उत्तराखंड के जंगलों में आग बेकाबू हो रही है। गढ़वाल मंडल के पौड़ी और कुमाऊं के अल्मोड़ा जिले में जंगल ज्यादा सुलग रहे हैं। उधर, सोमवार को प्रदेश में 20 जगह जंगल धधके। पौड़ी में सोमवार को आग बुझाने के लिए वायुसेना के हेलीकॉप्टर से पानी का छिड़काव किया गया।आग पर काबू पाने के लिए सरकार ने राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) को उतार दिया है।
वहीं, जंगलों की आग की राज्य में अब तक 930 घटनाएं हो चुकी हैं, जिससे 1,196 हेक्टेयर से अधिक जंगल जल चुका है। सबसे अधिक 491 घटनाएं कुमाऊं और 365 घटनाएं गढ़वाल में हुईं, जबकि 74 मामले वन्य जीव क्षेत्र के हैं। बेकाबू हो चुकी आग से अब तक पांच लोगों की मौत और चार लोग झुलस चुके हैं।
सरकार का दावा है कि वनाग्नि से अभी तक किसी वन्यजीव के मारे जाने की सूचना नहीं है। इस बीच सरकार जानबूझकर और लापरवाही से आग लगाने के मामले में बेहद सख्त हो गई है। बार-बार आग लगाने वालों पर गैंगस्टर के तहत कार्रवाई होगी। उत्तराखंड लोक व निजी संपत्ति क्षति वसूली अधिनियम के तहत वन संपदा के नुकसान की भरपाई आग लगाने वालों से होगी।
वनाग्नि की स्थिति की समीक्षा बैठक के बाद मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने कहा, वनाग्नि पर काबू पाने के लिए एक्शन प्लान बना लिया गया है। जंगल में आग बुझाने के काम में अब पीएसी, होमगार्ड, पीआरडी, युवक व महिला मंगल दल, सभी स्थानीय संगठनों और लोगों को लगाया जाएगा।
पौड़ी और अल्मोड़ा में एनडीआरएफ तैनात हो गई है। बताया, सरकार को आईआईटी रुड़की से कृत्रिम बारिश (क्लाउड सिडिंग) का प्रस्ताव मिला है। इस प्रस्ताव को लेकर सभी पहलुओं पर विचार के बाद निर्णय लिया जाएगा। मौसम विभाग से चर्चा की जाएगी कि इससे मौसम पर कोई प्रतिकूल असर तो नहीं पड़ेगा।