जो भक्ति रहित ज्ञान के सोपान से भगवान के पास जाना चाहते हैं वे मार्ग से ही गिर जाते हैं किंतु भक्ति सोपान से जाने वाला नही गिरता और कारण यह बताया कि भक्ति सोपान से जाने वाले यात्री की भगवान स्वयं रक्षा करते हैं अतएव एक तो उन भक्तों को अपनी कोई चिंता ही नही रखनी पड़ती दूसरा उनका मार्ग से पतन नही होता
उक्त विचार ज्योतिष्पीठ व्यास आचार्य श्री शिव प्रसाद ममगाईं जी ने कौलागढ़ देहरादून में नौटियाल परिवार द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में व्यक्त करते हुए कहा कि भगवान दो विरोधी धर्मों का अधिष्ठान है इसलिए उसे समझने में कठिनाई होती है किंतु उसे प्राप्त किया जा सकता है और यह वही कर सकता है जिस पर उसकी कृपा हो जाये उसकी कृपा से ही प्राकृत इन्द्रिय मन बुद्धि को दिव्यता प्राप्त हो जाती है जिसमे दिव्य ईश्वर ग्राह्य हो जाता है विश्व का प्रत्येक जीव आस्तिक ही है वह करोडों कल्प परिश्रम करके भी नास्तिक नही बन सकता क्योंकि प्रत्येक अनीश्वरवादी आनंद को तो मानता ही है और आनंद ईश्वर का पर्यायवाची है अतएव आनंदोपासक स्वयं ही ईश्वरोपासक सिद्ध हो जाता है उसका ईश्वरीय गुणों में प्रेम भी ईश्वर को सिद्ध करता है यहाँ तक कि उसकी स्वयं सत्ता ही ईश्वर को सिद्ध करती है
इस अवसर पर मुख्य रूप से प्रसिद्ध उद्योगपति दीपक नौटियाल देहरादून के महापौर सुनील उनियाल गामा दीपांशु नौटियाल रमन राकेश नीरज कुसुम नौटियाल चहक निष्ठा सुषमा पूनम प्रीति नीलम सम्पूर्णा नौटियाल शरद शर्मा बालकृष्ण डोभाल पूनम बहुगुणा शिवम कोठारी भाजपा किसान मोर्च के उपाध्यक्ष कालिका नौटियाल संन्दीप राणा सीमा पांडेय मनधीर कक्कड़ गुरविंदर आदि भक्त गण भारी सँख्या में उपस्थित थे!!


