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अभ्यास से हर कार्य होते सफल :आचार्य शिव प्रसाद मंमगांईं

अभ्यास से हर कार्य होते सफल आचार्य ममगांई

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“समय” पर हर काम करने वालों की सारी शक्तियाँ उपयोग में आने पर भी सक्षम बनी रहती हैं। “समय” पर काम करने का अभ्यास एक सजग प्रहरी की तरह ही होता है, जो किसी भी परिस्थिति में मनुष्य को अपने कर्त्तव्य का विस्मरण नहीं होने देता। सिद्धि शक्ती जो दे वही शक्ती है जिसके बाना न समय अच्छा बन सकता न जीवन नमन और शरीर की समय से कार्य सिद्ध होते हैं सिद्धीदातूरी मां परम्बा की कृपा है “समय” आते ही सिद्ध किया हुआ अभ्यास उसे निश्चित कार्य की याद दिला देता है और प्रेरणापूर्वक उसमें लगा भी देता है। आज बनगडस्यों के मुछियालीगांव में चन्द्र वदनी मन्दिर में आयोजित देवीभागवतमहापुराण क पंचम दिन कथावाचन वाचन करते हुए ज्योतिष्पीठ व्यास आचार्य शिव प्रसाद ममगांई ने कहा कि समय” आते ही उक्त कार्य योग्य शक्तियों में जागरण एवं सक्रियता आ जाती है, जिन्हें मनुष्य निरालस्य रूप से अपने काम में लगाकर उसे निर्धारित समय में ही पूरा कर लेता है। “कार्य एवं कर्तव्यों की पूर्णता ही जीवन की पूर्णता है, जो कि बिना समय- संयम एवं व्यवस्थित और नियमित क्रियाशीलता के प्राप्त नहीं हो सकती। “समय” के प्रतिफल का सच्चा लाभ उन्हें मिलता है जो अपनी दिनचर्या बना लेते हैं और नियमित रूप से निरंतर उसी क्रम पर आरूढ़ रहने का संकल्प लेकर चलते हैं। एक दिन एक सेर घी खा लें और एक महीने तक जरा भी न खाएँ, एक दिन सौ दंड पेलें और बीस दिन तक व्यायाम का नाम भी न लें तो उस ज्वार-भाटे जैसे उत्साह के उठने व ठंडे होने से क्या परिणाम निकलेगा? “नियत समय” पर काम करने से अंतर्मन को उस “समय” वही काम करने की आदत भी पड़ जाती है और इच्छा भी होती है। चाय, सिगरेट आदि नशे, जो लोग नियमित रूप से पीते हैं उन्हें नियत समय पर उसकी तलब उठती है और न मिलने पर बेचैनी होती है। इसी प्रकार नियत समयपर कुछ काम करने का अभ्यास डाल लिया है तो उस समय वैसा करने की इच्छा होगी । “समय” का पालन मानव-जीवन का सबसे महत्त्वपूर्ण “संयम” है। “समय” पर काम करने वालों के शरीर चुस्त, मन नीरोग तथा इंद्रियाँ तेजस्वी बनी रहती हैं। निर्धारण के विपरीत काम करने से मन, बुद्धि तथा शरीर काम तो करते हैं किंतु अनुत्साहपूर्वक। इससे कार्य में दक्षता तो नहीं ही आती है, साथ ही शक्तियों का भी क्षय होता है। किसी काम को करने के ठीक समय पर शरीर उसी काम के योग्य यंत्र जैसा बन जाता है। ऐसे समय में यदि उससे दूसरा काम कर लिया जाता है, तो वह काम लकड़ी काटने वाली मशीन से कपड़े काटने जैसा ही होगा।: आज विशेस कमला प्रसाद भट्ट जी गिरीश भट्ट जी दिनेश भट्ट जी शास्री रमेश प्रसाद भट्ट जी भाष्कर भट्ट जी आचार्य दिवाकर भट्ट जी श्रीमति हेमवन्ति भट्ट जी श्रीमति कमला नौटियाल जी भरोसी देवी सुशीला भट्ट उषा भट्ट दया प्रसाद भट्ट कुन्दा नन्द बचीराम भट्ट निलम भट्ट गुड्डी भट्ट जतीन दयाल सिंह पंवार आचार्य विश्व दिपक गौड़ जी आचार्य महेश भट्ट जी आचार्य सुनील ममगांई आचार्य सूरज पाठक सुनील शुक्ला जी सुनील नौटियाल आचार्य भट्ट जी पोस्ट मास्टर पंवार जी कान सिंह पंवार जी आदि भक्त गण भारी संख्या मे उपस्थित रहे।।