प्रदीप भंडारी
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जोशीमठ। उत्तराखंड के लिए काल बन चुकी धौली गंगा नदी में एक फिर आपदा को न्यौता दिया जा रहा है। दरअसल, मलारी नीति नेशनल हाईवे पर इन दिनों सड़क चौड़ीकरण का कार्य चल रहा है। सड़क चौड़ीकरण का कार्य बीआरओ द्वारा निजी सड़क निर्माण कार्यदाई संस्थाओं को दिया दिया गया है। लेकिन, ये कंपनियां नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए निर्माण कार्य करने में लगी हैं। लिहाजा, सड़क कटिंग का मलबा सीधे धौलीगंगा नदी में फेंका जा रहा है। इस कारण नदियां प्रदूषित होने के साथ ही जीव-जंतुओं के अस्तित्व पर भी खतरा मंडरा रहा है। साथ ही यह मलबा तबाही का रूप भी ले सकता है। जिससे चमोली में 2021 में आई आपदा के जख्म फिर हरे हो सकतो हैं। गौर हो कि पिछले साल फरवरी माह में ऋषि गंगा के उद्गम स्थल पर ग्लेशियर टूटने से नदी में बाढ़ आ जाने से एनटीपीसी की जल विद्युत परियोजना को भारी नुकसान हो गया था। कई मजदूर जिंदा दफन हो गए थे। लेकिन इस आपदा के बाद भी सड़क निर्माण कार्यदाई संस्थाओं ने कोई सबक नहीं लिया। बल्कि इसके उलट धौलीगंगा में मलबा डालकर एक और आपदा को न्यौता दिया जा रहा है।
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