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PCS एग्जाम में गड़बड़ी का मामला, बॉबी पंवार ने किया बड़ा खुलासा

उत्तराखंड बेरोजगार संघ के अध्यक्ष बॉबी पंवार ने बड़ा खुलासा करते किया है।

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मामला पूर्व की पीसीएस परीक्षा 2012 का है, जहां SDM मनीष बिष्ट की नियमविरुद्ध नियुक्ति की गई। जिसमें लोक सेवा आयोग द्वारा भूतपूर्व सैनिक का SDM पद न होने के बावजूद भी मनीष बिष्ट को SDM के पद पर नियुक्ति दे दी गई। इसके उपरांत भूतपूर्व सैनिक सुधीर कुमार जिसने परीक्षा में मनीष बिष्ट से 31 अंक अधिक प्राप्त किए थे, उन्होंने माननीय उच्च न्यायालय में इस आधार पर याचिका दायर की कि मेरे अधिक नंबर होने के पश्चात भी कैसे दूसरे अभ्यर्थी को मेरा अधिकार दे दिया गया।

बॉबी पंवार ने कहा कि इसके बाद न्यायालय ने याचिका सुनने के बाद मनीष बिष्ट को हटाकर सुधीर कुमार को नियुक्ति देने के आदेश दिए। इसके बाद उत्तराखंड लोक सेवा आयोग ने न्यायालय में रिव्यू पेटीशन भी डाली लेकिन कोर्ट ने उसे भी खारिज कर दिया और सुधीर कुमार को ही SDM के पद के लिए योग्य ठहराया, उसके बाद मनीष बिष्ट सुप्रीम कोर्ट में SLP डालते हैं, जिस पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुधीर कुमार को जवाब हेतु नोटिस भेजा जाता है और माननीय उच्चतम न्यायालय के अग्रिम आदेशों तक मामले को यथास्थिति बनाए रखने के आदेश पारित किए।


मामला नियम विरुद्ध नियुक्ति का था तो उत्तराखंड सरकार और लोक सेवा आयोग को सुप्रीम कोर्ट में मनीष बिष्ट के खिलाफ ठोस पैरवी करनी चाहिए थी, लेकिन दुर्भाग्य यह है कि हमारे विश्वसनीय सूत्रों से ज्ञात हुआ कि करोड़ों की लेनदेन करके मनीष बिष्ट को धामी सरकार ने यह कहते हुए कि इस पद का समायोजन भविष्य में घटित होने वाली नियुक्तियों के सापेक्ष यथा समय कर लिया जाएगा नियुक्ति दे दी गई, जो कि नियम विरुद्ध है।

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क्योंकि समायोजन के लिए मनीष बिष्ट द्वारा किए गए अनुरोध के बाद शासन द्वारा कहा जाता है कि परीक्षा लोक सेवा आयोग द्वारा कराई जाती है तथा उसकी संस्तुति के आधार पर डिप्टी कलेक्टर ( SDM ) के पद पर नियुक्ति प्रदान की जाती है परन्तु सीधे डिप्टी कलेक्टर के पद पर समायोजित किए जाने की नियमावली में कोई व्यवस्था नहीं है और साथ ही उक्त अनुरोध पत्र के क्रम में शासन के पत्र दिनांक 5.11 2019 ( 4/13 ) के माध्यम से लोक सेवा आयोग को समायोजन के संबंध में कोई नियम विद्यमान ना होने से अवगत करा दिया गया।


तदोपरांत शासन एवं आयोग के उक्त निर्णय के क्रम में मनीष बिष्ट आयोग के समक्ष प्रस्तुत प्रत्यावेदन के निस्तारण के लिए आयोग द्वारा अपने पत्र दिनांक 16-10-2019 द्वारा शासन को प्रस्ताव प्रेषित किया गया कि मनीष बिष्ट द्वारा पदों के लिए प्रस्तुत की गई द्वितीय वरीयता के लिए अनारक्षित श्रेणी में पूर्व सैनिक के पुलिस उपाधीक्षक एक पद की आवश्यकता होगी, तदक्रम में शासन के द्वारा आयोग को अवगत कराया गया कि समायोजन के संबंध में नियमों में कोई व्यवस्था नहीं है एवं माननीय उच्च न्यायालय में दायर Clarification application संख्या 50/2019 में दिनांक 19.07.2019 को पारित आदेश अनुसार समुचित कार्रवाई की जाएं।

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भूतपूर्व सैनिक नियमावली कहती है कि कोई भी भूतपूर्व सैनिक एक बार ही भूतपूर्व सैनिक के कोटे का फायदा सरकारी नौकरी में ले पाएगा। परंतु आयोग और शासन को यह भी ज्ञात था कि मनीष बिष्ट द्वारा पूर्व में भी सहायक अध्यापक भर्ती, पीसीएस भर्ती 2010, में भी भूतपूर्व सैनिक का कोटा लिया जा चुका है। इसके पश्चात भी नियुक्ति देना कहलाता है कि कहीं ना कहीं आयोग और मुख्यमंत्री तक भ्रष्टाचार का बड़ा गठजोड़ है।


दिनांक 15.04.2019 को लोक सेवा आयोग के एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड जतिंद्र भाटिया द्वारा मनीष बिष्ट को वाद की सुनवाई प्रारंभ होने से पहले दूरभाष पर संपर्क किया गया तथा यह कथन किया गया कि अभ्यर्थी सुधीर कुमार के साथ-साथ श्री मनीष बिष्ट को भी समायोजित करने का प्रयास किया जाएगा । जबकि माननीय लोक सेवा आयोग द्वारा दायर एसएलपी में स्पष्ट रूप से यह कथन किया गया था कि मनीष बिष्ट का चयन प्रचलित नियमों तथा उच्चतम न्यायालय के द्वारा पारित कानूनों के आधार पर किया गया है। ऐसी स्थिति में वाद की सुनवाई प्रारंभ होने से पूर्व ही बिष्ट को समायोजित किए जाने के संबंध में विचार करना यह संदेह उत्पन्न करता है कि लोक सेवा आयोग के अधिवक्ता द्वारा बात प्रारंभ होने से पूर्व वाद को वापस लेने का मंतव्य निश्चित कर लिया गया था।

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बॉबी पंवार ने कहा कि गंभीर मसला यह है की बात पीसीएस के मूल विज्ञप्ति 2012 की करें तो उसमें केवल एक पद ही पूर्व सैनिक का था जबकि यही विज्ञप्ति 2014 में संशोधित होती है, तो उसमें एक भी SDM का पद भूतपूर्व सैनिक कोटे का नहीं होता। जब 16 एसडीएम के पदों में एक भी पद भूतपूर्व सैनिक एसडीएम कोटे का नहीं था तो किस आधार पर भूतपूर्व सैनिक कोटे के दो एसडीएम को नियुक्ति दी गई । यह जांच का विषय है। प्रकरण गंभीर है, गंभीर प्रकरण को देखते हुए बॉबी पंवार ने राज्यपाल से गुहार लगाई है कि तत्कालीन आयोग के अध्यक्ष, सचिव, कैबिनेट में प्रस्ताव पास करने वाले मंत्रियों व मुख्यमंत्री के खिलाफ कठोर से कठोर कार्रवाई के लिए जांच के आदेश दिए जाएं। साथ में भर्ती घोटाले प्रकरण में माननीय उच्च न्यायालय से प्रार्थना करते हैं कि ऐसे गंभीर प्रकरणों पर स्वत संज्ञान लेकर भर्ती घोटाले की सीबीआई जांच के आदेश देने की कृपा करें। इस दौरान प्रेस वार्ता में बेरोजगार संघ के उपाध्यक्ष राम कंडवाल, प्रचार सचिव नितिन बुड़ाकोटी, संरक्षक मनीष गोदियाल उपस्थित रहे.