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अनूठी परम्परा पर बनी गढ़वाली फीचर फिल्म पितृकुड़ा देहरादून में रिलीज,
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देहरादून । उत्तराखण्ड की अनोखी परम्परा पर बनी गढ़वाली फीचर फिल्म पितृकुड़ा आज 16 फरवरी को देहरादून के सिल्वर सिटी सिनेमा में रिलीज हो गई । फिल्म की बहुत मार्मिक कहानी और कलाकारों के भावपूर्ण अभिनय देख दर्शकों के आॅखें भर आयी । फिल्म का कसा हुआ निर्देशन, दमदार कहानी, कलाकारों का शानदार अभिनय और असरदार गीत संगीत दर्शको को बांधे रखने में पूरी तरह सफल है ।
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समारोह के मुख्य अतिथ उत्तराखण्ड फिल्म विकास परिषद के अपर निदेशक आशीष त्रिपाठी और कलर चैकर फिल्म चेंबर के अध्यक्ष वैभव गोयल, फिल्मकार प्रेम सिंह, पदमश्री प्रीतम भरतवाण, प्रसिद्व फिल्म अभिनेत्री उर्मि नेगी, लोक गायिका मीना राणा, अभिनेता बलदेव राणा आदि अतिथियों द्वारा संयुक्त रूप से रिबन काटकर फिल्म शौ का उद्घाटन किया गया । इस अवसर पर मुख्य अतिथि श्री त्रिपाठी ने फिल्म की तारीफ करते हुए कहा कि सरकार आंचलिक सिनेमा के विकास के लिए प्रतिबद्व है । हाल में जारी फिल्म नीति से क्षेत्रीय फिल्मकारों को भारी लाभ प्राप्त होगा ।
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फिल्म रिलीज अवसर पर फिल्म के निर्देशक प्रदीप भण्डारी ने बताया कि उत्तराखण्ड की अद्वतीय परम्परा पितृकुड़ा (लिंगवास) पर बनी यह फिल्म एक पारिवारिक फिल्म है जो भावानात्मक रिश्तों पर बनी है । फिल्म में पितरों की खुशी एवं नाराजगी के असर को दर्शाया गया है । सिल्वर स्क्रीन पर पहली बार लोगों को पितृकुड़ा संस्कार का चित्रण दिखायी दे रहा है। फिल्म में जर्बदस्त एक्शन थ्रिलर, रोमांच, हास्य और मधुर गीत संगीत है। यह फिल्म प्रत्येक उम्र के दर्शक को मंत्रमुग्ध करेगी । फिल्म संस्पेंस भरा नेपाली का किरदार दर्शकों को बहुत रोमांचित कर रहा है।
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पर्वतीय बिगुल फिल्म्स के बैनर पर बनी फिल्म पितृकुड़ा के लेखक एवं निर्देशक हैं प्रदीप भण्डारी। तथा डीओपी एवं एडीटर – नागेन्द्र प्रसाद एवं सहायक निर्देशक – विजय भारती हैं। फिल्म का बैक ग्राउण्ड म्युजिक, डबिंग और फाॅली युवा संगीतकार आशीष पन्त एवं साथियों ने तैयार किया है । फिल्म बनने में 2 साल से अधिक का समय लगा है।
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फिल्म के मुख्य कलाकारों में हैं राजेश जोशी, पदम गुसांई, प्रदीप भण्डारी, शुभ चन्द्रा, शिवानी भण्डारी, सुषमा व्यास, कोमल नेगी राणा, आयुषी जुयाल, बीनीता नेगी, अनामिका राज, गोकुल पंवार, गम्भीर जयाड़ा, बृजेश भट्ट, रवि नेगी, दीपक रावत, शिव कुमार आदि हैं। फिल्म के गीतों को तीन प्रमुख संगीतकारों ने संगीत दिया है जिनमें – संजय कुमोला, अमित वी. कपूर, सुमित गुसांई। जबकि गीतों को स्वरों से सजाया है जितेन्द्र पंवार, पदम गुसांई, संजय कुमोला, प्रीती काला, प्रेरणा नेगी, रवि गुसांई और राजलक्ष्मी ने ।