Nagar Nikay Chunav : उत्तराखंड में निकाय चुनाव पर संकट! विपक्ष ने लिया आड़े हाथ, कहा- हार से डर रही सरकार

देहरादून। उत्तराखंड के 102 निकायों का कार्यकाल 2 दिसंबर 2023 को खत्म हो चुका है। ऐसे में सरकार ने निकायों पर अगले 6 महीने तक के लिए प्रशासक बैठा दिए हैं। तो वहीं चुनाव में देरी को लेकर सियासत भी शुरू हो गई है। विपक्ष का कहना है कि बीजेपी को हार सता रही है, जिस वजह से चुनाव टालना चाहती है। उधर, संसदीय कार्य मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने निकाय चुनाव में देरी को संवैधानिक मजबूरी करार दिया है।

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HC निकाय चुनाव को लेकर दिए आदेश

बता दें कि उत्तराखंड में निकाय चुनाव को समय से करवाने के लिए नैनीताल हाईकोर्ट में याचिका भी डाली गई थी, जिस पर हाईकोर्ट ने भी सख्त रुख अपनाते हुए प्रशासकों के कार्यकाल खत्म होने यानी 2 जून से पहले सरकार को उत्तराखंड में निकाय चुनाव कराने को लेकर सख्त आदेश दिए। जिस पर सरकार ने भी गंभीरता दिखाते हुए कोर्ट में हलफनामा दिया गया कि वो 2 जून से पहले निकाय चुनाव करवा देगी, लेकिन अब ऐसी स्थिति बनती नजर नहीं आ रही है।

 

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सरकार अचार संहिता का बना रही बहाना: विपक्ष

पूरे देश में 15 मार्च 2024 को लोकसभा चुनाव के लिए आचार संहिता लग गई। यह आचार संहिता 6 जून 2024 तक लागू रहेगी। इसके बीच यानी 2 जून 2024 को उत्तराखंड में निकायों में नियुक्त किए गए प्रशासकों का कार्यकाल पूरा हो रहा है। अब सरकार आचार संहिता का बहाना बना रही है। हालांकि, विपक्ष का कहना है कि 9 जनवरी 2024 को सरकार की ओर से हाईकोर्ट में समय से निकाय चुनाव कराने को लेकर के एफिडेविट देने के बाद भी सरकार ने आचार संहिता लगने की तारीख 15 मार्च 2024 तक किसी तरह की कोई तैयारी नहीं की गई।

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संवैधानिक बाध्यता के चलते बढ़ाया जाएगा प्रशासकों का समय

बरहाल, उत्तराखंड में निकायों के 2 दिसंबर 2023 को खत्म हुए कार्यकाल के बाद तैनात किए गए प्रशासकों के 6 महीने का समय भी अब 2 जून 2024 को खत्म होने को आ रहा है।जबकि, प्रदेश में अभी आचार संहिता लागू है।

कब होंगे उत्तराखंड में निकाय चुनाव? 

आखिर उत्तराखंड में निकाय चुनाव कब होंगे? यह सवाल बना हुआ है। सरकार की मानें तो 6 जून को आचार संहिता हटने के बाद किसी भी समय निकाय चुनाव करवाने को लेकर पूरी तरह से तैयार है। इसी तरह से उत्तराखंड में सत्ताधारी पार्टी बीजेपी की बात करें तो निकाय चुनाव को लेकर भी संगठन स्तर पर तैयारी शुरू कर दी है। उधर, विपक्ष को कुछ और ही डर सता रहा है। विपक्ष का साफतौर से कहना है कि सरकार निकाय चुनाव को अब लोकसभा चुनाव के बाद ही करवाएगी। क्योंकि, सरकार और बीजेपी दोनों ही प्रदेश में अपनी धूमिल छवि से बचने के लिए इसे विधानसभा उपचुनाव के बाद करवाने के मूड में है।

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