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मनुष्य जीवन की सफलता का आधार है गीता: सोनिया केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर में गीता जयन्ती सप्ताहोत्सव

केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर में गीता जयन्ती के उपलक्ष्य में गीता जयन्ती सप्ताहोत्सव मनाया जा रहा है। 01 दिसम्बर को सामूहिक गीता पाठ के साथ आरंभ हुए महोत्सव के अन्तर्गत विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इसके तहत दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन भी किया गया। इसमें विभिन्न अतिथियों ने श्रीमद्भगवत गीता को जीवन प्रबन्धन का श्रेष्ठ ग्रन्थ बताते हुए कहा कि इसमें मनुष्य जीवन की सम्पूर्ण समस्याओं का समाधान है।
संगोष्ठी के उद्घाटन अवसर पर मुख्य अतिथि उपजिलाधिकारी देवप्रयाग सोनिया पन्त ने कहा कि गीता पाठ और इसका अध्ययन करने वाला व्यक्ति जीवन में सफलता के सोपान चढ़ता जाता है। गीता हमारी मानसिक उलझनों को दूर करती है। इसमें इस लोक और परलोक का सत्य है। इसके 18 अध्यायों के 700 श्लोकों में सम्पूर्ण जीवन का सार और ज्ञान समाहित है।
जापान में गीता का अध्यापन कर रही राधा आचार्य ने बतौर सारस्वत अतिथि कहा कि गीता सनातनियों का पवित्र और श्रेष्ठ ग्रन्थ है। सम्पूर्ण विश्व इस ग्रन्थ में समाहित ज्ञान का लोहा मानता है। इस मौके पर उनकी पुस्तक ’भगवत गीता ट्रेडिशनल गुरुकुल’ का विमोचन भी किया गया। विशिष्ट अतिथि श्री रघुनाथ कीर्ति आदर्श विद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ0 शैलेन्द्र कोटियाल ने गीता के अनेक श्लोकों की व्याख्या कर मनुष्य जीवन की सफलता के लिए उनका महत्त्व बताया। संगोष्ठी के संयोजक डॉ0 सच्चिदानन्द स्नेही ने संगोष्ठी के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए निदेशक प्रो0 एम0 चन्द्रशेखर ने छात्रों का आह्वान किया कि वे अपने जीवन में गीता का अध्ययन अनिवार्य रूप से शामिल करें। गीता ही मनुष्य को सद्मार्ग पर ले जाती है। इस अवसर पर गीता जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित विभिन्न स्पर्धाओं के विजेता विद्यार्थियों दीपक नौटियाल, विजयसिंह रावत, शुभम भट्ट, श्रुति शर्मा, मोनिका नौगाईं, गजेन्द्र यादव, मंदीप सिंह रावत, मोहित शर्मा, श्रेष्ठा आदि विद्यार्थियों को पुरस्कार दिए गए। इस अवसर पर तहसीलदार मानवेन्द्रसिंह बर्त्वाल, डॉ0 नरेश पाण्डेय आदि उपस्थित थे।
उद्घाटन सत्र के बाद आयोजित पत्रवाचन सत्र में शोध पत्र पढ़े गए। भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद के सौजन्य तथा परिसर के न्याय विभाग के सहयोग से आयोजित इस सेमिनार में हिन्दी प्राध्यापक डॉ0 वीरेन्द्रसिंह बर्त्वाल ने ’गढ़वाली लोकसाहित्य में श्रीकृष्ण एवं उनके गीता के उपदेश’ शीर्षक पर शोध पत्र पढ़ गढ़वाल में कृष्ण को नागराजा के रूप में पूजे जाने पर प्रकाश डाला। डॉ0 मनीषा आर्या, डॉ0 सुरेश शर्मा, डॉ0 दिनेशचन्द्र पाण्डेय, डॉ0 संजीव भट्ट, डॉ0 मोनिका बोल्ला, रघु बी0 राज, डॉ0 शैलेन्द्र प्रसाद उनियाल, डॉ0 श्रीओम शर्मा समेत लगभग 20 पत्रवाचकों ने इस अवसर पर पत्रवाचन किया। सत्राध्यक्ष के दायित्व का निर्वाह डॉ0 रामबहादुर दुबे ने किया।
संचालन जनार्दन सुवेदी ने किया। दूसरे दिन आयोजित ऑनलाइन संगोष्ठी में विश्वविद्यालय के संकायाध्यक्ष शैक्षणिक संकाय तथा पूर्व निदेशक प्रो0 बनमाली बिश्वाल, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रो0 रामनाथ झा ने व्याख्यान दिया। देशभर के अनेक महाविद्यालयों, विश्वविद्यालयों के प्राध्यापकों तथा शोधार्थियों ने ऑनलाइन शोधपत्र पढ़े।

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