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14 साल बाद मुल्क भ्रमण पर निकलेंगी राजराजेश्वरी जिठाई मां की डोली, दर्शनों को उमड़ा भक्तों का सैलाब

नमिता बिष्ट

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• 14 साल बाद निकली सिद्धपीठ राजराजेश्वरी जिठाई देवी की डोली यात्रा
• हर 12 साल में होती है जिठाई देवी की डोली यात्रा
• कोविड की वजह इस बार 14 साल में हो रही यात्रा
• 3 माह मंदिर परिसर में होगी पूजा अर्चना
• 6 माह तक करेगी मुल्क भ्रमण
• कनखुल गांव में देवी का सिद्धपीठ मंदिर
• चौथगी परिवार कनखुल मल्ला, कनखुल तल्ला, डौंठला,ग्वाड़, बिडोली की आराध्या देवी
• लोबागडी रामणा में है देवी का मायका
• डोली यात्रा की तैयारियां जोर शोरों पर
• देवी के एरवालों को दिया जा रहा प्रशिक्षण

चमोली। उत्तराखंड को देवभूमि कहा गया है। यहां कण-कण में देवों का वास है। पहाड़ों में जीवंत देवताओं का वास, अनोखी लोक परम्पराएं, रीति रिवाज और सभ्यता यहां की भूमि को देवतुल्य बनाते हैं। यहां समय समय पर देवी और देवता अपने गर्भगृह से बाहर निकल कर अपने भक्तों को दर्शन और आर्शीवाद देने के लिए देवयात्रा पर निकलते है। जो सदियों से चली आ रही है। ऐसी ही एक लोक परम्पराओं के तहत सदियों से चली आ रही चमोली के कपीरीपट्टी स्थित सिद्धपीठ कनखुल गांव में राजराजेश्वरी जिठाई देवी की 9 माह की डोली यात्रा की शुरुआत हो गई है। जहां देवी 3 माह तक मंदिर परिसर में पूजा अर्चना के बाद 6 महीने तक मुल्क भ्रमण पर जाकर ध्याणियों और भक्तों को आशीष देंगी।
14 साल बाद मुल्क भ्रमण करेगी देवी की डोली
चमोली के विकासखंड कर्णप्रयाग के कनखुल में स्थित राजराजेश्वरी जिठाई देवी का सिद्धपीठ मंदिर है। यहां हर 12 साल बाद देवी अपने गर्भगृह से बाहर निकल कर मुल्क भ्रमण पर जाती है। लेकिन इस बार कोविड की वजह से 14 साल बाद देवी अपने गर्भगृह से बाहर आई है। तीन माह तक मंदिर परिसर में देवी की पूजा अर्चना होगी। जिसके बाद 6 माह तक देवी मुल्क भ्रमण कर अपनी ध्याणियों और भक्तों को आशीष देंगी।
देव निशानों के साथ की गई देवी की पूजा अर्चना
मान्यता के अनुसार विश्व कल्याण के लिए आयोजित होने वाली राजराजेश्वरी मां जिठाई देवी अपनी 9 माह की डोली यात्रा के लिए गर्भगृह से 7 सितम्बर को बाहर आ गई है। बरमोला पंडितों द्वारा गर्भगृह में देवी की पूजा अर्चना के साथ देवी के वीरों की पूजा अर्चना भी की गई। साथ ही देव निशानों की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम भी किया गया। जिसके बाद देवी की डोली और देव निशान गर्भ गृह से बाहर आए। जिसके बाद पांड़व चौक और पुजारी चौक में देव नृत्य के बाद देवी की डोली मुख्य मंदिर में पहुंची। यहां पूजा के बाद देवी की डोली पौराणिक मकान के चौक में गई। जहां देवी की पूजा अर्चना की गई।
चौथगी परिवार की आराध्या देवी है जिठाई
मां जिठाई देवी चौथगी परिवार कनखुल मल्ला, कनखुल तल्ला, डौठंला,ग्वाड़ और बिडोली की आराध्या देवी है। मान्यता है कि राजराजेश्वरी जिठाई देवी लोबागड़ी में जन्मी और प्राचीन काल में जब मुल्क भ्रमण में आई तो कनखुल से देवी की डोली विश्राम करने के बाद उठ नहीं पाई। जिसके बाद देवी का मंदिर कनखुल में ही स्थापित किया गया। लोबागडी रामणा गांव से दास और पुजारी वर्ग देवी की पूजा अर्चना के लिए कनखुल में बुलाए गए। तब से यह जिठाई देवी कनखुल मल्ला, कनखुल तल्ला, डौंठला,ग्वाड़ और बिडोली चौथगी परिवार की आराध्या देवी बन गई। यहां पर देवी की पूजा अर्चना और हर 12 साल के बाद डोली यात्रा का आयोजन रिधि सिधि के साथ किया जाता है। जब देवी डोली यात्रा के दौरान लोबागडी रामणा में जाती है तो वहां पर देवी के नाम से अष्टबली होती है। लोबागडी में देवी को शक्ति माता के नाम से जाना जाता है।
लाटू देवता करते हैं देवी की अगुवाई
देवी को शक्ति और ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। देवी जिसके भी मन मस्तिष्क में विराजमान होती है। उसकी हर मनोकामनाएं पूरी होती है। कहा जाता है कि देवी अपनी ध्याणियों की लाड़ली होती है। जब देवी मुल्क भ्रमण में जाती है तो चौथगी परिवार की सभी ध्याणियां देवी को भोग लगाती है। देवी उन्हें आशीर्वाद देती है और उनकी हर मनोकामनाएं पूरी करती है। बता दें कि देवी की अगुवाई लाटू देवता करते हैं। जो कि हर गांव के मठ मंदिर देवी देवताओं के चिन्ह निशानों के साथ जाता है।
देवी के एरवालों को दिया जा रहा प्रशिक्षण
देवी की डोली पौराणिक मकान के चौक में अभी विश्राम कर रही है। यहां पर डोली यात्रा की तैयारियां जोर शोरों पर चल रही है। यहां पर महिलाओं द्वारा मां जागर कीर्तन भजन और बरमोला वर्ग द्वारा पूजा अर्चना कर माता को भोग लगाया जा रहा है और देवी के जमाण निशान और दास वर्ग और डोडियां वर्ग द्वारा एरवालों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। जिसके बाद देवी विश्व कल्याण लिए चमोली और रुद्रप्रयाग के 500 अधिक गाँवों का भ्रमण करेगी और नियत समय पर पूजा अर्चना के बाद अपने गर्भगृह में प्रवेश करेगी।
डोली यात्रा में ग्रामिणों का सहयोग
सिद्धपीठ राजराजेश्वरी जिठाई देवी की डोली यात्रा में पुजारी वर्ग में मुरलीधर बरमोला, बच्चीराम बरमोला, देवी प्रसाद बरमोला है। दास वर्ग में गिरिश लाल, पारु लाल जबकि डोडियां वर्ग में सिंधी लाल, संत लाल है। वहीं स्वांग- डारेक्टर में कुशल सिंह कण्डवाल, दीपक सिंह बिष्ट पधान, गजेंद्र कण्डवाल, सोहन कण्डवाल, प्रकाश तोपाल, मनवर सिंह कण्डवाल हैं। वहीं मंदिर समिति अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह कण्डवाल, उपाध्यक्ष अनुसूया सिंह बिष्ट, महावीर सिंह कण्डवाल, कोषाध्यक्ष महेन्द्र सिंह कण्डवाल,महामंत्री विरेन्द्र सिंह बिष्ट,प्रबंधक महेन्द्र सिंह कण्डवाल है। इसके साथ ही सभी ग्रामवासी अपना विशेष सहयोग दे रहे है।

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