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सत्संग से मनुष्य को सुयोग्य मोड मिलता है:आचार्य शिवप्रसाद ममगाईं


भक्ति में बुद्धि होना जरुरी है, तत्वज्ञान में भी बुद्धि की आवश्यकता है । जिसके जीवन में, भाव में, कर्म में, भक्ति में और तत्वज्ञान में बुद्धि प्रथम है, वह बुद्धिमान है जो भक्तिभाव से जीता है ’मुख्य बात यह है कि जैसा संग होगा वैसा मनुष्य बनता है । इसका तात्पर्य यह है कि संग का जीवन में महत्व है, सत्संग से मनुष्य को सुयोग्य मोड मिलता है और जीवन बदलता है ।यह बात नेशविलारोड में लोकमणी जखवाल जी की पुण्य तिथि पर, आयोजित श्रीमद्भागवत महापुराण के समापन दिवस पर ज्योतिष्पीठ व्यास आचार्य शिव प्रसाद ममगांई जी भक्तों को सम्बोधित करते हुए कहा कि हमारी
बुद्धि खराब होने से समस्त दुष्कर्म बनते हैं, जो व्यक्ति अपनी वृत्तियों को अंतर्मुखी कर अपनी सच्ची आलोचना करता और अपनी बुराईयों को दूर करने का सतत उद्योग करता है, वह महानता के मार्गपर आरुढ है । अपनी निर्बलताओं के प्रति जागरुक होना आधी विजय प्राप्त करना है । बुरे विचार दूसरोंके प्रति ईष्‍​र्या, द्वेष, प्रतिशोध के भाव अंधकार की वस्तु है । सत्व रज तम शरीर चर्चा करते ममगांई ने कहा कि घटना बढना शरीर काधर्म है आत्मा का नहीं जो शरीर अपना भोग भोगकर कृश और जीर्ण हो जाते हैं, वे शुष्क शाखाओं की भाँति गिर पड़ते हैं और उनकी जगह पर अनेक नये शरीर उत्पन्न होकर सुशोभित होते हैं। इसी प्रकार शब्द इत्यादि विषयों के स्वाभाविक रंगों से देदीप्यमान नित्य नये-नये सुन्दर पल्लव उत्पन्न होते रहते हैं। तथा रजोगुण प्रधान होनें पर रजोगुण वायु का प्रवाह होनें लगता
इस प्रकार रजोगुण की वायु के प्रबल वेग से मानव-शाखाओं की बहुत अधिकता हो जाती है, जिससे यह मनुष्य तन लोक सज जाता है। फिर जब रजोगुण के ये बादल कुछ शान्त होते हैं, तब तमोगुण की विनाश-लीला चलने लगती है।
उस समय इसी मानव-शाखा पर नीचे की ओर अधम वासनाओं की पत्तियाँ निकलने लगती हैं तथा दुष्कर्मों की शाखाओं का विस्तार होने लगता है। फिर कुमार्गरूपी कोपलें उत्पन्न होती हैं, जो सीधी होने पर भी मजबूत होती हैं तथा उनमें पत्तों से भरी हुई दोषों की डालियाँ लहलहाती हुई दृष्टिगोचर होती हैं।
आज विशेष रूप से सुशीला जखवाल अंकुर नितिन रमेश मीनाक्षी ताहन त्रिज्ञा कृष्णा अनामिका प्रिया शिखा निकुंज गति निपुण रीना सुधीर आकृति प्रखर सुशीला बलूनी राजेन्द्र यस एन बडोला केस्टवाल दीपक नौटियाल रेजर देवेंद्र काला चन्द्र वल्लभ बछेती शांता नैथानी राजेन्द्र डबराल विमला डबराल चंद्रमोहन विन्जोला प्रसन्ना विन्जोला आचार्य दामोदर सेमवाल आचार्य दिवाकर भट्ट आचार्य शिव प्रसाद सेमवाल आचार्य सन्दीप बहुगुणा आचार्य हिमांशु मैठाणी आचार्य शुभम भट्ट शान्ता नेगी निर्म ला रावत सुजाता पाटनी शोभा ममगांई आदि भक्त गण भारी सँख्या में उपस्थित रहे!!

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