ज्ञानी पुरुष ही मोक्ष को प्राप्त होते हैं आचार्य ममगांई

ज्ञानी पुरुष ही मोक्ष को प्राप्त होते हैं आचार्य ममगांई

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महिला कल्याण समिति नेशविलारोड देहरादून द्वारा आयोजित शिवपुराण की कथा अखिल गढ़वाल सभा भवन में शुभारंभ हुई जिससे पूर्व मुख्य मार्ग नेशविलारोड से होते हुए पीत वस्त्र में महिलाओं ने कलश यात्रा निकाली फिर शिव जी का अभिषेक कर कलशों की स्थापना की वहीं देवभुमि के सुप्रसिध्द कथावाचक ज्योतिष्पीठ व्यास पदाल॔कृत आचार्य शिवप्रसाद ममगांई जी ने कहा ज अज्ञानी पुरुष वाह्य विषयों के पीछे दौड़ते हैं जो मृत्यू के जाल में फंसते हैं वह आसक्ती वे मृत्यु के फैले हुए जाल में फँसते हैं और ज्ञानी पुरुष निश्चय ही मोक्ष को जानकर संसार के अनित्य पदार्थों में सुख को नहीं चाहते।बड़े से बड़े दुःख, बड़ी से बड़ी मुसीबतें और कष्ट, करुणा-निधान, करुणाकर प्रभु के स्मरण से कम होते हैं और जाते रहते हैं। वही असहायों का सहाय, निराश्रितों का आश्रय और निरवलम्बों का अवलम्ब है। दुनियाँ के बड़े-बड़े वैद्य, डाक्टर, राजा महाराजा और साहूकार प्रसन्न होने पर केवल शारीरिक कल्याण का कारण बन सकते हैं, परन्तु मानसिक व्यथा से व्यथित नर-नारी की शान्ति के कारण तो वही प्रभु हैं, जो इस ह्रदय मन्दिर में विराजमान हैं। दुनियाँ के और लोगों की तरह उसका सम्बन्ध मनुष्यों से शारीरिक नहीं, किन्तु मानसिक और आत्मिक है, वही है जो गर्भ में तथा ऐसी जगहों में जीवों की रक्षा करता है, जहाँ मनुष्यों की बुद्धि भी नहीं पहुँच सकती। एक पहाड़ का भाग सुरंग से उड़ाया जाता है, पहाड़ के टुकड़े-2 हो जाते हैं, एक टुकड़े के भीतर देखते हैं एक तुच्छ कीट है जिसके पास कुछ अन्न के दानें पड़े हैं। बुद्धि चकित हो जाती है, तर्क काम नहीं देता, मन के संकल्प विकल्प थक जाते हैं, यह कैसा चमत्कार है, हम स्वप्न तो नहीं देख रहे हैं। भला इस कठोर ह्रदय पत्थर के भीतर यह कीट पहुँचा कैसे? और उसको वहाँ ये दाने मिले तो मिले कैसे ! वह आश्चर्य के समुद्र में डुबकियाँ लगाने लगता है। अन्त में तर्क और बुद्धि का हथियार डालकर मनुष्य बेसुध-सा हो जाता है। अनायास उसका ह्रदय श्रद्धा और प्रेम से पूरित हो गया, ईश्वर की इस महिमा के सामने सिर झुक गया और ह्रदय से निकल पड़ा कि हे प्रभो! आप विचित्र हो आपके कार्य भी विचित्र हैं।
आपकी महिमा समझने में बुद्धि निकम्मी व मन निकम्मा बन रहा है, आप ही अन्तिम ध्येय और आश्रय हो, नाथ ! आपके ही आश्रय में आने से दुःख-दुःख नहीं रहते, कष्ट-कष्ट नहीं प्रतीत होते।
प्रस्तुति- पंकज शाह:  लक्ष्मी बहुगुणा अध्यक्ष सरस्वती रतूड़ी उपाध्यक्ष सुजाता पाटनी सचिव रौशनी सकलानी उपसचिव मनोरमा डोभाल उपसचिव मंजू बडोनी कोषाध्यक्ष चंदा बडोनी भंडारण नंदा तिवारी सूचना मंत्री कमला नौटियाल सुषमा थपलियाल प्रतिमा चकरवर्ती आशा रावत उषा भट्ट अनिता भट्ट सुनीता बहुगुणा रेखा बडोनी लक्ष्मी गैरोला भागीरथी रतूड़ी राजेश्वरी चमोली रमेश जख्वाल श्री कृष्ण बहुगुणा आदि भक्त गण उपस्थित रहे।।