कालजयी गीतों और बेजोड़ संगीत रचना (Musical composition) के लिए नरेन्द्र सिंह नेगी का सम्मान

गीत रह जाते हैं

-डॉ0 नंद किशोर हटवाल वरिष्ठ, लोक-संस्कृति विशेषज्ञ

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*कालजयी गीतों और बेजोड़ संगीत रचना (Musical composition) के लिए नरेन्द्र सिंह नेगी का सम्मान।*
कल 9 अप्रैल 2022 को उत्तराखण्ड के सुप्रसिद्ध लोकगायक नरेन्द्र सिंह नेगी को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद संगीत नाटक ऐकेडमी द्वारा दिया जाने वाला प्रतिष्ठित सम्मान देंगे। इसके तहत उन्हें एक लाख की राशि, अंगवस्त्र और ताम्रपत्र दिया जाएगा।
वर्ष 2018 के लिए दिये जाने वाले इस सम्मान की घोषणा 26 जून, 2019 को गुवाहाटी, असम में अकादमी की बैठक में की गई थी। नेगी जी के साथ कला व साहित्य क्षेत्र की 44 अन्य हस्तियों को भी यह पुरस्कार दिया जाएगा। इस सम्मान को प्राप्त करने के बाद 13 अप्रैल का नई दिल्ली में ही नेगीदा की एक प्रस्तुति भी होगी।
नरेन्द्र नेगी को यह पुरस्कार संगीत नाटक एकेडमी के ‘पारंपरिक/लोक/जनजातीय संगीत/नृत्य/रंगमंच और कठपुतली’ के क्षेत्र में प्रदान किया गया है। वर्ष 2018 के लिए इस क्षेत्र में कुल दस कलाकारों-मालिनी अवस्थी (लोकसंगीत, उत्तर प्रदेश ), गाजी खान बरना (खरताल, राजस्थान), मो. सादिक भगत (लोक रंगमंच जम्मू-कश्मीर), सचिदानंद शास्त्री (हरिकथा, आंध्र प्रदेश), अर्जुन सिंह ध्रुवे ( लोक नृत्य, मध्य प्रदेश), सोमनाथ बट्टू (लोक संगीत, हिमाचल प्रदेश), अनुपमा होसकरे (स्टिं्रग कठपुतली, कर्नाटक), हेम चंद्र गोस्वामी (मुखौटे बनाना, असम) को अकादमी पुरस्कार हेतु चुना गया। एकेडमी के द्वारा नरेन्द्र सिंह नेगी को उत्तराखंड के लोकगीत के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए यह सम्मान दिया जा रहा गया है।
संगीत नाटक एकेडमी निष्पादन कलाओं (Performing Art) के क्षेत्र में भारत सरकार के शीर्ष निकाय के रूप में कार्य कर रही है। अकादमी देश के प्रमुख सांस्कृतिक संस्थानों, राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और कला अकादमियों के साथ समन्वय एवं सहयोग करते हुए संगीत, नृत्य और नाटकों के रूप में भारत में फैली विविध संस्कृतियों की अमूर्त विरासत के संरक्षण और संवर्द्धन का कार्य कर रही है। इसकी स्थापना भारत सरकार के द्वारा 1952 में की गई। भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने जनवरी 1953 को संसद भवन में आयोजित एक विशेष समारोह में एकेडमी का शुभारम्भ किया था।
अभी तक उत्कृष्टता और उपलब्धियों के सर्वोच्च मानक और प्रतीक के रूप में इन अकादमी पुरस्कारों की प्रतिष्ठा बनी हुई है। इसे कलाकारों के द्वारा किये जा रहे व्यक्तिगत कार्य और योगदान को मान्यता प्रदान किये जाने के रूप में भी देखा जाता है। भारत की कई नामचीन हस्तियों को इस सम्मान से नवाजा जा चुका है।
अपने कालजयी गीतों और उनकी बेजोड़ संगीत रचना (Musical composition) के लिए नरेन्द्र सिंह नेगी को दिया गया यह सम्मान सिर्फ एक व्यक्ति का सम्मान नहीं, उत्तराखण्ड के लोकसंगीत और यहां की भाषाओं का सम्मान भी है। इसे राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत उत्तराखण्ड की मातृभाषाओं को शिक्षा का माध्यम बनाये जाने और गढ़वाली-कुमाउनी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किये जाने के प्रयासों को मजबूती प्रदान करने वाला और राष्ट्रीय स्तर पर उत्तराखण्ड के लोकगीत-संगीत को प्यार, मान्यता, पहचान और प्रतिष्ठा दिलाने के रूप में भी देखा जा सकता है।
“भोल जब फिर रात खुलली/ धरति मां नई पौध जमली/पुरणा डाला ठंगरा ह्वेकि/ नई लगूल्यूं सारू द्याला/मि त् नि रौलु मेरा भुलौऊं, तुम दगिड़ि मेरा गीत राला।”
जुग राज रयां नेगी जी!

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