प्रसन्नता एवं अप्रसन्नता ये भक्ति का लक्षण नहीं है। किसी भी स्थिति के प्रति स्वीकारोक्ति एवं प्रभु का धन्यवाद भक्ति का लक्षण है। भक्ति दुख नहीं मिटाती है, बस दुख सहने की क्षमता को इतना बढ़ा देती है कि बड़े से बड़ा दुख भी उसके आगे छोटा ही लगने लगता है। भक्ति जीवन का श्रृंगार है। भक्ति वो प्रसाधन है जो जीवन के सौंदर्य को और अधिक बढ़ा देती है। कौलागढ देहरादून में दीपक नौटियाल परिजनों के द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत महापुराण की कथा में उत्तराखंड के प्रसिद्ध कथावाचक आचार्य शिवप्रसाद ममगांई जी नें अपनें सम्बोधन कहा कहा
कि ये बात तो सत्य है कि भक्त के जीवन में भी दुख बहुत होते हैं लेकिन ये बात भी सत्य है कि प्रभु भक्त के चेहरे पर कभी खिन्नता अथवा अप्रसन्नता का भाव नहीं रहता। भक्ति मानव जीवन की अनमोल निधि है। जिस जीवन में भक्ति नहीं उस जीवन में वास्तविक उन्नति भी नहीं एवं उस जीवन की कोई उपयोगिता भी नहीं।
प्रभु श्री राम स्वयं माँ शबरी से कहते हैं कि
जैसे बिना जल के बादल शोभाहीन एवं अनुपयोगी हो जाता है, उसी प्रकार भक्तिहीन मानव का जीवन भी समझा जाना चाहिए। स्वकल्याण और पर सेवा की भावना दृढ़ हो, इसके लिए भी भक्ति महारानी का सुदृढ़ आश्रय अनिवार्य हो जाता है। बाल लीलाओं का माध्यम से आचार्य ममगांई नें कहा यश मनी मान दा मनी देने वाली जो दूसरे मान देते हैं वह यशोदा भाव है उसके गोद में सुख रूप में परमात्मा आते हैं यमुना जल को दूषित करनें वाला कालिया का मर्दन किया जल को शुद्ध कि पानी बिगड़ती प्राणी बिगड़े वाणी बिगड़ती है तो समाज बिगड़ता है आदि प्रसंगों पर भाव विभोर हुए भक्त वहीं आज विशेष रूप से दीपक नौटियाल कुसुम नौटियाल
: दीपांशु नौटियाल रेयान नौटियाल सुरेश नौटियाल रमन नौटियाल राकेश नीरज श्रीमती कुसुम चहक निष्ठा सुषमा पूनम प्रीति नीलम सम्पूर्णा नौटियाल प्रदेश उपाध्यक्ष किसान मोर्चा संदीप राणा शरद शर्मा बालकृष्ण डोभाल पूनम बहुगुणा शिवम बहुगुणा मूर्तिराम कोठारी सुशीला कोठारी सीमा पांडेय मनधीर कक्कड़ श्रीमती गुरविंदर अजय सकलानी भगतराम नौटियाल कालिका प्रसाद नौटियाल दामोदर सेमवाल दिवाकर भट्ट संदीप बहुगुणा द्वारिका नौटियाल प्रदीप नौटियाल सुरेश जोशी आदि भक्त गण भारी सँख्या में उपस्थित थे!!