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मेंदी रात काॅकटैल, प्रसिद्ध युवा कवि अनिल नेगी की व्यंगात्मक शानदार कविता: आप भी सुणा

अनिल नेगी, प्रसिद्ध युवा कवि,जखोली, रूद्रप्रयाग

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@ चकलश
न्यूतो-पत्रु, पौ-पिठैं त हे रां कैन कन छौ
टैंटा भितर त किरमुळु बि झांझ मा टन्न छौ
खूब खदड़-बदड़ ठैरीं छै मेरि अपड़ि नौनी बरात मा
काॅकटैले फुल ब्यबस्था छै हुईं तै दिन मेंदी रात मा

मुलक्या-पट्टी, स्वरा-भारा सब्बी काल्ड दीक बुलायां छा
मेंदी रात पाल्टि च बल, द्वी दिन मैक लगैक धनकूर भी घुमायां छा
अपरा जुगता इथगा ब्यब्स्था तनै कख बिटिन होण छौ
पर द्यवतौं किरपा सि तैं छ्वैर्या नौं पर पांच लाखो लून ह्वै

अब मैंन सोची अरे! इथगा बड़ि रकम च या
तनि सुद्दि त खपोंण नी
पर नौंन्यां नौं कु पैंसा च यु अफ्फु मा बि बचोंण नी
ये हि बजै सि मैंन मेंदी रात ब्यब्स्था खूब बड़ि करी छै
द्वी क्वटा कैंटिने अर तब डेढ़ लाखे अंगरेजी बि धरि छै

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घर्या मैंमानों तैं चांदण्यां निस चौक मा ब्यब्स्था करि
अपरा बिशेष मैमानों काॅकटैल तब मैंन टैंटा निस ठरी
तक्खि सोफा सजिन तब रौंड टेबल लगि छै
दारु गंगा तक्खि बिटिन तैं रात बग्गि छै

पर इन ना समझ्या निरमांस्या हमुन बिलकुल इग्नौर कर्यां छा
ना ना, तौं तैं बि बैठणा वास्ता चौक मा सिमटा खालि कट्टा धर्यां छा
खाण-प्यणै बि तौं तख अलगै ब्यब्स्था हुईं छै
मुर्गा अर पनीर छोड़ी भुज्जी-दाळ तौंके तैं त धरीं छै

इख टैंटा भितर

नमो नामो आदेश ह्वै, बोतल्यों श्रीगणेश ह्वै
तीन एक घंटा त सब ठीकठाक छौ
पर ठीक दस बजि टैंटो माहौल टैट ह्वै
पता नी क्य बात ह्वै, कनै यु उतपात ह्वै
फसकलास छै पाल्टि चनी,
पता नी कनै यु सौळा दुणि आठ ह्वै

रौळंरौळा-गौळंगौळा हौण लगि द्वी झाझ्यों मा
बौंळा बिटोळी-मुंड निखौळि हौण लगि द्वी झाझ्यों मा
कखो साग‌ कखै भुज्जी दारू तलक खत्यै गैंन
तौं द्वियों कि भिंडारौळि देखी साइलेंस झांझी रथ्यै गैन

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देख्दै-दैखदा टैंटा भितर जुता-पतरं होण लगि
चैतु भैजि त एक हि भतागन टैंटा भैर रौंण लगि
द्वी झांझ्यों कि लड़ै मा अब गुटबाजी हौंण लगि
माथि-मुल्या, वर्या-पर्या पार्टीबाजी होण लगि

मैंन बि टराइ करी छौ जरा बीचबचौ कनैकि
मेरी त मौंण दबेलि छै कैन, छ्वीं ह्वैगि छै मनैकि

तख पार छत मा मेंदी थाळी सगुन पिठैं सजीं छै
पर घरवाळौं कि बि टक इख ईं भिड़मभिड़ा पर लगीं छै
तबारी एक झांझी दौड़ि सीड़्यों बिटिन खाळि पर
तै निरभागिन स्योंसत लात मारि तैं मेंदी थाळि पर

मेरु शरीळ छन्न बाजि थाळी तथगा आवाज नि ऐ
मेरि लाटी त आख्योंन भट्याणी घिच्चा तैंका बाच नि रै
मेरि खतमखता देखी स्या जादा परेशान नि छै
जब बुबै बेकूफ निकळि त नौनि बि हैरान नि ह्वै

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मेरी दारू पीनि तौन मेरू टैंट तोड़ी छौ
जैं नौन्या बाना ऐन तैंकु त तौंन मुख तक नि हैरि छौ
शौ शगुन आसिरबाद त हे रां दूरै बात छै
तौं उल्लू का पठ्ठोंन स्या छोरी मेंदी हाथ नि हौंण द्ये

मैंन बि कपाळ पकड़ि
नौनी तरफ माफि मांगी
अपरु ट्वटा अफरु ठठ्ठा
अपरि घाघरि उटपटांग
अपरी जांगड़ि ह्वैन नांगी

मेरी नौनी बात नी य
सब्यों दगड़ा इ लत्त ह्वेगि
ब्यौ कारीज त ठीक छन पर
मेंदीरात दारू रिवाज गलत ह्वेगी

मेंदिराता नौं पर तुमारु यु कन घपरौळु कर्युं च
ज्वान-बुढ्या, नौना-छ्वरौं कु अलगै हिसाब ठर्यूं च

मैं दगड़ी त जु बि ह्वै सि म्यरा अपरा करम छ
पर मैंदी रात यु दारू रिवाज बदळ्न पड़लु यु हम
सब्यों धरम च
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