समारोह में शामिल होकर इसको सफल बनाने के लिया सबका दिल से हार्दिक अभिवादन करता है ।
आज सभी सदस्यो ने जिस तरह से बढ़-चढ़कर कर हिस्सा लिया और अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया वो अपने आप में काफी सराहनीय रहा।
होली के इस रंगारंग कार्याक्रम की शुरुआत गणेश पूजन के साथ हुई और उसके बाद उत्तराखंड की परंपरिक वेशभूसा में महिलाओं द्वारा उत्तराखंड का पारंपरिक नृत्य साथ ही साथ पुरुषों के ढोल दमो की थाप और नृत्य ने कार्याक्रम में समां बांध दिया।
इसके बाद पहली बार होली के कार्याक्रम में होलिका दहन तथा हिरण्यकश्यप के वद को दर्शाने के लिया स्टेज शो किया गया – भक्त प्रहलाद उसके पिता हिरण्यकश्यप और हिरण्यकशिपु की बहन होलिका और नरसिंह अवतार का मंचन किया गया ।
जब इस नाटक का मंचन किया जा रहा था तो उस समय सभी लोग एकाग्रचित होकर केवल और केवल इस नाटक का भरपूर आंनद ले रहे थे। सबके के लिया ये एक नया अनुभव था कि ७ समुन्दर पार भी लंदन में इस तरह के नाटक के माधियम से उत्तराखंड के लोगो द्वारा अपनी संस्कृति को जीवित रखने का प्रयास किया जा रहा है ।
इसके बाद सबने स्वादिष्ट स्टार्टर का आनंद लिया और फिर हुई उत्तराखंड की परंपरिक खड़ी होली- परंपरिक गाने, परंपरिक डांस – बच्चों कि डांस पर्फॉर्मन्सेस – स्टेज डांस और भी काफी कुछ रहा, मानों कि हर कोई इस रंगारंग कार्याक्रम में अपनी उपस्थिति दर्ज करना चाहा रहा था आखिर कियो ना हो मौका ही ऐसा था।
अब समय था स्वादिष्ट भोजन का भरपूर आंनद लेने का जो की आशा करते है की सभी ने जरूर लिया होगा। फिर वो रंगारंग घड़ी आयी जिसका सभी को बेसब्री से इंतजार था और वो था रंग और गुलाल के साथ मिलकर सबके साथ होली खेलना-रंग लगाना – गले मिलना- बधाई देना- नाचना-गाना- हँसना-फोटो खींचना-वीडियो बनाना – और सबसे महत्वपूर्ण जो दिखा वो था, सभी लोगो के खुशियों और रंगो से रंगे, रंग- बिरंगे चेहरे जो ये बयां कर रहे थे की सभी ने इस होली मिलन का दिल से भरपूर आनंद लिया और इस वादे के साथ विदा हुए की जल्द ही आने वाले कार्याक्रम में एक बार फिर इसी हर्ष-उल्लास के साथ मिलेंगे।