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विडंबना! शिक्षा व्यवस्था की खुल रही पोल, कहीं शिक्षक ड्यूटी से गोल तो कहीं एक छात्रा को पढ़ा रहे हैं तीन अध्यापक… क्या होलू उत्तराखंड कू?

टिहरी। उत्तराखंड को बने 22 साल हो चुके हैं, लेकिन आज भी प्रदेश के पहाड़ी जिले मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। सड़क, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी सुविधाओं के अभाव में गांव के गांव पलायन कर चुके हैं। बात अगर शिक्षा की करें तो सरकारी स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था के हाल किसी से छिपे नहीं हैं। भाजपा और कांग्रेस पिछले 22 सालों में लगभर सामान रूप से सरकारें बना चुकी हैं, लेकिन राज्य के सरकारी स्कूल आज भी बुनियादी सुविधाओं से कोसो दूर हैं। सरकारी स्कूलों पर कुछ ख़ास ध्यान नहीं दिया जा रहा है जिसके चलते सरकारी स्कूलों से लगातार शिक्षक कम हो रहे हैं। इसी की बानगी है टिहरी जिले में थौलधार ब्लॉक का राजकीय जूनियर हाईस्कूल मरगांव, जहां विद्यार्थियों की संख्या घटते-घटते अब यहां केवल एक ही छात्रा अध्ययनरत है।

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पहाड़ के दुरस्त क्षेत्रों में कई ऐसे भी विद्यालय है, जहां शिक्षकों की कमी है,और छात्र वर्षों से गुरुजी के इंतजार में हैं। लेकिन टिहरी में थौलधार ब्लॉक का राजकीय जूनियर हाईस्कूल मरगांव इससे उलट है। यह सरकारी स्कूल छात्रों की कमी से जूझ रहा है। यहां केवल एक ही छात्रा अध्ययनरत है। अब इसे बिडबना कहें कि शिक्षा विभाग की लापरवाही, स्कूल में एक छात्रा को पढ़ाने के लिये शिक्षा विभाग द्वारा तीन शिक्षकों को विद्यालय में तैनात किए गए हैं।


दरसअल टिहरी के थौलधार ब्लॉक के राजकीय जूनियर हाईस्कूल मरगांव में वर्तमान समय में एक छात्रा कक्षा आठ में अध्ययनरत है,जबकि छात्रा को पढ़ाने के लिये दो शिक्षक और शिक्षिका विद्यालय में तैनात हैं। इसके साथ ही एक भोजन माता भी यहां कार्यरत है।


बता दें कि वर्ष 2014 में मरगांव में विद्यालय भवन बनकर तैयार हुआ था। उस समय विद्यालय में छात्रों की संख्या 23 थी, लेकिन पलायन के चलते धीरे-धीरे विद्यालय में छात्रों की संख्या घटती गई और वर्ष 2022 में विद्यालय में एक ही छात्रा रह गई, जिसको पढ़ाने के लिये शिक्षा विभाग ने दो शिक्षक और एक शिक्षिका विद्यालय में तैनात किया हुये हैं।
विद्यालय के प्रधानाध्यापक राकेश चंद डोभाल का कहना कि यह स्कूल जंगल के बीच होने के कारण बच्चों को स्कूल तक आने जाने में कई तरह की दिक्कतें उठानी पड़ती है। जंगल होने के कारण रास्ते में जंगली जानवरों का भय बना रहता है, जिसके कारण क्षेत्र के अधिकांश लोग शहरों की ओर पलायन कर चुके हैं।

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