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Big Breaking : पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने प्रेमचंद अग्रवाल को दी नसीहत, बोली बड़ी बात आप खुद ही सुने

देहरादून: उत्तराखंड में भले मौसम सर्द हो लेकिन राजनीति का माहौल गर्म है क्योंकि वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल द्वारा जिस तरह युवक के साथ हाथापाई घटना सामने आई तब से प्रदेश की राजनीति का टेंपरेचर सातवें आसमान पर है कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल सोशल मीडिया पर खूब छाए हुए हैं वही विपक्ष को भी बैठे-बैठे मुद्दा हाथ लग गया और विपक्ष प्रेमचंद अग्रवाल का पुतला दहन के साथ इस्तीफे की मांग कर रहे हैं।
वही प्रेमचंद अग्रवाल अपने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के निशाने पर भी आ गए हैं।

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पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने प्रेमचंद्र अग्रवाल को इशारों इशारों में प्रेमचंद अग्रवाल को नसीहत दी।

इसके इतर सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का इस घटना पर साफ तौर पर कहना है कि जो भी व्यक्ति गरिमामय पद पर हो, उसे शालीन होना चाहिए. उन्होंने आगे कहा कि उन्हें नहीं पता कि इतनी बड़ी घटना घटित कैसे हुई. लेकिन बिना नाम लिए उन्होंने कहा कि उन्हें भी संयम बरतना चाहिए था. जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों को ये सब सोभा नहीं देता.

पहाड़ के पारिस्थितिकीय तंत्र पर हुई चर्चा: श्रीनगर पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने श्रीनगर में गढ़वाल विवि के अध्यापकों से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने बदल रहे पहाड़ के पारिस्थितिक तंत्र पर चर्चा की. उन्होंने कहा कि जल्द विवि के साथ मिलकर वे धारी देवी के चारों तरफ बृहद वृक्षारोपण का कार्य करेंगे. जिससे ये क्षेत्र हरा भरा तो रहे ही, साथ में इससे कार्बन उत्सजर्न भी कम होगा.

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लोकसभा सीट परिसीमन पर त्रिवेंद्र ने जताई चिंता: त्रिवेंद्र रावत ने आने वाले लोकसभा सीट परिसीमन को लेकर भी अपनी चिंता जाहिर की. उन्होंने कहा कि ऐसा ना हो कि जनसंख्या को देखते हुए पहाड़ की सीटें कम हों. क्योंकि भौगोलिक क्षेत्र के मुकाबले जनसंख्या के तौर पर पहाड़ खाली होते जा रहे हैं. मैदान में जनंसख्या घनत्व बढ़ रहा है. ऐसे में अगर पहाड़ की लोकसभा सीट घटती हैं तो ये चिंता की बात होगी.

पौड़ी से लोकसभा चुनाव लड़ने पर दिया ये जवाब: उन्होंने पौड़ी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की बात पर जवाब देते हुए कहा कि पौड़ी लोकसभा सीट तीन जनपदों में बंटी हुई है. इसमें उनका गृह जनपद पौड़ी भी आता है. यहां से उन्होंने पढ़ाई राजनीति की. राजनीति का ककहरा सीखा है. लेकिन चुनाव लड़ना लड़वाना पार्टी का फैसला होगा. मौका मिलेगा तो जरूर लड़ेंगे. शेष सभी चीजें पार्टी द्वारा ही तय की जानी हैं. पार्टी के फैसले से ही आगे के कार्य होंगे.