उत्तराखंड भले ही यूपी से अलग हो गया है लेकिन अभी भी दोनों के बीच के रिश्ते बरकरार है। ये बात तो पहाड़ पुत्र यूपी सीएम योगी पहले ही साबित कर चुके हैं अब पहाड़ की बेटी ने भी इस बात को सिद्ध कर दिखाया है। बात उत्तर प्रदेश में नगर निकाय चुनाव की हो रही है और सभी 17 सीटों पर कमल खिला है..लेकिन इन 17 सीटों में से बात सिर्फ एक सीट की ही हो रही है वो सीट है लखनऊ की जिस पर पहाड़ की बेटी ने कमाल कर दिखाया है…..
उत्तर प्रदेश की सीएम योगी आदित्यानाथ ने पहाड़ की बेटी सुषमा खर्कवाल पर भरोसा जताया था। और उस भरोसे पर सुषमा खर्कवाल खड़ी उतरी हैं। खर्कवाल ने लखनऊ सीट पर रिकॉर्ड वोटों से जीत हासिल की है। जिसके बाद से उत्तराखंड में भी खुशी की लहर है। कई दिग्गज नवनिर्वाचित महपौर सुषमा खर्कवाल को शुभकामनाएं दे रहे हैं। इसी कड़ी में उत्तराखंड के पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी उन्हें बधाई और शुभकामनाएं दी हैं।
लखनऊ की जनता का उत्तराखंड की बेटी सुषमा खर्कवाल के प्रति जो प्रेम है वो नगर निकाय चुनाव में जाहिर हो चुका है। वोटों के मार्जिन ने बता दिया है कि खर्कवाल की पहुंच कहा तक है। इस चुनाव में भाजपा नेत्री सुषमा खर्कवाल ने सभी दलों के नेताओं को धूल चटाते हुए अपनी जीत तय की है। उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी समाजवादी पार्टी (सपा) की वंदना मिश्रा को 52,699 मतों के अंतर से हराया है। लेकिन उनका ये राजनीतिक सफर काफी संघर्षपूर्ण रहा है। कड़ी मेहनत और संघर्ष से वह इस मुकाम पर पहुंची है।
लखनऊ की नवनिर्वाचित महापौर सुषमा खर्कवाल का राजनीतिक सफर आसान नहीं रहा है। उन्होंने भाजपा के अंदर विभिन्न पदों पर काम किया है। वेा पिछले 35 सालों से भाजपा से जुड़ी हुईं हैं। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की रैलियों में उनका स्कूटर नियमित रूप से देखा जाता था। खर्कवाल ने विपरीत परिस्थितियों का सामना करते हुए अपने दो बच्चों को अकेले पालने के बावजूद, खर्कवाल ने राजनीति नहीं छोड़ी। बताया जा रहा है कि पिछले तीन दशकों से भी ज्यादा बीजेपी से जुड़ी खर्कवाल ने पार्टी की ओर से दी गई हर छोटी-बड़ी जिम्मेदारियों का बखूबी निर्वहन किया है। जिसका उन्हें ये उपहार मिला है।
बता दें कि सुषमा खर्कवाल पौड़ी गढ़वाल के कोटद्वार भाबर की रहने वाली हैं। उनका परिवार कई साल पहले यमकेश्वर से भट्टगांव से कोटद्वार भाबर के हल्दूखाता में निवास कर रहा है। सुषमा की शादी 1984 में दुगड्डा के कलढुंगा निवासी प्रेमलाल खर्कवाल के साथ हुई। उनका परिवार लंबे समय से लखनऊ में ही रह रहा है। सुषमा के पिता गोविंदराम भट्ट और माता का निधन हो चुका है। सुषमा तीन बहनों में सबसे छोटी है उनके एक भाई भी है। निकाय चुनाव की शुरुआती दौर से लेकर जीत तक उनके भाई विनोद भट्ट भी लखनऊ में ही हैं। खर्कवाल के महापौर बनने के बाद उत्तराखंड के कोटद्वार में उनके रिश्तेदारों में भी जश्न का माहौल है।