गोलू(नीरज) को तलाशती रही माँ की आँखे पर ..विधाता को तो कुछ और ही मंजूर था

गोलू(नीरज) को तलाशती रही माँ की आँखे पर ….

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दीपावली अवकाश के पश्चात आज सुबह जब मैं रामनगर से अपनी कार में अपने विद्यालय की ओर आ रहा था तो लगभग प्रातः 8:30 बजे के लगभग जैसे ही मरचूला पार करके गौलीखाळ वाली सड़क पर पहुँचा तो दो लोग सड़क पर हांफते हुए दौड़ रहे थे। उन्होंने मुझे हाथ दिया मैंने गाड़ी रोक दी मेरे कुछ पूछने से पहले ही उन्होंने बताया कि सामने ही गहरी खाई में बस गिर गई है। कुछ मिनट पश्चात ही हम घटनास्थल पर पहुँचे तो देखा कि बराथ-किनाथ से रामनगर जाने वाली यात्री बस दुर्घटनाग्रस्त होकर नीचे नदी में पहुँची हुई है। हम दौड़ते- दौड़ते नदी में पहुँचे तो वहाँ जो बीभत्स मंज़र अपनी आँखों से आज देखा ईश्वर न करे भविष्य में कभी देखना पड़े।

वहाँ हम जितने भी स्थानीय लोग मौजूद थे हमने घायलों को निकालना प्रारंभ किया घायलों में कुछ की हालत बहुत खराब थी। घायलों को दिलासा दिलाते हुए हमने उन्हें सड़क तक पहुँचाया। घायलों को सड़क तक पहुँचाने में एक स्थानीय पिकअप और जिप्सी वाले महाशय ने बहुत मदद की। दृश्य बहुत दुखद व भयावह था। सबसे दुखद बात यह थी की बस में अधिकतर सवारियां 18 से 40 वर्ष के युवा थे। उनमें भी अधिकतर कॉलेज में पढ़ने वाले विद्यार्थी थे जो दीपावली अवकाश के पश्चात अपने विद्यालयों को लौट रहे थे।

आज की जो घटना मरचूला के पास घटी इस घटना ने कई घरों के चिरागों को सदैव के लिए बुझा दिया। जब हम घटनास्थल की ओर जा रहे थे तो हमारे पीछे एक महिला बदहवास हालत में रोते-बिलखते आ रही थी। उस समय हम बहुत जल्दी में थे इसलिए गौर नहीं किया की कौन है किंतु जब घटना स्थल पर पहुँचे और उन्हें गौर से देखा तो वह हमारे पूर्व विद्यार्थी नीरज ध्यानी (गोलू)की माताजी थी। वह रोते बिलखते सभी से गुहार लगा रही थी मेरे गोलू को बचा लो। बस से जैसे-जैसे घायलों को निकाला जा रहा था मैं भी प्रार्थना कर रहा था हे भगवान ! बस के अन्दर से गोलू सुरक्षित निकल जाये। एक-एक करके बस से सबको बाहर निकाला गया लेकिन उनमें गोलू नहीं था। हम कयास लगा रहे थे हो सकता है गोलू ऊपर कहीं छिटक गया हो। झाड़ियों में सभी जगह तलाशा किंतु गोलू कहीं नहीं मिला। हम सभी की आस पर तब पानी फिर गया जब अंत में एस.डी.आर.एफ. की टीम ने बस को कटर से काटकर बस में बुरी तरह फंसे जिन चार लोगों को बाहर निकाला उनमें हमारा गोलू भी था। काल के क्रूर हाथों ने गोलू को सदैव के लिए छीन हमसे लिया था। अभी कुछ माह पूर्व की गोलू के पिताजी व दादी जी का भी निधन हुआ है। आज की इस घटना में गोलू के मामा का बेटा छोटू भी काल का ग्रास बन गया। गोलू की माँ के ऊपर तो जैसे दुखों का पहाड़ टूट चुका है। सोचकर मन बहुत ब्याकुल है कि पहले ही गम से अंदर तक टूट चुकी बेचारी गोलू की माँ अपने इकलौते लाड़ले के अपने से दूर होने के इस दुःख को कैसे सह पायेगी।

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मैंने सिमड़ी बीरोंखाळ में बारातियों की बस दुर्घटना के बाद भी यह सुझाव दिया था कि उत्तराखण्ड सरकार को स्थानीय स्तर पर युवाओं की टीम गठित करके उन्हें SDRF से आपदा प्रबंधन का प्रशिक्षण देना चाहिए। उन युवाओं को उचित मानदेय भी देना चाहिए। उन्हें आपदा से निपटने हेतु आवश्यक उपकरण देने चाहिए क्योंकि जब भी कहीं दुर्घटना घटती है सबसे पहले स्थानीय लोग ही घटनास्थल पर पहुँच कर बचाव व राहत का कार्य करते हैं। पुलिस , SDRF व NDRF को वहाँ पहुँचने में बहुत समय लग जाता है। आज भी SDRF की टीम घटना के लगभग तीन घंटे बाद घटनास्थल पर पहुँची तब तक लगभग सभी लोगों को निकाला जा चुका था। हमें बचाव कार्य में आवश्यक उपकरणों की बहुत जरूरत महसूस हो रही थी। घटना स्थल पर मात्र एक दो स्ट्रेचर ही मौजूद थे। कटर पहले से होता तो शायद कुछ और लोगों की जान बच सकती थी।

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इस दुःखद घटना ने मुझे अंदर तक झकझोर कर रख दिया। लाख चाहने के बाद भी आँखों के आगे से वह बीभत्स दृश्य ओझल ही नहीं हो पा रहा है। मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि इस घटना में जितने भी घायल हुए हैं वे शीघ्र स्वस्थ हों व इस दुर्घटना में जिन्होंने अपनी जान गंवाई है ईश्वर उन्हें अपने चरणों में स्थान दें व उनके परिवार जनों को दुःख सहने की शक्ति दे। 🙏🏻

धर्मेंद्र सिंह नेगी की फेसबुक वॉल से