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हद हो गई:उत्तराखंड में चलता है एक ऐसा स्कूल जहां है टीचर और भोजन माता लेकिन, स्कूल पढ़ने एक भी बच्चा नहीं आता, देखें वीडियो

रिपोर्ट : कुलदीप राणा आजाद/रूद्रप्रयाग

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सूबे में सरकारी शिक्षा व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सरकार लाख ढोल क्यों न पीट रही हो लेकिन सरकारी विद्यालयों की सूरत बदलने का नाम नहीं ले रही है। जी हां शिक्षक और संसाधनों की कमी के बीच संचालित हो रहे सरकारी स्कूलों में सरकार और विभाग की लोक-लुभावनी योजनाओं के बाद भी छात्र संख्या नहीं बढ़ पा रही है। जनपद रूद्रप्रयाग में 524 संचालित राजकीय प्राथमिक स्कूल संचालित हो रहे हैं जिसमें से 92 स्कूलों में छात्र संख्या दस से कम है। ऐसे में इन स्कूलों के भविष्य पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं। राजकीय प्राथमिक विद्यालय बेडूबगड में कहने के लिए 5 छात्र हैं पर विद्यालय में एक भी नहीं आता है।

जिले में प्राथमिक स्तर पर 524 स्कूलों का संचालन हो रहा है जिसमें वर्तमान शिक्षण सत्र में 11978 छात्र-छात्राएं पंजीकृत हैं लेकिन इन स्कूलों में 92 विद्यालय ऐसे हैं जहां छात्र संख्या 1 से 9 तक है। कई स्कूल तो ऐसे हैं जहां छात्र संख्या 2, 3, 4 या 5 तक ही है। तीस से अधिक स्कूल ऐसे हैं जहां कक्षा एक, दो और तीन में पंजीकरण ही नहीं है। तीन विद्यालयों में एक-एक छात्र है। ऐसे में इन स्कूलों पर आगामी शिक्षण सत्र से ताला लटकने का खतरा पैदा हो गया है। दूसरी तरफ जिले में 10 से 20 तक छात्र संख्या वाले स्कूलों की संख्या 175 है। वहीं 40 से अधिक छात्र संख्या वाले स्कूल 63 हैं। जिले में प्रत्येक सत्र में छात्र संख्या कम हो रही है। वर्ष 2012-13 में जिले में प्राथमिक में 16503 छात्र-छात्राएं थे। यह संख्या घटकर वर्ष 2013-14 में 15360 और 2015-16 में 14460 तक पहुंच गई. जबकि वर्तमान सत्र में 11978 छात्र-छात्राएं हैं। 100 छात्र संख्या वाला सिर्फ एक स्कूलहैं पूरे जनपद में प्राथमिक विद्यालय चोपता एकमात्र स्कूल है जहां छात्र संख्या 104 है। यहां बीते कई सत्रों से छात्र संख्या 100 से अधिक बनी हुई है। इसके अलावा प्राथमिक विद्यालय रुद्रप्रयाग में 92, डांगी में 85, कुरछोला में 73, जखनोली में 77, भुनालगांव में 91, बुढ़ना में 87 और खुमेरा में 77 छात्र-छात्राएं हैं।

सरकारों ने सर्व शिक्षा अभियान मीडेमील, प्रवेश महोत्सव सहित न जाने कितने ही योजनाएं शिक्षा व्यवस्था को ढर्रे पर लाने के लिए चला दी हो बावजूद सरकारी स्कूलों की तकदीर नहीं सँवर पाई हैं। खंडहर होती सरकारी शिक्षा व्यवस्था बड़ा चिंता का विषय है।

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