देहारदून। उत्तराखंड के पूर्व पुलिस महानिदेशक बीएस सिद्धू पर रिजर्व फॉरेस्ट की जमीन कब्जाने और पेड कटवाने के गंभीर आरोप में राजपुर थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया है। जिसके बाद अब उनकी गिरफ्तारी की संभावना जताई जा रही है। मामले में राज्य के पूर्व डीजीपी के खिलाफ देहरादून के राजपुर थाने में दर्ज हुए मुकदमें में तत्कालीन तहसीलदार और मेरठ के दो वकीलों सहित कुल आठ लोग नामजद किए गए हैं।
बता दें कि डीएफओ मसूरी आशुतोष की ओर से मुकदमा दर्ज कराया गया। शासन से मंजूरी के बाद उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ है। वन सचिव विजय कुमार यादव की ओर से उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाने की अनुमति दे दी गई है। शासन ने पीसीसीएफ को इस मामले में कार्रवाई के लिए लिखा। इसके बाद उन्होंने डीएफओ मसूरी को पूरे मामले में कार्रवाई के निर्देश दिए।
दोषी पर होगी कड़ी कार्रवाई- सीएम
इस मामले पर बोलते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि प्रदेश में इस तरह के जब जब मामले आते हैं तब तक विधिक राय लेते हुए विधिक कार्यवाही की जाती है। उन्होंने कहा कि इस मामले में भी सरकार पूर्ण कार्रवाई करेगी और अगर कोई भी दोषी पाया जाता है तो उस पर निष्पक्ष कार्रवाई की जाएगी।
ये लगे हैं आरोप
सिद्धू ने वर्ष 2012 में मसूरी वन प्रभाग में वीरगिरवाली गांव में 1.5 हेक्टेयर जमीन खरीदी। इस जमीन से मार्च 2013 में साल के 250 पेड़ काट लिए गए। सूचना मिलने पर वन विभाग ने इसकी जांच कराई तो पता चला कि संबंधित पेड़ जिस जमीन पर हैं वह रिजर्व फॉरेस्ट है। सिद्धू ने अवैध तरीके से जमीन खरीदी। साल के पेड़ भी काट दिए। इस मामले में वन विभाग ने उनके खिलाफ जुर्म काटा था। बाद में जमीन की सिद्धू के नाम की गई रजिस्ट्री भी कैंसिल की गई। इस मामले में कुछ समय पूर्व ही वन विभाग ने सिद्धू पर रिजर्व फारेस्ट में जमीन कब्जाने और पेड़ कटान के आरोप में आईपीसी की धाराओं में मुकदमा दर्ज करवाने की अनुमति शासन से मांगी थी।
पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू ने आरोपों को बताया गलत
उधर, पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू ने कहा कि मेरे खिलाफ वन विभाग जुर्म काटने की कार्रवाई कर चुका है। जो गलत थी। इस मामले में जिला न्यायालय ने मेरे खिलाफ आईपीसी में मुकदमा दर्ज करने की अनुमति को खारिज कर दिया है। ऐसे में शासन ने अगर मेरे खिलाफ मुकदमें की अनुमति दी है तो वो गलत है। इसके खिलाफ मैं आगे कानूनी कार्रवाई करूंगा।