organic ad

एक ही पार्टी के मंत्रियों के साथ तीर्थ पुरोहितों का अलग अलग व्यवहार क्यों पूछता है उत्तराखंड?

रामरतन सिह पंवार/जखोली

electronics

एक ही पार्टी के मंत्रियों के साथ
तीर्थ पुरोहितों द्वारा अलग अलग व्यवहार क्यो

एक को केदारनाथ बाबा के दर्शन करने का घोर विरोध और दसरे का फूल मालाओं से भव्य स्वागत

आखिर इतना बड़ी साज़िश क्यो

आईये वीडियो देखें

social media per viral video

रुद्रप्रयाग-उतराखंड की भाजपा सरकार द्वारा जब से चार धाम देवस्थानम बोर्ड का गठन किया गया है तब से लेकर और आज तक समस्त तीर्थपुरोहित देवस्थानम बोर्ड का पुनर्जोर विरोध कर रहे पूरा पंडा समाज केदारनाथ मे धरने पर बैठकर लगातार बोर्ड को भंग करने की मांग करते चले आ रहे है लेकिन तीर्थ पुरोहितों की इस मांग को लेकर सरकार चुप्पी साधे हुए है।
आखिर सरकार ने देवस्थानम बोर्ड बनाने से क्या लाभ होगा ये समझकर बोर्ड का गठन किया होगा,और तीर्थ पुरोहितों इस चारधाम विकास परिषद बोर्ड के गठन का विरोध कर रहे है,किस लिए विरोध कर रहे इसमे सरकार और तीर्थ पुरोहितों के बीच कुछ न कुछ रहस्य जरूर छिपा होगा जो कि सरकार बोर्ड को निरस्त नही करना चहाती और पंडा समाज आन्दोलन को समाप्त नही करना चहाते ,इन दोनो के बीच की कड़ी देवस्थानम बोर्ड है जिस वजह से सरकार और तीर्थ पुरोहितों मे आर पार की जंग छिड़ी हुई है जो कि कम होने का नाम नही ले रही है।
अभी हाल मे ही पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिह रावत जिनके मुख्यमंत्री मंत्री रहते हुए चार धाम विकास परिषद बोर्ड का गठन हुआ था ‌और बोर्ड का गठन होते ही पूरे पंडा समाज सहित तीर्थ पुरोहितों मे उबाल सा आ गया ।
अब जैसे ही त्रिवेन्द्र सिह रावत केदारनाथ मे बाबा के दर्शन के जाते है तो वैसे ही दो साल से बोर्ड के खिलाफ आंदोलनरत तीर्थ पुरोहितों पूर्व मुख्यमंत्री को केदारनाथ के दर्शन तो बड़े दूर की बात है उनको मन्दिर परिसर मे भी नही घुसने देते है यानी घोर विरोध के बावजूद केदारनाथ बाबा के दर्शन किये बिना बैरंग लौटा देते है। मुख्यमंत्री धामी का विरोध किया जाता है,धन सिह रावत के खिलाफ भी नारेबाजी की जाती है। लेकिन एक सबसे बड़ा सवाल यह है कि देवस्थानम बोर्ड भाजपा सरकार ने बनाया,और उसी भाजपा सरकार का एक हिस्सा सुबोध उनियाल भी है जो वर्तमान मे भाजपा सरकार मे केबिनेट मंत्री भी है तो फिर केदारनाथ मे तीर्थ पुरोहितों द्वारा फूल मालाओं से मंत्री जी का स्वागत क्यो , विरोध क्यो नही।
जबकि ‌वास्तविकता ये है कि तीर्थ पुरोहितों के लिए भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री,मंत्री एक सम्मान होने चाहिए थे लेकिन इसमे भेदभाव क्यों। आखिर यह एक विचारणीय प्रश्न है। कही कोई ये बड़ी साज़िश तो नही

ये भी पढ़ें:  देहरादून:टिकट के लिए इतनी हद पार कर गए कई भाजपाई, भाजपा महानगर कार्यालय में कल हो गई हाथापाई

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *