बदरीनाथ धाम में शीतकाल के लिए बंद हुए मंदिर के कपाट
Badrinath Temple Doors Closed : बदरीनाथ। विश्व प्रसिद्ध हिमालयी तीर्थ बदरीनाथ के कपाट शीतकाल के लिए बंद हो गए हैं। कपाट बंदी के लिए मंदिर को करीब 15 कुंतल फूलों से सजाया गया था। इस अवसर पर लगभग 10 हजार श्रद्धालु कपाट बंद होने के साक्षी बने। इसके साथ ही चारधाम यात्रा का इसवर्ष समापन भी हो गया है।
रविवार को बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने की प्रक्रिया के अंतर्गत रावल अमरनाथ नंबूदरी ने स्त्री वेश में माता लक्ष्मी के विग्रह को मंदिर के गर्भगृह में विराजित किया। जबकि भगवान बदरीनाथ के प्रतिनिधि उद्धव जी और कुबेर के विग्रह गर्भगृह से बाहर लाए गए। कपाट बंद होने की मुख्य प्रक्रिया रात्रि साढ़े 07 बजे शुरू हुई। भगवान बदरीश की प्रतिमा को माणा गांव की महिलाओं द्वारा तैयार घृत कंबल से ढका गया। विधिविधान से पूजा अर्चना के बाद रावल ने मंदिर के कपाट रात्रि ठीक 09 बजकर 07 मिनट पर शीतकाल के लिए बंद किए। आज मंदिर को दिनभर श्रद्धालुआें के लिए खुला रखा गया।
वहीं, कपाट बंद होने के लिए मंदिर को श्री बदरीनाथ पुष्प सेवा समिति ऋषिकेश द्वारा करीब 15 कुंतल फूलों से सजाया गया। सेना की भक्तिमय धुनों और बदरी विशाल की जय के उद्घोष के साथ मंदिर के कपाट करीब 10 श्रद्धालुओं की उपस्थिति में बंद किए गए। इस अवसर पर महिला मंगल दल बामणी, पांडूकेश्वर और स्थानीय कलाकारों ने लोकनृत्य, जागर आदि की प्रस्तुतियां दी। आज पूरे दिन धाम में श्रद्धालुओं के लिए भंडारे का आयोजन भी किया गया था।
इस अवसर पर बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति अध्यक्ष अजेंद्र अजय, उपाध्यक्ष किशोर पंवार, जिलाधिकारी संदीप तिवारी, सीईओ विजय प्रसाद थपलियाल, कोटद्वार विधायक दिलीप रावत, स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती, वीरेंद्र असवाल, पुष्कर जोशी, आशुतोष डिमरी, भास्कर डिमरी, एसडीएम चंद्रशेखर वशिष्ठ, अनिल ध्यानी, विपिन तिवारी, राजेंद्र चौहान, नायब रावल सूर्यराग नंबूदरी, ईओ नगर पंचायत सुनील पुरोहित, थाना प्रभारी नवनीत भंडारी, डॉ. हरीश गौड़ आदि मौजूद रहे।