उत्तराखंड से पलायन के चलते विलुप्ति के कगार पर इगास (बूढ़ी दीपावली)-डॉ राजे नेगी


ऋषिकेश-आपने छोटी और बड़ी दिवाली के बारे में तो सुना होगा, लेकिन क्या आप बूढ़ी दिवाली के बारे में जानते हैं, सुनने में बेशक अटपटा लगे, लेकिन उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में दिवाली से ठीक 11 दिन बाद दीपावली मनाई जाती है, इसे बूढ़ी दिवाली का नाम दिया गया है।हांलाकि यह इगास पर्व के नाम से प्रसिद्ध है।

अंतरराष्ट्रीय गढ़वाल महासभा के अध्यक्ष डॉ राजे नेगी ने बताया इगास बग्वाल (बूढ़ी दीपावली) पर्व पहाड़ों से लगातार हो रहे पलायन के चलते विलुप्ति की कगार पर है ।पहाड़ के जो लोग मैदानी क्षेत्रों में पलायन कर चुके हैं वह भी इस पारंपरिक पर्व को भूलते जा रहे हैं।उन्होंने बताया पहाड़ की इगास को जिंदा रखने के लिए उग्रसैन नगर आवासीय कल्याण समिति एवं अंतरराष्ट्रीय गढ़वाल महासभा ने इगास पर्व को मनाने का निर्णय लिया है ।इस संदर्भ में उग्रसैन नगर स्थित कार्यालय में आयोजित बैठक में कार्यक्रम की रूपरेखा तय की गई। समिति के उपाध्यक्ष एम एस राणा एवं महासभा के अध्यक्ष डॉ राजे नेगी ने बताया कि यह पर्व लोक संस्कृति से जुड़ा पर्व है लेकिन समय की बहती धारा में इगास पर्व लुप्त होने की कगार पर है।जिसे देखते हुवे आगामी 4 नवम्बर को उग्रसैन नगर स्तिथ मैदान में लोकपर्व मनाने का निर्णय लिया गया है। कार्यक्रम में इगास पर ढोल दमाऊं की थाप के साथ भेेलो खेला जाएगा साथ ही लोक पकवान जैसे स्वाले, दाल के पकोड़े, अरसे आदि तैयार कर उन्हें परोसा जाएगा। इगास पर आयोजित कार्यक्रम के माध्यम से लोगो से पहाड़ी संस्कृति से जुड़े रहने की अपील भी की जाएगी।साथ ही राज्य सरकार द्वारा इगास पर राजकीय अवकाश घोषित किये जाने हेतु सूबे के मुखिया का आभार भी व्यक्त किया गया।
