपलब्धि है और लगातार इस गीत को लोग पसंद कर रहे हैं और देख रहे हैं रैबार पहाड़ की टीम ने गीत रिलीज होते गीत का का मूल्यांकन किया था कि यह गीत बड़े उच्च स्तर का गीत है और इस गीत में हमारी परंपरा संस्कृति नाते रिश्तेदारी की गहरी छाप है। इस गीत को लेकर और फेसबुक पेज पर और यूट्यूब पर अलग-अलग प्रतिक्रिया सामने आ रही है जो इस प्रकार से हैं।

लोक संस्कृतिं की गहरी जानकारी रखने वाले शोधकर्ता

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डॉ.वीरेंद्र बर्तवाल ने गीत की समीक्षा इस प्रकार से की


प्रीतम जी के इस गीत में हमारी परंपरा का निर्वाह हुआ है। पहाड़ में किसी शुभकार्य में रिश्तेदारों और धियाणियों को निमंत्रित करने की प्रथा है। इसमें समधी स्वयं समधिन को न्योता देने जा रहा है जो हमारे पारिवारिक लोक भावनात्मक रिश्तों की एहमियत को एहसास कराता है , संगीत बेहतर है,संगीतमय संवाद भी उत्कृष्ट है। फिल्मांकन प्रासंगिक और आकर्षक है।
-डॉ.वीरेन्द्रसिंह बर्त्वाल (लेखक एवं लोकसंस्कृति के जानकार)


इस गीत पर देश विदेश से हजारों प्रतिक्रियाएं सामने आरही हैं और हर कोई तारीफ करते नजर आ रहा है कुछ प्रतिकियाओं के स्क्रीन शॉट्स आप के सामने हैं, वहीं इस गीत के बारें में जानने के लिए जब हमने गीत के डायरेक्टर विजय भारती से बातचीत की कि आप का इस गीत को लेकर क्या अनुभव रहा तो उनहोंने बताया कि।

गीत के डायरेक्टर विजय भारती ने क्या कहा


पद्मश्री प्रीतम भरतवाण जी के इस गीत में उत्तराखण्ड़ की लोक संस्कृति और परंपरा से जुड़ा गीत है भले जडवान शब्द पूराणा हो लेकिन वह पहली बार उत्तराखण्ड़ के लोकगीतों में प्रयोग किया गया है , गीत के फिल्मांकन को गीत के हिसाब से वास्तविकता दिखाने की कोशिश की गई है,जितना कर्णप्रिय गीत है उतना ही सुंदर मुकेश घनसेला शर्मा और उत्तराखण्ड़ की उभरती युवा अभिनेत्री शिवानी भंड़ारी ने परिपक्वता के साथ बेहतरीन अभिनय किया गया जबकि कई कलाकारों को इस गीत के लिए परखा गया था लेकिन मुकेश घनसेला और शिवानी की इस जोड़ी को गीत के लिए चुना गया,और यह चुनाव सही साबित हुआ क्योंकि ये कलाकार किरद्वार को जीते हैं है,टेक्निकल की बात करें तो हाईटेक कैमरों का प्रयोग किया गया जो उत्तराखण्ड़ की फिल्मों में प्रयोग किया जाता है,और दो दिन तक इसकी शूंटिंग रौतु की बेली में की गई जो एक बेहतरीन लोकेशन है। कई दिक्कतें हुई लेकिन अब परेशानी सफलता में बदल गई इस गीत में पूरी टीम का भरपूर सहयोग रहा,और जनता का भरपूर सनेह सहयोग मिल रहा है।

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गीत में समधी का किरदार निभा रहे मुकेश घनसेला ने क्या कहा ?


लगभग 18 वर्षों से वॉलीवुड़ और उत्तराखण्ड़ के सिनेमा जगत में अपनी बोली भाषा संस्कृति के लिए लगातार कार्य कर रहे मुकेश घनसेला ने कहा की वैसे मैंने दर्जनों फिल्मों सैकड़ो एल्बमों वॉलीवुड़ फिल्मों में अभिनय किया लेकिन में अपना सौभाग्य समझता हूं की पद्मश्री प्रीतम भरतवाण जी के इसगीत में मुझे अभिनय करने का सौभाग्य मिला इसगीत में भरतवाण जी ने विलुप्त और गूढ़ शब्दों को संजोने का प्रयास किया और मै भरतवाण जी का इस बात के लिए विशेष धन्यवाद करता हूं इस गीत के मूल में नाती की जडवांन है
गीत में भरतवाण जी ने बहुत ही हृदय स्पर्शी सुरों में गाया है जब एडिटिंग पर हम साथ थे तो मैने भरतवाण जी को सुझाव दिया कि क्या शानदार शब्द से आपने नई पीढ़ी को परिचित कराया इसलिये शीर्षक भी यही अच्छा लग रहा तो वे मुस्कुराये और कहा कि यही टाइटल (शीर्षक) होगा शानदार है नाम , इस गीत से मुझे अभिनय के क्षेत्र में एक नई पहचान मिली।


गीत में समधिंण का अभिनय कर रही युवा उभरती अभिनेत्री शिवानी भंड़ारी ने क्या कहा ?


में बहुत सौभग्य भाग्याशाली हूं मुझे पद्मश्री प्रीतम भरतवाण जी के गीत में अभिनय करने का परम सौभाग्य प्राप्त हुआ है मै भरतवाण सर की बहुत बड़ी फैन हूं बच्चपन से उनके गीतों को सुनती हूं और गुनगुनाती हूं लेकिन अब तो उनके गीतों में अभिनय करने का मौका मिला है ,इस गीत में समधिणी के किरदार से उत्तराखण्ड़ के लोगों के बीच मुझे नई पहचान मिली है इस गीत में प्रीतम भरतवाण जी ने विलुप्त होते शब्दों को संजोया है और नई पीढ़ी को जडवान शब्द को पहुंचाया है जो शब्द विलुप्त होने की कगार पर था लेकिन भरतवाण जी के इस गीत ने जडवांन शब्द को लोक संस्कृति और नई पीढ़ी में जिंदा कर दिया है, मै लगभग पांच साल से लोक संस्कृति और उत्तराखण्ड़ी फिल्मों के लिए अभिनय कार्य कर रही हूं मैंने बौड़ी गी गंगा,थोकदार,प्रधनी जी, और धारी देवी में भी अभिनय किया लेकिन जब से ये गीत रिलिज हुआ तब से लोग मुझे समधिण करके बुला रहे हैं में तमाम दर्शकों का भी धन्यवाद करती हूं जो हमारे इस गीत को अपना इतना अथाह प्यार दे रहे हैं।

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इस गीत में समधी और समधणी का संवाद है गीत में समधी अपनी समधीणी को कहते हैं कि नाती की जडवांन है यानी चूड़ाकर्म मुंडन है आपको चलना पड़ेगा, और मै आपको लेने आ रखा हूं लेकिन समधीण कहती है कि मेरी भैंसी(भैंस) गर्भवती है जिसे गढ़वाली बोलदन ब्याणक है इसलिए मै अपनी भैंस को नहीं छोड़ सकती हूं और अगली बार पक्का में दो चार दिन के लिए रहने आऊंगी। वहीं समधी कहता है कि बेटा बहु और नाती पोते प्रदेश रहते हैं और महीने या 6 महिने में घर आते हैं और नाती को पांचवा साल लग गया चौक तिबारी सजा दी है आपको चलना पड़ेगा लेकिन समधीण कहती है मेरी मंजबूरी है,लेकिन जब समधी समधीण बहुत अनुरोध करते है तो अब समधीण को लगता है कि जब समधी इतना कह रहे हैं तो अब तो जाना ही पड़ेगा इस के लिए तब समधीण अपनी देवरानी को पूछती है कि मेरी भैंस भी देखना मेरे नाती का मुंड़न है ,और नौनी जवैं घर आ रखे हैं उनके पास जाकर उनकी खुद भी मिटाऊंगी और नाती को अपने हाथ से खगवाली, धागूली पहनाऊंगी ..इस गीत में जहां स्नेह भाव मे मधुर हास्य है वहीं गांव की हकीकत है और हमारे रीति-रिवाजों और मेल मिलाप की छाप है ,और रिश्तों का महत्व क्या होता है इस गीत में दर्शाया गया जबकि आजकल मोबाइल के जमाने में फोन कर देते हैं या वटसप पर निमंत्रण भेज देते हैं जिससे धीरे धीरे रिश्तेदारों को आधार सम्मान के साथ घर पर बुलाने की परंपरा खतम होने की कगार पर है..लेकिन जागर सम्राट पद्मश्री प्रीतम भरतवाण ने इन यादों को एक बार फिर ताजा कर दिया है। इस गीत को स्वयंम प्रीतम भरतवाण ने लिखा एवं गाया और संगीत दिया और उनके साथ युवा उभरती गायिका अंजली खरे ने अपनी मधुर आवाज से सजाया है बाल कलाकार: ऋतिका कलाकार और मेक अप: क्रिस्टी नेगी सह कलाकार: अनामिका सेमलियाट, संगीत अरेंजर: पवन गुसाईं रिदम: सुभाष पांडे, डीओपी/संपादक: नागरेंद्र प्रसाद ,प्रोडक्शन प्रबंध: राय सिंह रावत, अभिनीत: मुकेश शर्मा घनसेला और शिवानी भंडारी,निर्देशक: विजय भारती, तकनीकी सलाहकार: सच्चिदानंद सेमवाल लेबल: प्रीतम भरतवाण आधिकारिक चैनल, बहुत समय बाद जागर सम्राट प्रीतम भरतवाण ने धमाकेदार गीत गाया जिसका परिणाम है की मात्र 10 दिन में 500000 लोगों ने यह गीत देख लिया है।