भण्डारे के साथ समापन हुआ देवीभागवत का


मानव जीवन आत्म विद्या के सेवन का सुअवसर है जो व्यक्ति इस सुअवसर का लाभ उठाता है उसे ही बुद्धिमान कहा जाता है जीव आत्म स्वरुप है उसके लिए न जन्म है और न मरण है जन्म मरण केवल आत्मा के बाह्य आवरण हैं जो केवल देह पर लागू होते हैं जन्म मानो नए वस्त्र धारण करना और मरण उन वस्त्रों को उतार देना है

उक्त विचार ज्योतिष्पीठ व्यास आचार्य शिव प्रसाद ममगांई जी ने बनगड़स्यूं मुछियाली में चन्द्र बदनी देवी मन्दिर प्राग॔ण में बन्धुओ द्वारा देवीभागवत महापुराण के समापन दिवस पर व्यक्त करते हुए कहा कि धर्म का पथ वास्तव में स्व स्वरूप एवम परम्बा के स्वरूप के साक्षातकार करने के लिए है आर्थिक उन्नति की उपयोगिता की मांग इतनी है कि देह उसके लिए स्वस्थ रहे मानव जीवन ज्ञान और कर्म के संयोग से आत्मा और परमात्मा का साक्षात्कार करके मोक्ष पा सकता है आवश्यकता है देह को स्वस्थ रखने की धर्म अर्थ काम का लक्ष्य मोक्ष की ओर होना चाहिए तभी हम उसका लाभ उठा सकते हैं
आचार्य ममगाई जी ने कहा कि ज्ञानी वही है जो किसी का तिरस्कार नही करता और जो जीव मात्र से प्रेम करता है गलत आचरण व्यवहार से मनुष्य का पुरुस्वार्थ बिगड़ जाता है दैनिक कार्यों में सदाचार की मर्यादा का जितना अधिक पालन किया जाता है उतना ही अधिक वह विकसित होता है तथा मानव के जीवन मे प्रगति का मार्ग प्रशस्त होता जाएगा ईश्वर जीव से मात्र स्वस्थ स्वस्थ मन एवम समर्पित श्रद्धा की अपेक्षा करते हैं तभी जीव का ब्रह्म से मिलन सम्भव है परमात्मा की कृपा से ही उत्तम अवसर और सम्पत्ति की प्राप्ति होती है समय एवम सम्पत्ति का प्रयोग करने वाला ही देव कोटि में आता है समय सम्पति का दुरुपयोग करने वाला अधम की श्रेणी में आता है किसी भी परिस्थिति सुख दुख में परमात्मा को विस्मृत नही करना चाहिए निंदा को भी सहन कर हम उन्नति कर सकते हैं यदि हमारे विचार सकारात्मक हों धर्म सम्पूर्ण सृष्टि के जीव मात्र को परस्पर जोड़ने का कार्य करता है जो समाज मे बिघटन करे वह धार्मिक नही हो सकता है कथ के समापन दिवस पर जगदम्ब के अने चरित्र सुनाते हुए आचार्य ने बातावरण को देविमय बना दिया आयोजन कर्ताओं के द्वारा भण्डारे का आयोजन किया गया भारी संख्या मे भक्त उपस्थित थे । आज विशेस कमला प्रसाद भट्ट जी ऐडबोकेट जनरल सेरज नारायण बाबुलकर गिरीश भट्ट जी दिनेश भट्ट जी शास्री रमेश प्रसाद भट्ट जी भाष्कर भट्ट जी आचार्य दिवाकर भट्ट जी श्रीमति हेमवन्ति भट्ट जी श्रीमति कमला नौटियाल बिजी चन्द्र भट्ट प्रकाश चन्द्र भट्ट अनिल भट्ट लक्ष्मी प्रसाद भट्ट रेखा भट्ट जी भरोसी देवी सुशीला भट्ट उषा भट्ट दया प्रसाद भट्ट कुन्दा नन्द बचीराम भट्ट निलम भट्ट गुड्डी भट्ट जतीन दयाल सिंह पंवार आचार्य विश्व दिपक गौड़ जी आचार्य महेश भट्ट जी आचार्य सुनील ममगांई आचार्य सूरज पाठक सुनील शुक्ला जी सुनील नौटियाल आचार्य भट्ट जी पोस्ट मास्टर पंवार जी कान सिंह पंवार जी आदि भक्त गण भारी संख्या मे उपस्थित रहे।।
