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गुरू कोई व्यक्ति नहीं बल्कि एक विचार है ,आचार्य ममगाईं

गुरू कोई  व्यक्ति  नहीं  बल्कि  एक विचार है ,आचार्य ममगाईं 

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चारधाम विकास परिषद के उपाध्यक्ष प्रसिद्ध कथा वाचक आचार्य शिव प्रसाद ममगाईं जी-


 हमारे  जीवन में  व्यक्ति गत। या समाजिक जीवन में जो भी मार्ग  दर्शक  रहा हो, उसे गुरू के रूप में  मान्यता  मिली है,  गुरू त्याग  तपस्या  समर्पण  सन्यस्त  का प्रतीक है जिसका अपना कुछ  नहीं , जो अनिकेत है,  सिर्फ  समाज  के  लिए है गुरु  पूर्णिमा के पर्व पर भाग्योदय  विचार परवाह के अन्तर्गत  गुरूतत्व पर कहा कि गुरू कोई  व्यक्ति  नहीं  बल्कि  एक विचार है  एक सिद्धांत  है एक शक्ति  है यह बात आखिल  गढ़वाल सभा भवन  में  श्री कृष्ण  सेवा सदन के तत्वावधान में  साधारण  रूप से गुरूपूर्णिम  महोत्सव  श्री कृष्ण  सेवा सदन द्वारा मनाया गया  गुरु  पर्व  पर  सेवा सदन के संस्थापक  आचार्य  शिवप्रसाद ममगाईं  जी ने  कहा कि गुरू की चेतना के  स्तर पर उच्च  सम्बन्ध  जोड़े।
सनातन धर्म की परंपरा में गुरु को ब्रह्मा जी, हरि विष्णु जी और भगवान शिव के समान माना गया है। हमारे  यहाँ  ब्रह्मा विष्णु  महेश  कहकर गुरु की वंदना की गई है ।
भारत की सनातन संस्कृति में गुरु वह भाव है जो कभी नष्ट नहीं होता इसलिए गुरु को व्यक्ति नहीं अपितु विचार की संज्ञा दी गई है उसे ब्रह्मा माना गया है।
  गुरु को नमन का पावन पर्व है गुरु पूर्णिमा जो आज 5 जुलाई 2020 को है।
 गुरु शब्द का अर्थ ही उसके महत्व को दर्शाता है ,संस्कृत में गु का अर्थ है अंधकार अज्ञान और रू का अर्थ है हटाने वाला 
जो अज्ञान के अंधकार से मुक्ति दिलाए वही गुरु है। माता-पिता आचार्य यह सब गुरु है।
 आज 21 वी सदी में गुरु किसे बनाया जाए यह एक बड़ा प्रश्न है।
 धर्म ग्रंथों में स्पष्ट कहा गया है कि जो ईश्वर से विमुख करें और अपनी मूर्ति की पूजा करने को कहे, भगवान की महिमा के बजाय अपनी पूजा और आरती करवाए, जिसमें अहंकार हो ऐसे व्यक्ति को गुरु नहीं बनाना चाहिए।
 आज 21वीं सदी में व्यक्ति को नहीं विचार को तत्व को गुरु बनाना चाहिए व्यक्ति तत्व और विचार का प्रतिनिधि हो सकता है, इसलिए व्यक्ति को वह आदर व सम्मान का भाव दे, परंतु गुरु तत्व को ही माने ।
व्यक्ति के भीतर का प्रकाश या प्रज्ञा ही गुरु है उसे जगाने वाला ही वास्तविक गुरु हो सकता है शिष्यों के कान में ज्ञान रूपी अमृत का सिंचन करने वाला  और अध्यात्म के रहस्य को समझाने वाला ही वास्तविक गुरु है ।
 श्री हनुमान जी को ही अपना गुरु माने जो कलयुग के जीवित जागृत देव है समाजिक दूरी बनाकर  आरती प्रवचन  में  सचिव  रेंजर देवेन्द्र  काला आचार्य  जय प्रकाश  गोदियाल  आचार्य  सत्य प्रसाद  सेमवाल  आचार्य  दिवाकर  भट्ट  आचार्य  मुरली  धर सेमवाल  संजीव  कोठियाल  बिना उनियाल  प्रेम  तनेजा देबाग॔ना चड्ढा   विकास  शर्मा  कैलास जोशी सुरेन्द्र  राणा   प्रमोद अध्यक्ष  रोशन धस्माना   सन्तोष  गैरोला अजय जोशी  कपरवाण  शास्त्री, ज्योति  नौटियाल  लक्ष्मी  बहुगुणा  सुजाता पानी नन्दा तिवारी  जया ममगाईं  लक्ष्मी  ममगाईं  सरोज  कृष्णा  कृष्णा नन्द  बहुगुणा कोठियाल  ,सरिता जोशी  माता  ,  आदि  लोग  सम्मलित थे

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