पैली जनि ब्योकी रस्याण अब नी रै
दीपक कैन्तुरा (रंत- रैबार)
हमारु उत्तराखण्ड अपणी संस्कृति रीति रीवाजों क तें उत्तराखण्ड अपणी अलग पछ्याण रखदु। जख द्यबतों कू निवास अर पण्डों का बणायां मंदिर छन जथका उत्तराखण्ड की धरती रोंत्यालि च वनि रोंत्याला यख का रीति रीवाज भी छन । आज हम रंत रैबार का बारा मा बथाणा च ब्यौ का रिवाजू की पैला कना रोंत्याला रीवाज होंदा छायी अब कना रीवाज होंदिन , शास्त्रों मा ब्योका आठ प्रकार छन । जै मा ब्रहम विवाह सबसे शुभ माण्ये जांदू जु माँ बाबुन बोली सु तय ह्वेगि तैक बोलदन ब्रहम विवाह , पैलि का अर अब का ब्यो का रिवाजों मा जमीन आसमान कू अन्तर ऐगी ।
पैली विधि विधान सी ब्यो होंदा छाया पर आज सब धाणी झटपट ह्वेगी । पैलि जब घर मा कैकू ब्यो होंदू थो सब नाता रिस्तादार कठा ह्वेजांदा छाया गौंउ का बैख लाखडा फैण जांदा छाया तब गौंउ की बेटी ब्वारी लाखडा सारदी छै , वै मा अपणि रस्याण होंदि थै सबी गौंउ वाला मिली जूलिक काम करदा था, लोग अपणु घर कू काम छोडिक पैलि वैं मौकू काम करदा छया जौंका घर मा ब्यो होंदू थो , ब्यो की तैयारी एक साल बटि छोटी मोटी धाणी न्यडुण शुरु करदा छा । गौंउ मा हर मौं का घर मा जैक न्यूतू देदा छाई , एक ब्यो मा दस 5 सात दिन लगदा छया । पर सहा पट्टा हल्दी हात अर मालू का पात सी ब्योकी शुरुवात होंदी छाई ।पैलि जब ब्योला ब्योली का हल्दी हात होंदा था त चार दिन तक चौक से भैर नी जांदा था पर आज त जमानु बदल्येगि । अब त हल्दी हात होंदू अर फटाफट बरात चली जांदी । हमारा उत्तराखण्ड का आलदा बिलदा गौंउ मा या परमपरा जिन्दा च ब्यो होण सी द्वि दिन पैलि चाँदनी पतंग खोली बणाये जांदी , पैल्या का दिन दाळ भिजिये जांदी हेका दिन ढोल दमो मस्काबाजा दगडी सबि गौउ की बेटी ब्वारी दाल पीसण जांदिन त दगडा मा लाखडू कु भारु अर दुध कु डबा लेकी जांदिन . पैलि जैकू ब्यो होंदू सु दाळ अर पीठा पर हात लगोंदू वैका बाद गौंउ की बेटी ब्वारी मिलिक तें सिलोटों मा दाल पिसदीन थै वैका बाद अरसा पकोडा बणोंदिन , वैकाबाद सब गौंउ भात खाण एक पंगत मा बैठदिन , जु भात पकोंदू थो तों तैं रस्वाडया बामण बोल्ये जांदू , फिर नंगा खूटों भात खाण बै जांदन फिर खूब सपोडा सपोडी कैक भात खांदा था पर आज दिन घडी दिन घडी ब्यो की रीती का दगडी हमारी मती बिगेणी च । पर आज ब्यो सी ठीप पैलि दारु कू कोटा पुरु किये जांदू , आजकल का ब्यो मा बहुत दिखावा च आजकल का ब्यो मा पटाका आतिशबाजी बैण्ड कोकटल पार्टी यनी के रीत च जु आज हमारा ब्यों की रस्याण तें फीकी करणा च आज हम मालू का पात छोडी प्लास्टिक का डिसपोजलों तें अपनोणा च सोंगा का चकर मा पर्यावरण का दगडी शरीर कू नाश करणा च । आखिर हम कब ये दिखावा छोडला अर कब हकीकत जैणु सिखला
1- आज सबसे पैलि दारु कू जुगाड़ किये जांदू
2- ढोल दमौं तें छोडिक डीजे की व्यवस्था किये जांदी ।
3- आज कोकटल पार्टी एक रीवाज बणिगे ।
4- आज पंगत छोडी टेंट कू खाणु ह्वेगी –