वीरेंद्र चौधरी,रूड़की



रुड़की। श्रावण मास की कांवड़ यात्रा अब अपने चरम पर है। धर्मनगरी बम-बम भोले के जयकारों में गूंज रही है। हर गली और सड़क पर केसरिया रंग के वस्त्र धारण किए कांवड़िए ही नजर आ रहे हैं। कांवड़ यात्रा के आठवें दिन गुरूवार को 35 लाख कांवड़िए गंगाजल लेकर अपने घरों की ओर रवाना हुए। वहीं अब तक एक करोड़ आठ लाख 70 हजार शिव भक्त गंगाजल लेकर जा चुके हैं।

कांवड़ यात्रा में भिवभक्तों की आस्था देखते ही बनती है। इस दौरान पैदल मार्ग पर आस्था के कई रंग नजर आ रहे हैं, यहां कोई कंधे पर कांवड़ उठाकर मंदिर में जलाभिषेक के लिए पहुंच रहे हैं तो कोई शरीर के बल रेंगते हुए मंदिर में पहुंच रहे हैं, तो कोई कलयुग के श्रवण कुमार बनकर अपने माता-पिता को कांवड़ में बैठाकर यात्रा करवा रहे हैं। इस बीच एक ऐसे भी शिवभक्त हैं जिनकी शिव के प्रति आस्था को देखकर आप अपने दांतों तले उंगली दबा लेंगे।

ये भोले के भक्त हैं हरियाणा के जोगिंदर गुज्जर, जिन्होंने अपनी पीठ पर लोहे के कुंडे गुदवाए हुए हैं, जिसके सहारे वह करीब डेढ़ कुंतल वजन की कांवड़ खिंचकर अपने गंतव्य की ओर बढ़ रहे हैं। हरिद्वार से हरियाणा के कैथल जनपद के केयोडक गांव की पद यात्रा के लिए निकले जोगिंदर गुज्जर का कहना है कि ये प्रेरणा उन्हें उनके उस्ताद देशराज से मिली है, जो टाई क्वांडो कोच हैं और वह उन्हें स्टंट सिखाते हैं। उन्होंने बताया जैसे बजरंग बली हनुमान ने अपना सीना चीरकर श्रीराम का वास अपने सीने में दिखाया था, उसी तरह भगवान शिव के प्रेम में वह अपनी पीठ पर लोहे के कुंडे गुदवाकर कांवड़ खींच रहे हैं। ये सब वह भगवान शिव के प्रेम में कर रहे हैं। जोगिंदर ने बताया कि जैसे ही वो ये कावड़ उठाते हैं तो भोले का नाम लेते हैं, इममें उन्हें कोई दर्द नहीं होता है और ना ही किसी की याद आती है।
बता दें जोगिंदर पेशे से एक प्लम्बर हैं और अपने उस्ताद देशराज के पास रहकर टाई क्वांडो सीख रहे हैं। जोगिंदर के उस्ताद क्वांडो कोच देशराज ने बताया कि हरिद्वार से हरियाणा बॉर्डर तक इस कांवड़ को जोगिंदर लेकर जाएंगे। उससे आगे वह स्वयं ही इसी तरह इस कांवड़ को शिवमन्दिर तक पहुंचाएंगे। देशराज ने बताया कि उन्होंने कावड़ यात्रा से पहले वाल्मीकि जयंती पर कमर में कुंडी डालकर एक बड़ा ट्रक भी खींचा था, जिसके बाद मन में विचार आया कि जब हम इतना बड़ा ट्रक खींच सकते हैं तो इस कावड़ में तो सिर्फ डेढ़ से दो कुंतल वजन है।
नंगे पैर कांवड़ करना लोगों को मुश्किल लगता होगा, लेकिन शिव भक्त हरियाणा के जोगिंदर को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि उनके लिए उनके आराध्य कितने महत्वपूर्ण होते है, जिनकी भक्ति में वो अपना दर्द भूल जाते हैं।