जनपद टिहरी गढवाल के विकास खंण्ड भिलंगना मैं अपनी एतिहासिक सांस्कृतिक विरासता को अक्षुण रखे हुऐ सीमांत गांव गंगी कै लोग आज भी अपनी लोक विरासत को जीवीत रखे हुऐ है। चाहे गांव मै भेड़ परिक्रमा का आयोजन हो या मात्री नृत्य सभी दैवीय अनुष्ठानों मैं आपको लोक की झलक सपस्टताः दैखने को मिलेगी ईसी क्रम मैं 20 दिसंबर सै गांव मैं पांडप नृत्य का आयोजन बड़े धूम धाम से मनाया जा रहा है जिसमें स्थानीय भैष भूसा मैं महिलाएं देवपरिया सी ओर पुरुष देवदूत से प्रतीत हो रहे हैं..।
श्री बद्री रोथाण जी बताते हैं की यह भब्य क्रार्यक्रम ईस बार 12 साल बाद आयोजित हो रहा है ओर यहा 2 जनवरी तक चलैगा ईस आयोजन मैं मुख्यतः पाडंव शैली नृत्य आयोजन ओर पूरी पांडप वार्ता (पूरी महाभारत का ब्याख्यान) श्रैष्ठ गुरु भारती द्वारा स्पेशल पांडवार्त शैली गायन द्वारा प्रस्तुत की जाती है साथ ही विभिन्न लोक शैली कै नृत्य प्रस्तुत किऐ जा रहे है…।
पश्चिमी संस्कृति सै कोसो दूर सीमांत गांव गंगी कै लोग आज भी अपनी लोक संस्कृति को संजोए हुऐ है ओर आज भी अपनी लोक भेषभूसा को अपनाऐ हुऐ हैं यहां कै मुख्या आयोजनो मैं आज भी सभी लोग पारंपरिक भैषभूसा के साथ पारंपरिक गहनो कै साथ जब लोक नृत्य करते हैं तो लगता है मानो स्वर्ग की अप्सराएं साक्षात अवतरित हो कर नृत्य कर रही हो ..।
चारो ओर प्राकृतिक सोंदर्य सै ओतप्रोत सीमांत गांव मैं पांडप नृत्य का आयोजन अद्धभुत हैं नमन है सीम़ांत गांव गंगी कै संस्कृति प्रमियों को ???
बीर सिह राणा
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