आज माघ मास चतुर्दशी से पंचमी तक स्वर्गीय हरिओम चड्डा एवम सुधांशु चड्ढा की पुण्य स्मृति में श्रीमद्भागवत महापुराण कथा से पूर्व मोहन मंदिर नेशविला रोड से कथा स्थल तक सैकड़ो की संख्या में सिर पर कलश लिए हुए पीत वस्त्र में महिलाएं गोविंद बोलो हरि गोपाल बोलो आदि भजनों पर झूमते हुए कथा यस्थल पर पहुची वही कथा का सुभारम्भ करते हुए ज्योतिष्पीठ व्यास आचार्य शिव प्रसाद ममगाई जी ने कथा के प्रथम दिवस पर कहा कि भागवत कलयुग का अमृत है सद्बुद्धि सद्भाव को अमरता के साथ खुश खुशहाली को देने वाला जीवन शुद्धि का अमृत है जिसमे 18000 श्लोक का मतलब आठ और एक नौ होता है जो पूर्णांक है जिसके श्रवण मात्र से जीवन मे पूर्णता आती है भव बन्धन से छुड़ाने वाला यह ग्रन्थ देवताओ को भी देखना या श्रवण करना मुश्किल हो गया था अपूर्ण देवता ब्रह्मा जी से कहते हैं शुखदेव जी ने हमे बैठने का अवसर नही दिया तो ब्रह्मा जी ने कहा कि मैं परीक्षित के सात दिन के बाद ही आपको कुछ कह सकूंगा जबकि सातवे दिन परीक्षित स्वर्ग को जाने लगे तो तराजू में श्रीमद्भागवत को पलड़े में एक तरफ और एक तरफ सारे मुक्ति के साधन रखे जो अपनी महता के कारण भागवत रूपी पलड़ा भारी पड़ा और अन्य साधन रूपी पलड़ा हल्का रहा तब देवताओ को यह स्वीकार हुआ दैवत्व व भोग को प्रधान देने वाले देवताओ के भी नसीब भागवत नही है धरा पर सत्कर्म करने वालो को भागवत सुनने का अवसर मिलता है जो करवाते हैं वह भाग्यशाली हैं श्रवण व दर्शन करने वाले भी भाग्यशाली हैं जो संसार के भव रोग को दूर करने वाला परम् शांति के निधान परमानंद स्वरूप बालकृष्ण की वांग्मय मूर्ति जो कल्पना जैसे करता है उसी प्रकार की कामनायें भागवत के सामने बैठकर पूर्ण होती है सात दिन श्रवण करने से काम क्रोध लोभ मोह मद मत्सर अविद्या रूपी ग्रन्थ टूटने पर जीव मुक्त हो जाता है यही भागवत की महिमा है आदि प्रसंगों पर भक्ति ज्ञान वैराग्य की चर्चा के साथ भागवत का माहात्म्य बताया
आज विशेष रूप से सुनीता चड्डा बीना चड्ढा साक्षी चड्ढा धरना वरुण धरना परी चड्ढा मोहिनी चड्ढा कमला चड्डा विवेक चड्डा बॉबी प्रह्लाद चड्डा सुनीता चड्ढा गगन चड्ढा प्रदीप चड्ढा रेणु चड्ढा नरेंद्र चड्डा बबली बहल देशपाल गुप्ता विजयलक्ष्मी गुप्ता सिमरन चड्डा शिवम टांगरी कशिश चड्डा आदि भक्त गण उपस्थित रहे।।

