विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को एक बार फिर से हार का सामना करना पड़ा बड़ी वजहों में से एक वजह थी मुस्लिम यूनिवर्सिटी, चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस के उपाध्यक्ष अखिल अहमद ने एक बयान दिया जिसमें उन्होंने कहा कि मेरी पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत से औपचारिक बातचीत हुई है जिसमें मुझे विश्वास दिलाया गया है कि हमारी सरकार यानी कि कांग्रेस की सरकार आने के बाद प्रदेश में एक मुस्लिम यूनिवर्सिटी बनाई जाएगी
बयान सामने आना ही था कि भाजपा ने इस बयान को चुनावी मुद्दा बना दिया और देखते ही देखते पूरे प्रदेश में यह मुद्दा गरमा गया और उसके बाद कांग्रेस को इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ा।
दूसरी तरफ अकील अहमद के बयान से पार्टी ने किनारा करने की बहुत कोशिश की और खुद पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि उनकी अकील अहमद से कोई भी ऐसी बातचीत नहीं हुई है साथ ही उस वक्त के कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने भी इसी बात को दोहराया बावजूद इसके पार्टी ने अकील अहमद के ऊपर उस समय कोई भी कार्यवाही नहीं की।
वहीं अब जब पार्टी हार चुकी है और एक बार फिर से विपक्ष में नेता प्रतिपक्ष की खोज कर रही है तो अब जाकर कांग्रेस ने अकील अहमद को 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया है।
कांग्रेस की तरफ से एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करके यह बात बताई गई है।
उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष अकिल अहमद को 6 साल के लिए पार्टी से तत्काल प्रभाव से निष्कासित कर दिया है।
उपरोक्त जानकारी देते हुए प्रदेश महामंत्री संगठन मथुरा दत्त जोशी ने बताया कि अकिल अहमद द्वारा पिछले लंबे अरसे से अनर्गल बयानबाजी की जा रही थी जिसके चलते पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व द्वारा इसका संज्ञान लेते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई करते हुए उन्हें तत्काल प्रभाव से 6 साल के लिए पार्टी की प्रार्थमिक सदस्यता से निष्कासित कर दिया है।
मथुरा दत्त जोशी ने कहा कि पार्टी में अनुशाशन हीनता बिल्कुल बर्दास्त नही की जाएगी तथा अनर्गल बयानबाजी तथा पार्टी अनुशासन तोड़ने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी चाहे कोई कितना ही बडा नेता क्यों न हो। उन्होंने यह भी कहा कि विधानसभा चुनाव में पार्टी प्रत्याशियों से शिकायतें मिली हैं इस पर भी शीघ्र निर्णय लिया जाएगा तथा पार्टी को नुकसान पहुचाने वालों के खिलाफ अनुसाशनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
अब सवाल खड़ा यह होता है कि अब जाकर अकील अहमद को पार्टी से निकालने का क्या फायदा जब अकील अहमद चुनाव के वक्त लगातार बयानबाजी आ कर रहे थे तब उन्हें प्रदेश उपाध्यक्ष पद से नवाजा गया था और अब जब पार्टी बुरी तरह से हार चुकी है तो अब जाकर उनके ऊपर कार्यवाही की जा रही है