organic ad

जल धारा से कृष्ण मेल का नाम ही जल यात्रा है : आचार्य शिव प्रसाद ममगाईं


कलश समुद्र मंथन से निकला था जिसमे अमृत देवो को पिलाया गया भागवत कथा श्रवनामृत से पूर्व भगवान भाव रखने पर कलश का जल अमृत स्वरूप बन जाता है जिसमे लाने वाले के घर मे अमृत्व का लाभ होता है यह बात आज नव विहार चुखु मोहल्ला मे भगवत कथा मे कमा डेंट सरदार जोगिंद्र सिंह जी की पुण्य स्मृति मे श्रीमद्भागवत कथा के प्रथम दिन पीत वास्त्रों मे पहाड़ी परिधान के साथ गढ़वाल सभा से कलश यात्रा निकाली गयी जो कथा स्थल मे आकर कथा व्यास आचार्य शिव प्रसाद ममगाई ने कहा महा बुद्धिमान सुत जी कहते है कथा रूपी अमृत पान करने केलिए धन बुद्धि बल नही बल्कि प्रेम की आवश्यकता होती है जिसे श्रवण करने पर अंतर्दोष समाप्त होते है कली काल की विषम परिस्थितियों मे जीवन जिने वाले संघर्ष रत प्राणी भी कृष्ण प्रेम पाने पर शांति व सुख प्राप्त कर सकता है कली काल के आने से संसारी जीव भी दिशाहीन हो गये है दूसरे का ध्यान न रखना आसुरी वृत्ति है जो कुशल मे कुशल है चिंतन करने पर देने वाली चिंतामणि सांसारी सुख दे सकती है सद्ग्यान व गुरु कृपा से योगियों को भी परम पद दिलाने वाला श्रीमद्भागवत है
आज विशेष रूप से आनंद बल्ल्भ जोशी अजित सिंह सरोजनी देवी लखविंदर कौर हरप्रीत कौर परमजित कौर जगरूप सिंह अजितपाल सिंह मनप्रीत कौर रोहन जोशी ओम्म जोशी संजय नौटियाल विजय नौटियाल रमेश अनिता वरून नौटियाल राजेश नौटियाल सुषमा नौटियाल नंदा तिवारी मीनाक्षी नौटियाल रेखा भट्ट सुषमा दर्शनी देवि लक्ष्मि बहुगुणा श्री कृष्ण बहुगुणा बीना शर्मा संतोष गुलशन धनेश्वरी नौटियल शैली कोठियाल जानकी पंथ सरस्वती रतूड़ी सलोनी सकलानी आचार्य दामोदर सेमवाल आचर्य दिवाकर भट्ट आचार्य संदीप बहुगुणा आचार्य कैलाश ध्यानी आचार्य अरुण थपलियाल आदि भक्त गण भारी संख्याँ मे उपस्तिथ रहे।।

electronics