विकास की अनूठी पहल, ’प्रत्येक परिसर में प्रवास’ केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 वरखेड़ी इन दिनों देवप्रयाग परिसर के प्रवास पर

विश्वविद्यालय के सभी परिसरों में इसी प्रकार रहकर समस्यायें जानेंगे वीसी

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छात्रों के साथ टाटपट्टी पर बैठकर करते हैं भोजन, किसी भी समस्य मुलाकात कर सके हैं अध्यापक, कर्मचारी व छात्र

देवप्रयाग। केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 श्रीनिवास वरखेड़ी ने विश्वविद्यालय के विकास के लिए अनूठी पहल की है। विश्वविद्यालय को नैक से ए प्लस प्लस मिलने के बाद उन्होंने ’प्रत्येक परिसर में प्रवास’ कार्यक्रम अभियान शुरू किया है। इसके अंतर्गत वे हर परिसर में कुछ दिन रहकर वहां की समस्याएं जानेंगे और उनके निस्तारण का प्रयास करेंगे। इसकी शुरूआत देवप्रयाग से की जा रही है।
केंद्रीय संस्कृत विवि के वीसी प्रो0 वरखेड़ी ने अपने विकास अभियान के लिए पहले परिसर के रूप में श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर को चुना है। वे 18 जून को यहां आ चुके हैं। उनके साथ शैक्षिक मामलों, छात्र कल्याण और योग विज्ञान के डीन प्रो0 बनवाली विश्वाल तथा जयपुर परिसर के निदेशक प्रो0 सुदेश शर्मा आदि भी आये हैं। पहले दिन कुलपति प्रो0 वरखेड़ी ने परिसर के भौतिक विकास का निरीक्षण किया। उन्होंने विभिन्न मसलों पर निदेशक प्रो0 पीवीबी सुब्रह्मण्यम के साथ विचार मंथन किया तथा परिसर में निर्माण कार्य की एजेंसी केंद्रीय लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों के साथ भी बैठक की। शाम को कुलपति ने छात्रों के साथ बैठक भोजनालय में भोजन किया। उन्होंने रात को सरकारी आवास में रह रहे अध्यापकों तथा कर्मचारियों के परिजनों से भेंट की।
उन्होंने अध्यापकों के साथ संवाद कार्यक्रम के अंतर्गत विभिन्न विषयों के अध्यापकों के साथ बैठक कर परिसर, संबंधित विषय तथा विश्वविद्यालय के विकास के संबंध में विचार ग्रहण किये। उनसे छात्रों ने भी मुलाकात की।
दूसरे दिन 19 जून को कुलपति प्रो0 वरखेड़ी ने छात्रों की कक्षाएं लीं तथा अध्यापकों से उनके शास्त्रों का पठन जाना। उन्होंने अध्यापकों से कहा कि नई शिक्षा नीति लागू करते समय हम जल्दी में थे। आनन-फानन में नया पाठ्यक्रम लागू करना पड़ा, लेकिन उसमें संशोधन और परिमार्जन की आवश्यकता महसूस की जा रही है। इसलिए अब फीडबैक के माध्यम से उसमें आवश्यक संशोधन किया जाएगा। छात्रों तथा अध्यापकों से फीडबैक लिया जाएगा। दिनभर विभिन्न अध्यापकों तथा छात्रों की समस्यायें सुनने के बाद उन्होंने शाम को मुल्यागांव स्थित पतंजलि गुरुकुलम का दौरा कर वहां के अध्यापकों तथा विद्यार्थियों से मुलाकात की तथा संस्कृत के उन्नयन के प्रति उनके विचार जाने।
20 जून को कुलपति ने सुबह विभिन्न परिसरों के छात्रों के साथ नृसिंहांचल पर्वत पर ट्रैकिंग की। उन्होंने खेड़ा गांव में छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि बच्चों को एक-दूसरे राज्य की संस्कृति, बोली-भाषा तथा वातावरण को जानना जरूरी है। उन्होंने कहा कि आप लोगों का सौभाग्य है कि आप ऐसे विश्वविद्यालय में अध्ययन कर रहे हैं, जिसमें पूरे भारत के बच्चे हैं। आप अपनी सुविधा और पसंद के अनुसार किसी भी परिसर में स्थानांतर करा सकते हैं। इस विश्वविद्यालय में पढ़ने का सबसे बड़ा लाभ यह है कि बच्चों को हर प्रांत की बोली, भाषा और संस्कृति का ज्ञान हो जाता है। दिन में अनेक कर्मचारियों की समस्यायें सुनने के बाद कुलपति ने शाम को छात्रों की योग प्रतियोगिताओं का अवलोकन किया। छात्रों के परिश्रम और प्रतिभा को देख गद्गद हुए कुलपति ने कहा कि योग भारत का अनूठा ज्ञान है। यह एक ऐसा साधारण विज्ञान है, जिसे अपनाकर हम जीवन में शारीरिक, मानसिक स्वास्थ्य और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त कर सकते हैं।
गौरतलब है कि देवप्रयाग स्थित श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर में केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के केंद्रीय योग महोत्सव में मुंबई, हिमाचल, जयपुर, भोपाल, केरल, अगरतला, उत्तराखंड, लखनऊ इत्यादि परिसरों समेत श्री जगद्गुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग विश्वविद्यालय के लगभग 250 छात्र-छात्राएं भाग ग्रहण कर रहे हैं। इस परिसर को कुलपति प्रो0 वरखेड़ी ने अपने विकास अभियान के शुरुआती दौर में इसीलिए चुना ताकि योग महोत्सव में शामिल होकर छात्रों से भी रू-ब-रू हुआ जा सके। वीसी इसी प्रकार अन्य परिसरों में भी प्रवास करेंगे। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय को इस बार नैक मूल्यांकन में ए प्लस प्लस श्रेणी मिलने के बाद अब विश्वविद्यालय की जिम्मेदारी बहुत बढ़ गयी है। हमें इस योग्यता को बरकरार रखने के लिए कड़ा परिश्रम करना होगा। परिसरों के भौतिक और शैक्षिक विकास पर हमारा विशेष फोकस है। ं