दुनियां में अगर किसी बीमारी को लेकर सबसे ज्यादा शोध हो रहा है तो उसमें एचआईवी भी एक है। लगातार दुनियाभर में एचआईवी को लेकर शोध होता रहता है, कि आखिर इस बीमारी को किस तरह से जड़ से खत्म किया जा सके। लेकिन आज भी एचआईवी लाइलाज बीमारी है। वहीं जब हम उत्तराखंड की बात करते हैं उत्तराखंड के लिए एक बड़ी चिंता पैदा हो रही है और यह भी एचआईवी से जुड़ी हुई है।
उत्तराखंड राज्य में पिछले 8 सालों के भीतर 6937 नए एचआईवी संक्रमित पाए गए है। जिसमे से वर्तमान समय में 5580 मरीज केयर सपोर्ट ट्रीटमेंट ले रहे है। ये चिंता की बात यह है 2022-23 के दौरान एचआईवी संक्रमित मरीजों के आंकड़े काफी चौकाने वाले नजर आए है। दरअसल, अप्रैल 2022 से अक्टूबर 2022 तक के आंकड़ों के सात महीने में 739 मरीजों में एचआईवी की पुष्टि हुई है। यानी इन सात महीने का एवरेज निकले तो करीब रोजाना 3.5 मरीज संक्रमित हो रहे है।
कोरोनाकाल के बाद एचआईवी संक्रमण दर में बढ़ोत्तरी भी देखी गई है। साल 2015-16 में हुईं 1,79,592 जांचों में 822 मरीजों में एचआईवी की पुष्टि हुई थी, यानी संक्रमण दर 0.46 प्रतिशत थी। कोविड काल के दौरान साल 2020-21 में 3,15,740 जांचों में 602 मरीजों में एचआईवी की पुष्टि हुई थी, इस वर्ष संक्रमण दर घटकर 0.19 प्रतिशत रह गई थी। लेकिन कोरोनाकाल शुरू होने के साथ ही एचआईवी जांच में संक्रमण दर बढ़ने लगी। साल 2021-22 में हुई 3,53,566 एचआईवी जांचों में ये बढ़कर 0.24 प्रतिशत और साल 2022 में अप्रैल से अक्तूबर के दौरान हुई 2,90,015 जांचों में 0.25 प्रतिशत दर्ज की गई है।
एचआईवी संक्रमित लोगों की देखभाल, सहायता एवं चिकित्सा और उपचार में स्वास्थ्य विभाग मदद करता है। राज्य में कुल सात एआरटी सेंटर हैं। जहां वर्तमान में कुल 5580 एचआईवी संक्रमित मरीजों को एंटी रेट्रो वायरल दवाएं नि:शुल्क दी जा रहीं हैं। इन दवाओं से रोगी की आयु बढ़ जाती है। हालांकि, उसे रोग मुक्त किया जाना संभव नहीं है। इसके साथ ही स्वास्थ्य विभाग की ओर से लोगो को एचआईवी के प्रति जागरूक भी किया जा रहा है। ताकि एचआईवी से बचा जा सके, इसके अलावा जो लोग लोक लज्जा को डर से इलाज नहीं करा रहे है, वो इलाज कराए।