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आईआईटी की तर्ज पर बनेगा रघुनाथ कीर्ति का पुस्तकालय

आईआईटी की तर्ज पर बनेगा रघुनाथ कीर्ति का पुस्तकालय

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केंद्रीय संस्कृत विवि परिसरों के लिए रोल मॉडल बनेगी यह लाइब्रेरी
सभी आधुनिक तकनीक युक्त अपना भवन बनेगा रघुनाथ कीर्ति के पुस्तकालय का: निदेशक
देवप्रयाग। केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्याल के सभी पुस्तकालय समृद्ध, सुविधायुक्त तथा अत्याधुनिक तकनीक से लैस होंगे। देवप्रयाग के पुस्तकालय को आदर्श पुस्तकालय के रूप में सामने लाया जाएगा। अभी तक शैक्षणिक भवन में संचालित इस लाइब्रेरी के लिए अलग भवन का निर्माण प्रस्तावित है।
ये बातें केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के नई दिल्ली मुख्यालय स्थित पुस्तकालयाध्यक्ष डॉ0 पूरनमल गुप्ता की श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर के निदेशक तथा प्राध्यापकों के साथ हुयी बैठक में सामने आयीं। डॉ0 गुप्ता कुछ दिन से विश्वविद्यालय के सभी परिसरों के पुस्तकालयों का भ्रमण कर कमियों और आवश्यकताओं को परख रहे हैं। छह परिसरों के पुस्तकालयों का वे जायजा ले चुके हैं। इसी क्रम में वे दो दिन के भ्रमण पर वे देवप्रयाग स्थित श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर पहुंचे और शैक्षणिक स्टाफ के साथ बैठक कर पुस्तकालय संबंधी समस्यायें सुनीं तथा सुझाव मांगे। उन्होंने कहा कि श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर का पुस्तकालय सभी परिसरों के पुस्तकालयों से बेहतर है। इसमें स्थान भी खूब विस्तृत है और यहां विद्यार्थियों, शोधकर्ताओं के लिए यथासंभव सुविधायें हैं। इसी लाइब्रेरी को सभी परिसरों के लिए रोल मॉडल बनाया जाएगा। यह विश्वस्तरीय फर्नीचर और आईसीटी अवसंरचना के रूप मंे विकसित होगा। उन्होंने कहा कि देवप्रयाग के पुस्तकालय को आईआईएम और आईआईटी की तर्ज पर विकसित किया जाएगा। इसीको आदर्श मान अन्य परिसरों के पुस्तकालय विकसित किये जाएंगे। कुलपति महोदय की भी यह इच्छा है। उन्होंने कहा कि पुस्तकालयों में उपलब्ध पांडुलिपियों के संरक्षण और शोधार्थियों को उनसे लाभान्वित करने के लिए विशेष व्यवस्था की जाएगी। केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय ’एकीकृत पुस्तकाय नीति’ तैयार कर रहा है, जिस पर शीघ्र अमल किया जाएगा। पुस्तकालय के लिए शीघ्र ही अलग से धनराशि जारी की जाएगी। उन्होंने कहा कि पुस्तकालय के विकास में प्राध्यापकों की भूमिका भी महत्त्वपूर्ण है, उन्हें समय-समय पर इसके विकास के लिए सुझाव देने चाहिए।
बैठक में विभिन्न प्राध्यापकों ने छात्रों को जारी की जाने वाली पुस्तकों की संख्या बढ़ाने तथा अध्यापकों को जारी पुस्तकों का नवीनीकरण सालभर में एक बार अथवा सत्र में एक बार करने का सुझाव प्रस्तुत किया। संस्कृत संबंधी पुस्तकों के साथ ही लोकसाहित्य संबंधी पुस्तकों की संख्या में वृद्धि की भी मांग की गयी। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए निदेशक प्रो0 पीवीबी सुब्रह्मण्यम ने कहा कि श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर को अलग से भवन उपलब्ध कराया जाएगा। अभी तक शैक्षणिक भवन में इसके लिए पांच-छह बड़े कमरे उपलब्ध कराये गये हैं। लगभग डेढ़ साल में इस लाइब्रेरी का अपना भवन होगा। निदेशक ने सभी अध्यापकों के सुझावों पर ठोस निर्णय लेने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि छात्रों की आवश्यकतानुसार हम इस लाइब्रेरी को खोलने का समय बढ़ाते रहते हैं। बीएड, नेट इत्यादि करने वाले छात्रों को इसका बखूबी लाभ मिला है। इस अवसर पर निदेशक प्रो0 सुब्रह्मण्यम ने पुस्तकालय अध्यक्ष को अंगवस्त्र भेंटकर सम्मानित किया। इस अवसर पर परिसर पुस्तकालयाध्यक्ष नवीन डोबरियाल, डॉ0 सच्चिदानंद स्नेही, डॉ0 अनिल कुमार, डॉ0 वीरेन्द्र सिंह बर्त्वाल, डॉ0 अरविन्दसिंह गौर, डॉ0 सुरेश शर्मा, डॉ0 अमन्द मिश्र, पंकज कोटियाल, डॉ0 अंकुर वत्स, डॉ0 श्रीओम शर्मा, डॉ0 अवधेश बिज्ल्वाण, डॉ0 मनीष शर्मा,डॉ0 धनेश पी. तथा डॉ0 रश्मिता आदि उपस्थित थे।