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50 मेधवी छात्रों को शोध के लिये मिलेगी स्कॉलरशिपः डॉ. धन सिंह रावत

दो दर्जन राजकीय महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालय परिसर बनेंगे मॉडल

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सूबे के दो विश्वविद्यालय में स्थापित होगी आधुनिक सेंट्रल रिसर्च लैब


सूबे में उच्च शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्र-छात्राओं में शोध के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिये राज्य सरकार लगातार काम कर रही है। इसी कड़ी में राजकीय महाविद्यालयों में अध्ययनरत 50 निर्धन एवं मेधावी छात्रों को शोध कार्यों हेतु प्रत्येक माह रूपये पांच हजार की स्कॉलरशिप प्रदान की जायेगी। इसके लिये विभागीय अधिकारियों को इसी शैक्षणिक सत्र में कार्रवाई सुनिश्चित करने के निर्देश दे दिये गये हैं। क्वालिटी एजुकेशन व कौशल विकास पर फोकस करते हुये राज्य के दो दर्जन राजकीय महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालय परिसरों को मॉडल संस्थान के रूप में विकसित किया जायेगा। वहीं सूबे के एक दर्जन महाविद्यालय अंतिम चरण के नैक मूल्यांकन हेतु तैयार हैं।

उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने आज यमुना कालोनी स्थित शासकीय आवास पर विभागीय समीक्षा बैठक ली। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में शोधपरक शिक्षा पर विशेष पर बल दिया गया है, जिसके मध्यनजर राज्य सरकार ने भी उच्च शिक्षा में शोध कार्यों पर विशेष फोकस किया है। छात्र-छात्राओं में शोध प्रवृत्ति विकसित करने के उद्देश्य से प्रदेश के राजकीय महाविद्यालयों में अध्ययनरत 50 निर्धन व मेधावी छात्रों को प्रत्येक माह रूपये पांच हजार की स्कॉलरशिप प्रदान की जायेगी जो कि मुख्यमंत्री छात्रवृत्ति योजना से इतर होगी। उन्होंने बताया कि निर्धन व मेधावी छात्रों को इसी शैक्षणिक सत्र से स्कॉलरशिप प्रदान करने के लिये विभागीय अधिकारियों को आगे की कार्रवाई करने के निर्देश दे दिये गये हैं। डा. रावत ने बताया कि इससे जहां प्रदेश के गरीब एवं ग्रामीण क्षेत्रों के प्रतिभावान छात्रों को अपने रूचि के अनुरूप शोध करने का अवसर मिलेगा वहीं छात्रों में शोध के प्रति जागरूकता भी बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि राज्य के दो दर्जन राजकीय महाविद्यालयों तथा कुछ विश्वविद्यालय परिसरों को मॉडल संस्थान के रूप में स्थापित करने के लिये डीपीआर तैयार कर भारत सरकार को प्रस्ताव भेजने के निर्देश अधिकारियों को दिये गये हैं। इसी प्रकार राज्य के दो विश्वविद्यालयों में केन्द्रीय शोध प्रयोगशाला स्थापित करने का प्रस्ताव भी भारत सरकार को भेजा जा रहा है। विभागीय मंत्री ने बताया कि प्रदेश के उच्च शिक्षण संस्थानों को अनिवार्य रूप से नैक मूल्यांकन के निर्देश पूर्व में दिये गये थे, जिसके तहत इस शैक्षणिक सत्र में सूबे के दो दर्जन राजकीय स्नातक एवं स्नातकोत्तर महाविद्यालयों को नैक मूल्यांकन के तीसरे व अंतिम चरण में पहुंच चुके हैं जो कि विभाग के लिये गौरव की बात है।
बैठक में सचिव उच्च शिक्षा शैलेश बगोली, अपर सचिव प्रशांत आर्य, एम.एम.सेमवाल, प्रभारी निदेशक प्रो.सी.डी.सूंठा, रूसा सलाहकार प्रो. एम.एस.एम. रावत, प्रो. के.डी. पुरोहित, संयुक्त निदेशक डा. ए.एस. उनियाल, उप सचिव ब्योमकेश दुबे, सहायक निदेशक डा. गोविंद पाठक सहित अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।

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