भगवान से मिलन की इच्छा भक्ती और जीव से मिलने की इच्छा काम आचार्य ममगांईं

भगवान से मिलन की इच्छा भक्ती और जीव से मिलने की इच्छा काम आचार्य ममगांई

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जहां प्रेम वहीं भगवान हैं वृन्दावन मे प्रेम है तो मथुरा में ऐश्वर्य गोपियों का प्रेम अन्योन्याश्रित है जिसने उद्धव जी का ज्ञान गर्व समाप्त किया जीवसे मिलने की इच्छा काम तो भगवान से मिलने की इच्छा भोग है यह बात ढीला-ढाला में आयोजित श्रीमद्भागवत महापुराण कथा के छटवें दिन प्रसिद्ध कथावाच आचार्य शिवप्रसाद ममगांई ज्योतिष्पीठ बद्रिकाश्रम व्यासपीठालंकृत जी ने कही
उन्होने कहा इस संसार में
हमारा क्या अस्तित्व है?
कुछ भी तो नहीं !
यहाँ करोड़ों लोग आये, जीये, चले गए।
ऐसे ही हम भी चले जाएंगे।
हम क्या साबित करने जा रहे हैं ?
मैं कुछ हूँ.. मैं करके दिखाऊँगा।
किसको क्या दिखाना चाहते हैं हम?
यह जो मन में भाव उठता है न,
कि हम कुछ हैं,
यही मूल कारण है दुःख का।
सहज हो जाएँ, सबसे प्रेम से मिलें।
कुछ साबित करने की कोशिश न करें।
तभी हमारे जीवन में आनन्द घटेगा।
: उन्होने कहा की भागवत कलयुग का अमृत है सद्बुद्धि सदभाव को अमरता के साथ खुशहाली को देने वाला जीवन शुद्धि का अमृत है जिसमे अठारह हज़ार श्लोक है इसका मतलब आठ और एक नौ होता है जो पूर्णांक है जिसके श्रवनामृत से जीवन मे पूर्णता आती है भव बंधन से छुड़ाने वाला यह ग्रंथ देवताओं को भी देखना श्रवण करना मुश्किल हो गया था अपूर्ण देवता ब्रह्मा जी से कहते हैं की सुखदेव जी ने हमे बैठने का अवसर नही दिया तो ब्रह्मा जी ने कहा की मै परिक्षित के सात दिन बाद ही आपको कुछ कह सकूंगा जबकि सातवे दिन परिक्षित स्वर्ग को जाने लगे तो तराजू मे श्रीमद्भागवत को पलड़े मे एक तरफ और एक तरफ सारे मुक्ति के साधन रखे जो अपनी महता के कारण भागवत रूपी पलड़ा भारी पड़ा और अन्य साधन रूपी पलड़ा हलका रहा तब देवताओं को यह स्वीकार हुआ देवत्व व भोग को प्रधान देने वाले देवताओं के भी नसीब मे भागवत नही है धरा पर सतकर्म करने वालो को भागवत सुनने का अवसर मिलता है जो करवाते है वह भाग्यशाली है जो संसार के भव रोग को दूर करने वाला परम शांति के निधान परमानन्द स्वरूप बाल कृष्ण की वांगमय मूर्ति जो कल्पना जैसे करता है उसी प्रकार की कामनाएं भागवत के सामने बैठकर पूर्ण होती है सात दिन श्रवण करने से काम क्रोध लोभ मोह मद मत्सर अबिद्या रूपी ग्रंथि टूटने पर जीव मुक्त होता है यही भागवत की महिमा है आदि प्रसंगो आज कथा के छटवें दिवस पर रुक्मणी प्रणय विशेस मार्मिक रहा ।।
इस अवसर पर मुख्य रूप से श्री प्रेम जुगरान राहुल जुगरान महापौर सुनील उनियाल गामा श्रीमती सोभा उनियाल सिम्पल जुगरान संभु प्रसाद जुगरान आशुतोष जुगरान अरुण मनीष आशीष जोशी श्रीमती सेफाली जोशी बिवांशु ढोंधियाल दीपाली ढोंधियाल प्रकाश बहुगुणा सुषमा बहुगुणा राजेश बहुगुणा ममता बहुगुणा संभु सेमवाल रंजना पुनीत मेहता दामोदर लखेड़ा सिता पांथरी प्रेमा ममगांई आचार्य मंत्री थपलियाल आचार्य सन्दीप बहुगुणा आचार्य दिवाकर भट्ट आचार्य हिमावु मैठानी आचार्य अंकित केमनी आनिल चमोलीअंजना नौटियाल शकुंतला नेगी शिवचरण नेगी आदि भक्त गण भारी संख्या मे उपस्थित रहे।।

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